न्यू लेबर कोड का कर्मचारियों के वेतन और PF पर क्या पड़ेगा असर?
क्या है खबर?
केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए एक नया लेबर कोड लागू करने जा रही है। संभावना है कि इसे अगले साल तक लागू कर दिया जाएगा। यदि यह नियम लागू हुआ तो सैलरी, भत्तों से लेकर उनकी छुट्टियां और काम करने के घंटे में बदलाव हो जाएगा।
नियम के मुताबिक काम करने के घंटे बढ़ सकते हैं, तो वहीं सप्ताह में छुट्टियों के दिन बढ़ जाएंगे।
यहां जानते हैं कि नए लेबर कोड का कर्मचारियों पर कितना असर पड़ेगा।
जानकारी
क्या है न्यू लेबर कोड?
न्यू लेबर कोड पुराने कानूनों से मिलकर बना है। इनमें बेसिक वेतन, DA, रीटेनिंग और स्पेशल भत्तों को शामिल किया गया है। वहीं HRA, कनवेंस, बोनस, कमीशन और ओवरटाइम बोनस को इससे बाहर रखा गया है।
नए नियम में सभी भत्ते आपकी सैलरी के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होंगे। अगर होते हैं तो इसको वेज का हिस्सा माना जाएगा।
वैसे संसद में श्रम से जुड़े कानून पास हो चुके हैं, बस लागू करना बाकी है।
सैलरी कम, बढ़ेगा PF
कम होगी सैलरी, PF में बढ़ेगा योगदान
न्यू लेबर कोड लागू होने का सीधा असर आपके वेतन और प्रोविडेंट फंड (PF) पर पड़ेगा। इसकी गणना का भी तरीका बदल जाएगा। इसमें आपके वेतन और भत्तों को 50-50 प्रतिशत तय कर दिया गया है।
अब कटौती आपके बेसिक वेतन से होगी, जिसकी वजह से आपकी इन हैंड सैलरी पहले की तुलना में कम हो सकती है।
वहीं PF का हिस्सा आपके बेसिक वेतन (जो की 50 प्रतिशत होगा) से कटेगा। इससे आपका PF के लिए योगदान बढ़ जाएगा।
काम से ब्रेक
अब 5 घंटे के बाद मिलेगा काम से ब्रेक
न्यू लेबर कोड लागू होने के बाद कर्मचारियों का काम करने के तरीके में बदलाव आ जाएगा।
इस नियम के मुताबिक अब कोई भी कंपनी अपने कर्मचारी से लगातार पांच घंटे से अधिक काम नहीं करा पाएगी। इसके लिए इन्हें ब्रेक देना होगा।
नए नियमों को बनाने में सरकार का खास मकसद ये है कि कोई भी कंपनी अपने किसी भी कर्माचारी का शोषण न कर पाए। साथ ही कर्मचारी को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाया जाए।
तैयारी
कई राज्यों ने कर ली है तैयारी
केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में इसकी तैयारी की जानकारी दी थी।
उन्होंने कहा था कि, ''व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर लेबर कोड के ड्राफ्ट रूल्स को कम से कम 13 राज्य तैयार कर चुके हैं। वहीं मजदूरी पर 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने ड्राफ्ट रूल्स तैयार किया है। औद्योगिक संबंध संहिता के लिए 20 और सामाजिक सुरक्षा कोड के ड्राफ्ट रूल्स को 18 राज्यों ने तैयार कर लिया है।''