अमेजन पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप, सरकार कर रही मामले की जांच
क्या है खबर?
लोकप्रिय ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म अमेजन पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप लगे हैं।
आरोप है कि अमेजन के वकीलों और लीगल टीम ने अधिकारियों को रिश्वत दी, जिस बारे में सरकार जांच कर रही है।
सरकार ने कहा है कि रिश्वतखोरी को लेकर भारत में 'जीरो टॉलरेंस' पॉलिसी है, जिसका कड़ाई से पालन करना होगा।
माना जा रहा है कि खुद अमेजन भी इस मामले में जांच कर सकती है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
रिपोर्ट
आरोपों की जांच कर रही है सरकार
NDTV ने अपनी रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों के हवाले से लिखा है, "भारत सरकार के रुख की बात करें तो सरकार के अंदर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।"
अमेजन और अधिकारियों के बीच रिश्वत से जुड़ी रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि घटना कब या कहां हुई।
जांच अधिकारियों का कहना है कि अमेजन ने दो साल में करीब 8,500 करोड़ रुपये की लीगल फीस खर्च की है।
अमेजन
अमेजन की सीनियर कॉर्पोरेट काउंसिल छुट्टी पर
द मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट की ओर से पब्लिश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेजन ने भी इसके वकीलों के खिलाफ भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने से जुड़े आरोपों की जांच शुरू की है।
कहा गया है कि अमेजन के सीनियर कॉर्पोरेट काउंसिल को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
रिपोर्ट में एक स्वतंत्र वकील का जिक्र है, जिसको दी गई लीगल फीस सरकारी अधिकारियों तक रिश्वत की शक्ल में पहुंचाई गई।
सफाई
अमेजन ने कही सख्त कार्रवाई की बात
ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के एक स्पोक्सपर्सन ने समाचार एजेंसी PTI से कहा, "भ्रष्टाचार के लिए हम जीरो टॉलरेंस फॉलो करते हैं। हम ऐसे आरोपों को गंभीरता से लेते हैं और उनकी पूरी तरह के जांच करने के बाद जरूरी कार्रवाई भी करते हैं।"
स्पोक्सपर्सन ने कहा, "हम किसी आरोप विशेष पर टिप्पणी नहीं करना चाहते या फिर इस समय चल रही किसी जांच के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं।"
CBI
ट्रेडर्स बॉडी ने की CBI से जांच करवाने की मांग
अमेजन पर लगे आरोपों को लेकर कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को एक लेटर भेजा है।
CAIT की मांग है कि अमेजन पर लगे रिश्वत देने के आरोप की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को सौंपी जाए।
ट्रेडर्स बॉडी ने कहा है कि इस तरह के आरोप सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं और जरूरत पड़ने पर वह निष्पक्ष जांच के लिए US सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) के पास भी जाएगी।