टाटा समूह ने फिर दिखाई एयर इंडिया को खरीदने में रुचि, जल्द बोली लगाने की उम्मीद

भारत के टाटा समूह ने संकटग्रस्त एयर इंडिया को फिर से खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। बता दें कि टाटा एयरलाइंस का नाम एयर इंडिया होने के सात साल बाद यानी 1953 में टाटा ने एयर इंडिया को छोड़ दिया था। उसके बाद अब टाटा का फिर से एयर इंडिया में रुचि दिखाना बड़ी बात है। एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी होने के बाद भी इसके संस्थापक जेआरडी टाटा 1977 तक इसके अध्यक्ष पद पर रहे थे।
पिछले साल नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दावा किया था कि यदि एयर इंडिया का निजीकरण नहीं होता है तो मजबूरन इसके संचालन को बंद करना पड़ेगा। मई 2018 में सरकार का एयर इंडिया को बेचने का पहला प्रयास किसी खरीददार के नहीं मिलने से असफल रहा था। हालांकि, इस बार 200 एयर इंडिया कर्मचारियों के एक समूह सहित कई अन्य ने इसमें रुचि दिखाई है। स्पाइस जेट के अजय सिंह की भी इस पर नजर है।
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार अभिरुचि पात्र (EoI) विनिवेश मंत्रालय को सौंप दिया गया था। सरकार ने आज शाम 5 बजे की समय सीमा तय की थी। रविवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि समय समाप्त होने पर मंत्रालय प्राप्त बोलियों की जांच करेगा। टाटा समूह ने EoI हाल ही प्रस्तुत की है और अभी तक वित्तीय बोली नहीं लगाई है। कंपनी के अगले 15 दिनों में वित्तीय बोली लगाने की उम्मीद है।
एयर इंडिया के खरीददारों की बोलियों को अंतिम रूप देने के बाद खरीददार को सबसे पहले एयर इंडिया पर बकाया 60,000 करोड़ के कर्ज में से 23,286 करोड़ रुपये रुपये जमा कराने के लिए कहा जाएगा। शेष राशि केंद्र द्वारा एक विशेष प्रयोजन वाहन एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग में जमा कराई जाएगी। रिपोर्टों के अनुसार, टाटा समूह ने एयरएशिया इंडिया के जरिए इसे खरीदने में रुचि दिखाई है, जिसमें उसकी बहुत बड़ी हिस्सेदारी है।
टाटा संस पहले से ही विमानन व्यवसाय का एक हिस्सा है, क्योंकि यह सिंगापुर एयरलाइंस के साथ एक पूर्ण सेवा वाहक विस्तारा का संचालन कर रहे है। कंपनी की साथी सिंगापुर एयरलाइंस ने निजीकरण में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय किया है। इसका प्रमुख कारण है कि इससे उसके बढ़ते वित्तीय संकट में इजाफा होगा। दक्षिण पूर्व एशियाई कंपनी ने कोरोनो महामारी के रूप में यात्रा क्षेत्र पर पड़े प्रभाव के कारण तिमाही में बड़े नुकसान की जानकारी दी है।