#NewsBytesExplainer: बजट से जुड़े कठिन तकनीकी शब्दों के मतलब आसान भाषा में जानिए
क्या है खबर?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई, 2024 को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी।
आमतौर पर बजट फरवरी में पेश किया जाता है, लेकिन इस साल चुनाव के चलते फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था। अब नई सरकार के गठन के बाद पूर्ण बजट पेश किया जाएगा।
बजट में अक्सर कई तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। आइए आज ऐसे कुछ शब्दों के मतलब आसान भाषा में समझते हैं।
GDP
क्या होती है GDP?
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसी भी देश में एक निश्चित समयसीमा के भीतर उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य है।
आसान भाषा में समझें तो सुई से लेकर हवाई जहाज तक, देश में बनने वाले सभी सामानों और सेवाओं के मूल्य को जोड़ दिया जाए तो GDP का आंकड़ा मिलेगा।
इससे देश की आर्थिक सेहत का पता चलता है। आमतौर पर GDP की गणना वार्षिक आधार पर की जाती है।
राजकोषीय घाटा
फिस्कल डेफिसिट या राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटे का मतलब सरकार की आमदनी और खर्च का अंतर होता है। अगर सरकार का खर्च आमदनी से ज्यादा रहता है तो उसे कर्ज लेना पड़ता है। वह कितना कर्ज लेगी यह राजकोषीय घाटे से तय होता है।
बजट में सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान भी पेश करती है। राजकोषीय घाटे की गणना किसी वित्त वर्ष में सरकार को प्राप्त कुल राजस्व को उसी अवधि के दौरान हुए खर्च से घटाकर की जाती है।
टैक्स
डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स
डायरेक्ट टैक्स वो हैं, जो नागरिक सरकार को सीधे तौर पर देते हैं। ये टैक्स आपकी आय पर लगता है और किसी दूसरे को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। जैसे इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स।
इनडायरेक्ट टैक्स वो हैं, जो वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। इसे किसी दूसरे को स्थानांतरित किया जा सकते है। जैसे थोक विक्रेता इसे खुदरा विक्रेता को दे सकता है। इनमें उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, सेवा शुल्क, GST आदि आते हैं।
व्यय
योजनागत और गैर-योजनागत व्यय
योजनागत व्यय का मतलब नियोजित या विकास गतिविधियों और कार्यक्रमों के लिए जारी राशि से है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा विकास, गरीबी उन्मूलन, कृषि और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर खर्च शामिल हैं।
गैर-योजनागत व्यय में वे सभी खर्च शामिल हैं, जिन्हें योजना व्यय में शामिल नहीं किया गया। इसमें सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन, ऋणों पर ब्याज भुगतान शामिल है। हालांकि, 2017-18 से इनकी जगह पूंजीगत और राजस्व व्यय का इस्तेमाल किया जाता है।
बजट
आम बजट और अंतरिम बजट
आम बजट पूरे वित्तीय वर्ष के लिए लाया जाता है, जबकि अंतरिम बजट चुनावी साल में पेश होता है।
जिस साल लोकसभा चुनाव होते हैं, उस साल अंतरिम बजट पेश किया जाता है। जैसे इस साल फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था।
अंतरिम बजट का मुख्य उद्देश्य चुनाव से पहले के कुछ महीनों का खर्च निकालना होता है, ताकि कामकाज में बाधा न आए। अंतरिम बजट में कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया जाता है।
समेकित कोष
समेकित कोष और आकस्मिक कोष
समेकित कोष सरकार का वह कोष है, जिसमें सभी राजस्व प्राप्तियां, सरकार द्वारा जारी ट्रेजरी बिल्स और वसूले गए ऋण को शामिल किया जाता है। इस निधि में से कोई भी राशि संसद की मंजूरी के बिना निकाली/जमा नहीं की जा सकती।
आकस्मिक कोष का इस्तेमाल बाढ़, भूकंप जैसी राष्ट्रीय आपदा में किया जाता है। इसमें से संसद की मंजूरी के बिना राशि निकाली जा सकती है। बाद में इस राशि को वापस जमा कर दिया जाता है।