फाइजर ने भारत में अपनी कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी

फार्मा कंपनी फाइजर इंडिया भारत में कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन करने वाली पहली कंपनी बन गई है। फाइजर द्वारा यूनाइटेड किंगडम और बहरीन में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए हरी झंडी हासिल करने के बाद उसकी भारतीय यूनिट ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास इसके लिए आवेदन किया है। आवेदन में फाइजर इंडिया ने DCGI से बिक्री के लिए वैक्सीन के आयात और वितरण की मंजूरी मांगी है।
फाइजर ने बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार की है। कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन संक्रमण से बचाव में 95 प्रतिशत प्रभावी और पूरी तरह सुरक्षित है। कंपनी ने सबसे पहले यूनाइटेड किंगडम (UK) और उसके बाद बहरीन में इसके आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी हासिल कर ली है। फाइजर ने हाल ही में कहा था कि वह अपनी वैक्सीन के उपयोग की संभावनाएं तलाशने के लिए सरकार से बात करेगी।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने अपने आवेदन में भारत में वैक्सीन के वितरण के साथ-साथ यहां क्लिनिकल ट्रायल से छूट की भी मांग की है। गौरतलब है कि किसी विदेशी वैक्सीन को भारत में इस्तेमाल के लिए यहां क्लिनिकल ट्रायल करने होते हैं, लेकिन इससे छूट के लिए कंपनी ने नए नियमों का हवाला दिया है। सूत्रों का कहना है कि फाइजर इंडिया ने 4 दिसंबर को आपात इस्तेमाल की मंजूरी पाने के लिए आवेदन किया था।
फाइजर-बायोएनटेक की यह वैक्सीन दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होने वाली वैक्सीन है। इसे बनाने में लगभग 10 महीने का समय लगा है। आमतौर पर किसी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल लग जाते हैं।
बता दें, फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन एक नई तकनीक पर आधारित है। इस वैक्सीन को mRNA तकनीक के जरिए बनाया गया है। इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं। मॉडर्ना की संभावित वैक्सीन भी इसी तकनीक के इस्तेमाल से बनाई जा रही है।
फाइजर की इस वैक्सीन को -70 डिग्री पर स्टोर करने की जरूरत है। भारत में फिलहाल इस स्तर के कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मौजूद नहीं है। ऐसे में फाइजर की इस वैक्सीन को भारत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। AIIMS निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया भी ऐसी चिंता जता चुके हैं। उनका कहना था कि ग्रामीण इलाकों में इस वैक्सीन को पहुंचाना चुनौतीभरा होगा। इसके लिए कोल्ड चैन बनाना बहुत मुश्किल काम होगा।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व निदेशक एनके गांगुली भी फाइजर की वैक्सीन को लेकर ऐसी ही चिंताएं जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि फाइजर की वैक्सीन अमीर देशों के लिए है। भारत में इसके स्टोरेज और वितरण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है और इसकी कीमत भी अधिक है। ऐसे में भारत में इसका उपयोग मुश्किल है। अनुमानों के अनुसार, भारत में वैक्सीन की खुराक की कीमत 2,950 से 3,700 रुपये रह सकती है।