कैसे तैयार होता है देश का आम बजट? जानिए इसकी प्रक्रिया सहित दिलचस्प बातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय आम बजट पेश करेंगी। इसमें अगले 5 वर्षों के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट होगा। इस साल की शुरुआत में वित्त मंत्री सीतारमण ने 2024 के लोकसभा चुनावों के कारण अंतरिम बजट पेश किया था। आइए जानते हैं कि बजट तैयार कैसे होता है और इसे तैयार करने में किन बातों का ध्यान रखा जाता है।
संविधान में कहां किया गया है बजट का जिक्र?
संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण की चर्चा है। इसके तहत सरकार को अपने हर साल की कमाई और व्यय का ब्यौरा देना अनिवार्य होता है। 'बजट' शब्द फ्रांस के बुजे से निकला है, जिसका अर्थ होता है चमड़े का बैग। माना जाता है कि सरकार और उद्योगपति अपनी कमाई और खर्च के दस्तावेज चमड़े के बैग में रखते हैं। यही कारण है कि वित्त मंत्री भी अपने दस्तावेज एक बैग में लेकर संसद पहुंचते हैं।
भारत का पहला बजट किसने पेश किया?
भारत में पहला बजट 1860 में ब्रिटिश सांसद जेम्स विल्सन ने पेश किया था। उस बजट को अंग्रेजी में मुद्रित किया गया था। स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था।
क्या होता है बजट?
बजट सरकार के आय और व्यय का ब्यौरा होता है। बजट पेश करने से पहले एक सर्वे से कराया जाता है, जिसमें सरकार अनुमान लगाती है कि उसे प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, रेलवे के किराए और अलग-अलग मंत्रालय के जरिए कितनी कमाई होगी। यह भी सामने आता है कि आगामी साल में सरकार का कितना अनुमानित खर्च होगा। आसान शब्दों में बजट एक साल में होने वाले अनुमानित राजस्व (कमाई) और खर्चों (अनुमानित व्यय) का ब्यौरा होता है।
भारत में कौन तैयार करता है बजट?
बजट तैयार करने में वित्त मंत्रालय के साथ नीति आयोग और खर्च से जुड़े मंत्रालय शामिल होते हैं। अलग-अलग मंत्रालयों के अनुरोध पर खर्च का प्रस्ताव तैयार होता है। बजट बनाने का काम वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग का बजट सेक्शन करता है।
कितने चरणों में तैयार होता है बजट?
बजट 3 चरणों में तैयार होता है। पहले चरण में सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थानों, विभागों, सैन्य बलों से आगामी साल के लिए अनुमानित खर्च का आंकलन लिया जाता है। दूसरे चरण में आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग अलग-अलग हितधारकों (किसानों, व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसाइटी संस्थानों) से चर्चा करते हैं। इस प्रक्रिया को बजट पूर्व चर्चा कहा जाता है। इसके बाद वित्त मंत्री टैक्स को लेकर अंतिम फैसला लेते हैं।
प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद बजट को दिया जाता है अंतिम रूप
वित्त मंत्री बजट को अंतिम रूप देने से पहले प्रधानमंत्री से भी चर्चा करते हैं और उन्हें अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में लिए गए अहम फैसलों से अवगत कराया जाता है। प्रधानमंत्री की सहमति के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होती है।
तीसरे चरण में क्या होता है?
तीसरे और अंतिम चरण में वित्त मंत्रालय बजट तय करने से जुड़े सभी विभागों से आमदनी और खर्च की रसीदें हासिल करता है। इससे अगले साल की अनुमानित कमाई और खर्चों की योजना तैयार होती है। इसके बाद सरकार दोबारा राज्यों, बैंकरों, अर्थशास्त्रियों आदि से चर्चा कर टैक्स में छूट और आर्थिक मदद देने जैसे मामलों पर बात करती है। आखिर में वित्त मंत्रालय संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर बजट भाषण तैयार करने का काम शुरू करता है।
क्यों आयोजित की जाती है हलवा सेरेमनी?
संसद में बजट पेश किए जाने से 1 सप्ताह पहले उसकी छपाई शुरू होती है। इस दौरान पारंपरिक 'हलवा सेरेमनी' आयोजित की जाती है। इसमें बड़ी मात्रा में हलवा तैयार किया जाता है, जिसे बजट टीम में शामिल अधिकारियों और सहायक कर्मचारियों को परोसा जाता है। यह काम खुद वित्त मंत्री के हाथों से होता है। इसे आप उस प्राचीन भारतीय परंपरा का हिस्सा समझ सकते हैं, जिसमें कोई महत्वपूर्ण काम करने से पहले मीठा खाया जाता है।
बजट से जुड़े लोगों के घर जाने पर लगती है पाबंदी
हलवा सेरेमनी के साथ ही लॉक-इन पीरियड शुरू हो जाता है। इसका मकसद बजट की गोपनीयता को बरकरार रखना होता है। बजट से जुडे सभी अधिकारी और कर्मचारियों पर संसद में बजट पेश किए जाने तक घर जाने की अनुमति नहीं होती है और न ही वह किसी बाहरी व्यक्ति से बात कर सकते हैं। पहले यह अवधि लंबी होती थी, लेकिन 2021 से बजट के डिजिटल होने के बाद यह अविध बहुत कम रह गई है।
सबसे लंबा और सबसे छोटा बजट भाषण किसके नाम?
भारत का सबसे लंबा बजट भाषण 1 फरवरी, 2020 को वित्त मंत्री सीतारमण ने दिया था। इसकी अविध 2 घंटे 40 मिनट की थी। हालांकि, शब्दों की संख्या के हिसाब से सबसे लंबा बजट भाषण 1991 में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का था, जिनके बजट भाषण में 18,650 शब्द थे। इसी तरह सबसे छोटा बजट भाषण साल 1977 में पूर्व वित्त मंत्री हीरूभाई मुल्जीभाई पटेल का अंतरिम बजट भाषण था और वह केवल 800 शब्दों का था।
संसद में किसके नाम है सर्वाधिक बजट पेश करने का रिकॉर्ड?
वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम संसद के इतिहास में सबसे अधिक 10 बजट पेश करने का रिकॉर्ड है। उनके बाद पी चिदंबरम (9) और प्रणब मुखर्जी (8) हैं। हालांकि, देसाई ने अपने कार्यकाल में 6 पूर्ण और 4 अंतरिम बजट ही पेश किए थे। ऐसे में जब वित्त मंत्री सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी तो यह उनका 7वां पूर्ण बजट होगा और वह सबसे ज्यादा पूर्ण बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री बन जाएंगी।