#NewsBytesExplainer: क्रेडिट कार्ड के अंतरराष्ट्रीय इस्तेमाल पर लगेगा 20 प्रतिशत टैक्स, आप पर क्या असर पड़ेगा?
क्या है खबर?
अगर आप विदेश यात्रा के दौरान अपने क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते हैं तो आप पर महंगाई की मार पड़ने वाली है।
दरअसल, विदेश यात्रा के दौरान क्रेडिट कार्ड से भुगतान को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के दायरे में लाया गया है।
1 जुलाई से इसके लागू होने के बाद क्रेडिट कार्ड से अंतरराष्ट्रीय भुगतान पर 20 प्रतिशत टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (TCS) लगेगा।
आइए समझते हैं इस कदम का आप पर क्या असर पड़ेगा।
LRS
क्या है LRS?
LRS का पूरा नाम है लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम। ये योजना 4 फरवरी, 2004 को लागू हुई थी। इसके तहत भारतीय नागरिकों को विदेश में पैसे खर्च करने के लिए इजाजत दी गई है।
जब ये योजना लागू की गई थी, तब केवल सालाना 25,000 डॉलर खर्च करने की अनुमति थी। इसके बाद समय-समय पर इस सीमा को बढ़ाया गया है।
इस योजना में FEMA के तहत प्रतिबंधित लेनदेन, लॉटरी टिकट खरीदने और मुद्रा लेनदेन की इजाजत नहीं है।
बदलाव
नियमों में क्या बदलाव हुआ है?
वित्त मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) से धारा 7 को हटा दिया है। इसके बाद विदेश में क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग या किसी सेवा के सब्सक्रिप्शन के लिए किया गया भुगतान LRS के दायरे में आ गया है। ये बदलाव 1 जुलाई से लागू होगा।
पहले इस तरह का लेनदेन LRS के दायरे से बाहर था। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने TCS को 5 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का ऐलान किया।
LSR
बदलाव का टैक्स के अलावा और क्या असर होगा?
LRS के तहत भारतीय निवासियों को हर साल 2.50 लाख डॉलर (लगभग 2.06 करोड़ रुपये) तक भेजने की अनुमति है। इससे ऊपर रकम खर्च करने या भेजने पर RBI की अनुमति देनी होती है।
पहले विदेश यात्रा के दौरान डेबिट कार्ड, फॉरेक्स कार्ड और बैंक ट्रांसफर वाले लेनदेन को ही LRS के दायरे में माना जाता था। अब क्रेडिट कार्ड से किया गया अंतरराष्ट्रीय भुगतान भी 2.06 करोड़ रुपये की लिमिट में शामिल किया जाएगा।
असर
फैसले का आप पर क्या असर होगा?
फैसले का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा। उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए आपने विदेश यात्रा के लिए एक पैकेज खरीदा, जिसकी कीमत 3 लाख रुपये है। अगर आप क्रेडिट कार्ड से इसका भुगतान करेंगे तो नए नियम के मुताबिक आपको 60,000 रुपये अतिरिक्त देने होंगे।
इसी तरह मान लीजिए कि विदेश में आपने क्रेडिट कार्ड से 2.50 लाख रूपये की खरीदारी की, लेकिन आपको 20 प्रतिशत TCS मिलाकर कुल 3 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
वसूली
कैसे होगी TCS की वसूली?
TCS एक अप-फ्रंट टैक्स है, यानी इसका भुगतान आपको पहले से ही करना होगा।
मान लीजिए आप किसी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के लिए टूर बुक कर रहे हैं तो TCS का भुगतान आपको टूर बुक करते समय ही करना होगा।
टूर बुक करने पर आपका बैंक आपके PAN के विरुद्ध 20 प्रतिशत TCS जमा करेगा। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय आप TCS वापस लेने का दावा कर सकते हैं।
खर्च
कौन से खर्च रहेंगे नए नियमों के दायरे से बाहर?
पढ़ाई और मेडिकल खर्च को छोड़कर क्रेडिट कार्ड से किए गए सभी अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर नए नियम के तहत TCS लगेगा। शिक्षा और मेडिकल खर्च को नए नियमों के दायरे से बाहर रखा गया है।
अभी शिक्षा के लिए लोन के माध्यम से खर्च की गई 7 लाख से ज्यादा की राशि पर 0.5 प्रतिशत TCS लगता है। अगर यही राशि बिना लोन के सीधे खर्च की जाती है तो 5 प्रतिशत TCS लगता है।
वजह
सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
केंद्र सरकार इस कदम के जरिए विदेशों में भारतीयों द्वारा किए जा रहे खर्च पर निगरानी रखना चाहती है।
सरकार भारतीयों द्वारा विदेशों में खर्च की जा रही रकम पर लगाम लगाना चाहती है। दरअसल, भारतीयों ने वित्त वर्ष 2022-23 में विदेश यात्रा पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जो पिछले साल के मुकाबले 104 प्रतिशत ज्यादा है।
घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी ऐसा किया गया है। इसकी मांग काफी समय से हो रही थी।
विरोध
सरकार के फैसले का हो रहा है विरोध
सरकार के इस कदम का विरोध भी हो रहा है। लोगों का मानना है कि विदेशों में क्रेडिट कार्ड पर 20 प्रतिशत TCS कारोबार को प्रभावित करेगा।
अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील दीपक जोशी ने कहा, "सरकार को इस संबंध में और स्पष्टीकरण देने की जरूरत है। अगर कार्ड किसी अस्पताल में इस्तेमाल किया जाता है तो TCS लागू नहीं होगा। बैंक को कैसे पता चलेगा कि TCS लगेगा या नहीं?"