इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा भारतीय रुपया, डॉलर के मुकाबले 78.29 हुई कीमत
भारतीय रुपये में गिरावट का दौर लगातार जारी है। सोमवार को इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे की गिरावट दर्ज की गई और इसी के साथ यह अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुबह बाजार खुलने पर भारतीय रुपये ने 78.20 से शुरूआत की, लेकिन कुछ ही देर में यह नीचे गिरते हुए 78.29 के भाव पर पहुंच गया। बता दें कि शुक्रवार को भारतीय रुपया 77.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
शुक्रवार को भारतीय रुपये में आई थी 19 पैसे की गिरावट
बता दें कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 19 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। उसे रुपये का सबसे निचला स्तर माना गया था, लेकिन सोमवार को स्थिति और खराब हो गई और रुपये ने पहली बार 78 के स्तर के स्तर को पार कर लिया। डॉलर की मजबूती और रुपये के गिरते मूल्य का भारतीय बाजार सहित निवेशकों पर बुरा असर पड़ा है।
उच्चतम स्तर पर पहुंचा डॉलर का मूल्य
रुपये में गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर सोमवार को 0.4 प्रतिशत और मजूबत होते हुए 135 येन के साथ 20 साल के उच्चतर स्तर के करीब पहुंच गया है। बता दें कि साल 2002 के डॉलर का मूल्य 135.20 येन के उच्चतम स्तर पर था।
निवेशकों पर पड़ रहा है बुरा असर
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का मनना है कि कमजोर एशियाई मुद्राएं, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने से भी निवेशकों पर बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिकी मुद्रास्फीति के चार दशक के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद फेडरल रिजर्व के कड़े होने की उम्मीदों ने रुपये पर खासा दबाव डाला है। गत मार्च के बाद से रुपया लगातार गिर रहा है। मार्च में पहली बार रुपया डॉलर के मुकाबले 77 रुपये पर पहुंचा था।
क्यों गिर रही है रुपये की कीमत?
भारतीय रुपये की कीमत गिरने के कई कारण है। इसका एक अहम कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वजहों से सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश बढ़ा है। इसके अलावा भारत से विदेशी निवेश के जाने और घरेलू बाजार में विदेशी निवेश के कम होने का असर भी पड़ा है। अक्टूबर 2021 से विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 3.45 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है।
RBI के प्रयासों को नहीं मिल रही सफलता
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, हालांकि उसके सारे प्रयास विफल रहे हैं। 8 जून को ही RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी और अब ये 4.90 प्रतिशत हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल के कारण यह पहली बार 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है। इसके बावजूद रुपये की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि अब देश को विदेश से पहले जितना माल खरीदने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ेगा। आयातीत सामान के महंगा होने का सीधा असर लोगों की जेब पर भी पड़ेगा। इसी तरह महंगाई बढ़ने से रेपो रेट में भी इजाफा होगा और बैंकों से मिलने वाला ऋण महंगा हो जाएगा। इसके अलावा रुपये से इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट नजर आती है और शेयर तथा इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में कमी आती है।