#NewsBytesExplainer: कितने तरह के होते हैं गाड़ियों में मिलने वाले इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर?
ड्राइविंग के दौरान ड्राइवर को गाड़ी की स्पीड, हेडलाइट्स और फ्यूल लेवल की जानकारी होनी चाहिए। ये जानकारियां देने का काम इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर का होता है। सभी कार और बाइक में यह फीचर मिलता है। हालांकि, आधुनिक वाहनों में यह क्लस्टर डिजिटल या सेमी-डिजिटल रूप में मौजूद होता है, जबकि पुराने वाहनों में एनालॉग क्लस्टर का इस्तेमाल किया जाता था। तो आइये जानते हैं इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर कितने प्रकार के होते हैं और इनके फायदे और कमियां क्या हैं।
एनालॉग इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर
पुराने समय से ही वाहनों में सबसे अधिक एनालॉग क्लस्टर का इस्तेमाल किया जाता है। ये काफी सरल होते हैं। एनालॉग क्लस्टर को सबसे पहले साल 1910 में वाहनों में जोड़ा गया था। इनमें डायल (सुई) लगे होते हैं, जो ड्राइवर को फ्यूल, स्पीड और इंजन RPM की जानकारी प्रदान करते हैं। एनालॉग क्लस्टर में उपलब्ध गेज काफी सरल होते हैं और इस वजह से इनमें होने वाले परिवर्तनों से जानकारी प्राप्त करना आसान होता है।
एनालॉग इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर के फायदे और कमियां
एनालॉग इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में अलग-अलग गेज का इस्तेमाल किया जाता है और अगर इनमें से कोई भी गेज खराब भी हो जाए तो इन्हे आसानी से बदला जा सकता है। ये गेज काफी सस्ते भी होते हैं और आसानी से उपलब्ध भी होते हैं। हालांकि, एनालॉग क्लस्टर डैशबोर्ड में अधिक जगह लेता है और इनसे बेहद ही कम जानकारी प्राप्त होती है। इस वजह से कई बार चालक को गाड़ी के जरूरी हिस्सों की जानकारी नहीं मिल पाती।
डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर
डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर एडवांस होते हैं और एनालॉग गेज की तुलना में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं। इनमें मिलने वाली जानकारी अधिक सटीक होती है। बता दें कि डिजिटल क्लस्टर टायर के दबाव और ABS की भी जानकारी देते हैं, जो एनालॉग मीटर में नहीं मिलते। वर्तमान में गाड़ियों मिलने वाले डिजिटल डिस्प्ले अलग-अलग थीम, रंग और 3D इमेजरी के साथ जानकारी की पेशकश करते हैं, जो चालक को बेहतर अनुभव प्रदान करते हैं।
डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर के फायदे और कमियां
डिजिटल डिस्प्ले का सबसे बड़ा फायदा है कि ये चालक को गाड़ी की अधिक जानकारी प्राप्त होती है। साथ ही ये गाड़ी के केबिन को थोड़ा प्रीमियम लुक देते हैं। वहीं एक एनालॉग क्लस्टर की तुलना में इनमें अधिक इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स लगे होते हैं और इस वजह से इनके खराब होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा ये थोड़ी महंगे होते हैं और इनमें अधिक मेंटनेंस लगती है।
सेमी-डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर
एनालॉग गेज और डिजिटल डिस्प्ले का भी अपना अलग-अलग आकर्षण है। इस वजह से कई गाड़ियों में सेमी-डिजिटल क्लस्टर भी मिलता है। ये दोनों तकनीकों के मिश्रण का उपयोग करके काम करता है और चालक को जानकारी प्रदान करता है। भारतीय बाजार में उपलब्ध अधिकांश गाड़ियों में सेमी-डिजिटल मिलता है। देश में उपलब्ध मारुति सुजुकी स्विफ्ट, टाटा नेक्सन, टाटा पंच और महिंद्रा XUV300 जैसी गाड़ियों में सेमी-डिजिटल क्लस्टर मिलता है।
सेमी-डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर के फायदे और कमियां
सेमी-डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर के कई फायदे हैं। पहला तो ये किफायती होते हैं और इस वजह से बजट सेगमेंट की गाड़ियों में आसानी से मिल जाते हैं। वहीं डिजिटल डिस्प्ले के समान ही इनमें अधिक जानकारियों के बारे में पता चलता है। चूंकि सेमी-डिजिटल डिस्प्ले में एनालॉग और डिजिटल दोनों डिस्प्ले उपलब्ध होते हैं और इस वजह से इनके खराब होने की भी आंशका अधिक होती है और इन्हे रिपेयर भी नहीं किया जा सकता।