#NewsBytesExplainer: नई टैक्स व्यवस्था की तुलना में किसके लिए बेहतर हो सकती है पुरानी टैक्स व्यवस्था?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश कर दिया है। इसमें इनकम टैक्स को लेकर 2 बड़ी घोषणाएं की गई हैं। पहली, स्टैंडर्ड डिडक्शन यानी मानक कटौती की सीमा 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी गई है। दूसरा बड़ा बदलाव टैक्स स्लैब में हुआ है। इन बदलावों के बाद सवाल उठ रहा है कि आपके लिए कौन-सी टैक्स व्यवस्था ज्यादा बेहतर है। आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं।
पहले 2 टैक्स व्यवस्थाओं के बारे में जानिए
भारत में वर्तमान में 2 इनकम टैक्स व्यवस्थाएं हैं। एक नई और एक पुरानी। नई व्यवस्था को 2020 में लागू किया गया था और अब इसमें संशोधन किया गया। पुरानी व्यवस्था सालों से लागू है। करदाताओं को पास दोनों व्यवस्थाओं में से किसी एक का चुनाव करने का विकल्प उपलब्ध है। अगर आप किसी भी व्यवस्था का चुनाव नहीं करते हैं तो इस स्थिति में आपको नई व्यवस्था के तहत ही अपना इनकम टैक्स भरना होता है।
पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था में कैसे लगता है टैक्स?
पुरानी व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है। 2.5-5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। हालांकि, 5 लाख तक की आय वालों को आयकर अधिनियम की धारा 87A के तहत 12,500 रुपये की छूट मिलती है, जिससे 5 लाख तक की आय पर टैक्स शून्य हो जाता है। इसके बाद 5-10 लाख आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से ऊपर 30 प्रतिशत टैक्स है।
नई टैक्स व्यवस्था में क्या बदलाव किए गए हैं?
नई टैक्स व्यवस्था में पहले की तरह अब भी 0-3 लाख की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 3 से 7 लाख की आय पर 5 प्रतिशत, 7 से 10 लाख की आय पर 10 प्रतिशत, 10-12 लाख की आय पर 15 प्रतिशत, 12-15 लाख की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख से ज्यादा पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा। इसमें भी धारा 87A के तहत छूट मिलेगी, जिससे 7 लाख तक की आय पर टैक्स शून्य हो जाता है।
पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलती हैं ज्यादा डिडक्शन
पुरानी टैक्स व्यवस्था में आपको मकान किराया भत्ता (HRA), होम लोन ब्याज (2 लाख रुपये तक), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम, बच्चों की स्कूल फीस और धारा 80C के तहत निवेश (1.5 लाख रुपये तक) समेत कई डिडक्शन मिलती हैं। हालांकि, ये सब डिडक्शन आप नई टैक्स व्यवस्था में नहीं लगा सकते। इसके अलावा पुरानी टैक्स व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये मिलेगा, वहीं नई टैक्स व्यवस्था में इसे अब 75,000 रुपये कर दिया गया है।
इन लोगों के लिए फायदेमंद है पुरानी टैक्स व्यवस्था
स्टैंडर्ड डिडक्शन लगाने के बाद पुरानी टैक्स व्यवस्था में 5.50 लाख और नई टैक्स व्यवस्था में 7.75 लाख रुपये तक आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसलिए 7.75 लाख रुपये तक आय वालों को नई टैक्स व्यवस्था के तहत अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरनी चाहिए। अगर आपकी आय 10 लाख रुपये से अधिक है तो आप पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत अपनी ITR भर सकते हैं क्योंकि इसमें आपको अधिक डिडक्शन मिलेंगी।
इस उदाहरण से समझें
अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है और पुरानी टैक्स व्यवस्था में आप पात्रता के आधार पर 3.50 लाख रुपये तक छूट और डिडक्शन (2 लाख रुपये होम लोन ब्याज, 1.5 लाख रुपये 80C) 50,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम करते हैं तो आपको कुल 33,800 रुपये टैक्स देना होगा। स्वास्थ्य बीमा, स्कूल फीस आदि डिडक्शन क्लेम कर के टैक्स और भी कम कर सकते हैं। नई टैक्स व्यवस्था में 10 लाख सालाना आय पर 44,200 रुपये टैक्स लगेगा।