कोरोना वायरस के मामलों में उछाल के कारण भारत ने लगाई रेमडेसिवीर के निर्यात पर रोक
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि के कारण भारत ने एंटी-वायरल दवाई रेमडेसिवीर के निर्यात पर रोक लगा दी है। अपने आदेश में सरकार ने कहा है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन और रेमडेसिवीर एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) के निर्यात पर देश में स्थिति स्थिर होने तक प्रतिबंध रहेगा।
कुछ राज्यों से रेमडेसिवीर की किल्लत की खबरें आने के बाद केंद्र सरकार ने ये आदेश जारी किया है। सरकार ने इसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए भी निर्देश जारी किए हैं।
बयान
मामलों में उछाल के कारण अचानक बढ़ी रेमडेसिवीर की मांग- सरकार
आज अपने एक बयान में रेमडेसिवीर के निर्यात पर प्रतिबंध की सूचना देते हुए केंद्र सरकार ने कहा, "भारत में कोविड के मामलों में उछाल देखने को मिल रहा है। 11 अप्रैल तक 11.08 लाख सक्रिय मामले हैं और ये लगातार बढ़ रहे हैं। इससे कोविड मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग में अचानक उछाल आया है। आने वाले दिनों में इस मांग में और उछाल आने की संभावना है।"
आसान पहुंच
उत्पादक कंपनियों को वेबसाइट पर भंडारकों और वितरकों की सूचना प्रकाशित करने का निर्देश
केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि रेमडेसिवीर तक अस्पतालों और कोविड मरीजों की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए रेमडेसिवीर के सभी स्वदेशी उत्पादकों को अपने सभी भंडारकों और वितरकों की सूचना अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने को कहा गया है।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ये सूचना निजी और सरकारी दोनों तरह के अस्पतालों तक पहुंचाने को कहा गया है।
कालाबाजारी और उत्पादन
कालाबाजारी रोकने और उत्पादन बढ़ाने के लिए भी दिए गए निर्देश
सरकार ने ड्रग इंस्पेक्टर्स और अन्य अधिकारियों को भंडार का सत्यापन करने का निर्देश भी दिया है ताकि रेमडेसिवीर की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोका जा सके। वहीं फार्मास्यूटिकल्स विभाग को रेमडेसिवीर का उत्पादन बढ़ाने के लिए घरेलू उत्पादकों से संपर्क करने को कहा गया है।
बता दें कि भारत में सात कंपनियां अमेरिका की गिलियाड साइंसेज से लाइसेंस मिलने के बाद रेमडेसिवीर का उत्पादन कर रही हैं। ये कंपनियां हर महीने लगभग 38.80 लाख यूनिट उत्पादन करती हैं।
पृष्ठभूमि
अमेरिका में हुए ट्रायल में कारगर पाई गई थी रेमडेसिवीर
अमेरिकी कंपनी 'गिलियाड' की एंटी-वायरल दवा रेमडेसिवीर को सबसे पहले इबोला के लिए बनाया गया था, लेकिन ये उसके इलाज में प्रभावी साबित नहीं हुई।
कोरोना वायरस महामारी शुरू होने पर इसे कोविड-19 के इलाज में आजमाया गया और अमेरिका में 1,062 मरीजों पर हुए एक ट्रायल में इसके इस्तेमाल पर मरीजों के अस्पताल में रहने के समय में पांच दिन की कमी दर्ज की गई।
हालांकि WHO के ट्रायल में इसे असरदार नहीं पाया गया।
इस्तेमाल
कई देशों में हो रहा है रेमडेसिवीर का उपयोग
अभी भारत, अमेरिका, यूरोप और जापान समेत कई देशों में कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिवीर का प्रयोग किया जा रहा है और WHO के इसका इस्तेमाल न करने की सलाह के बावजूद इन देशों ने इनका प्रयोग जारी रखा हुआ है।
दुनियाभर के डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों ने भी रेमडेसिवीर की वकालत की है और उन्होंने कहा है कि इससे अस्पतालों पर महामारी का बोझ कम करने और लोगों को बचाने में बहुत मदद मिली है।