भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई जारी, जबरन रिटायर किए 15 और अधिकारी
केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को और आगे बढाते हुए 15 वरिष्ठ टैक्स अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप थेे। सरकार ने लगभग एक सप्ताह पहले भी ऐसी ही कार्रवाई में भारतीय राज्य सेवा (IRS) के 12 टैक्स अधिकारियों को जबरन रिटायर किया था। इन पर भ्रष्टाचार और अवैध वसूली जैसे आरोप थे। आइये, जानते हैं कि किन अधिकारियों को हटाया गया है।
CBIT के 15 अधिकारी हटे
सरकार की ताजा कार्रवाई में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स (CBIT) अधिकारियों को हटाया गया है। इन 15 अधिकारियों में से 11 के खिलाफ CBI मामले और दो के खिलाफ रेवेन्यू डिपार्टमेंट के केस दर्ज थे। ये सभी अधिकारी कमिश्नर या ऊपर रैंक के हैं। इस सूची में सबसे पहला नाम प्रिंसीपल कमिश्नर अनूप श्रीवास्तव का है। उनके खिलाफ CBI के दो मामले दर्ज हैं। इसके अलावा उन पर उत्पीड़न, वसूली और आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज है।
इन अधिकारियों पर गिरी गाज
अनूप श्रीवास्तव के अलावा अतुल दीक्षित, संसार चंद, जी श्री हर्षा, विनयबृज सिंह, अशोक आर महिदा, विरेंद्रकर अग्रवाल, अमरेश जैन, नलीन कुमार, एसएस प्रभाना, एसएस बिष्ट, विनोद कुमार सांगा, राजू सेकर, अशोक कुमार असवाल और मोहम्मद अल्ताफ को जबरन रिटायर किया गया है।
पिछले सप्ताह हटाए गए थे ये अधिकारी
सरकार ने ऐसी ही कार्रवाई में पिछले हफ्ते ज्वाइंट कमिश्नर अशोक कुमार अग्रवाल, कमिश्नर संजय कुमार श्रीवास्तव, कमिश्नर अलोक कुमार मित्रा, कमिश्नर अरुलप्पा बी, कमिश्नर अजोय कुमार सिंह, कमिश्नर बीबी राजेंद्र प्रसाद, कमिश्नर होमी राजवंश, कमिश्नर स्वेताभ सुमन, एडिशनल कमिश्नर अंदासु रविंद्र, एडिशनल कमिश्नर विवेक बत्रा, एडिश्नल कमिश्नर चंद्रसेन भारती और असिस्टेंट कमिश्नर राम कुमार भार्गव को रिटायर किया था। इन अधिकारियों को तीन महीने की तनख्वाह और भत्ते दिए जाएंगे। रिटारमेंट के आदेश 11 जून से लागू हो गए।
नियम 56 के तहत हुई कार्रवाई
नियम 56 का प्रयोग ऐसे अधिकारियों पर किया जाता है जो 50-55 साल की उम्र के हों और 30 साल कार्यकाल पूरा कर चुके हों। अच्छा काम न करने वाले ऐसे अधिकारियों को सरकार जबरन रिटायर कर सकती है।
123 अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा विजिलेंस कमीशन
एक दूसरे मामले में केंद्रीय विजिलेंस कमीशन भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त 123 सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अलग-अलग विभागों की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इन अधिकारियों में IAS अधिकारी, CBI और ED जैसी जांच एजेंसियों में काम करने वाले अधिकारी भी शामिल है। इन आरोपियों में सबसे ज्यादा 45 अधिकारी सरकारी बैंकों के हैं। नियमों के मुताबिक, चार महीने के भीतर यह मंजूरी मिल जाती है।