सरकार का कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव, निरस्त करने से कम मंजूर नहीं- किसान संगठन
क्या है खबर?
कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच चौथे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। गुरूवार को हुई सात घंटे की इस बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि सरकार ने उन्हें कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्हें कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बैठक को सकारात्मक बताया। सरकार और किसानों के बीच अगली बातचीत 5 दिसंबर को होगी।
बयान
किसान नेता बोले- सरकार बैकफुट पर
बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के नेता बालकरण सिंह ब्रार ने कहा, "सरकार ने तीनों कानूनों में एक संशोधन का सुझाव दिया। लेकिन किसान संगठनों ने सर्वसम्मति से कहा कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। सरकार ने आश्वासन दिया कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नया कानून ला सकते हैं।"
महाराष्ट्र के किसान नेता शंकर डरेकर ने कहा कि सरकार का संशोधन के लिए तैयार होना दिखाना है कि वह बैकफुट पर है।
बयान
"सरकार कानून वापस लेने पर राजी नहीं हुई तो अगली बैठक में शामिल नहीं होंगे"
भारतीय किसान संघ (दकौड़ा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने मामले पर कहा, "हम शुक्रवार को सरकार से पूछेंगे कि वे कानूनों को रद्द करेगी या नहीं और अगर वे इनकार करते हैं तो हम 5 दिसंबर की बैठक में शामिल नहीं होंगे।"
सरकार का पक्ष
कृषि मंत्री बोले- किसानों को अधिक कानूनी अधिकार देने पर विचार करेंगे
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बैठक के बाद कहा कि सरकार किसानों को और कानूनी अधिकार देने पर विचार करेगी और उन्हें MSP पर आश्वासन दिया गया है। कुछ लोगों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर शक है। मैं दोहराना चाहता हूं कि MSP व्यवस्था जारी रहेगी।"
उन्होंने कहा, "किसानों की चिंता है कि नए कानून से सरकारी मंडियां खत्म हो जाएंगी। भारत सरकार इस बात पर विचार करेगी कि सरकारी मंडियां सशक्त हो।"
बयान
किसानों की मांगों पर विचार करने को तैयार सरकार- तोमर
तोमर ने ये भी कहा कि नए कानूनों में SDM कोर्ट का प्रावधान किया गया है, लेकिन किसानों को लगता है कि SDM कोर्ट निचली अदालत है और उन्हें कोर्ट जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार इस मांग पर विचार करेगी।
बैठक में किसानों ने पराली के विषय में एक अध्यादेश और बिजली कानून पर भी अपनी चिंताएं जाहिर कीं। उन्होंने कहा कि सरकार इन मुद्दों पर भी बात करने को तैयार है।
विवाद की वजह
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
विरोध प्रदर्शन
बीते कई दिन से सड़कों पर हैं किसान
इन कानूनों के विरोध में कई राज्यों, विशेषकर पंजाब और हरियाणा, के किसान 25 नवंबर से ही दिल्ली मार्च पर निकले हुए हैं और उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोकने की हरियाणा पुलिस की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं।
इस बीच किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने उनके साथ चार दौर की बैठक भी की हैं, हालांकि ये सभी बैठकें बेनतीजा रही हैं और किसान कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।