
बजट 2024: क्या रेल किराए में आएगी कमी? जानिए रेल बजट से क्या है उम्मीदें
क्या है खबर?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को आम बजट पेश करेंगी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला और वित्त मंत्री सीतारमण का 7वां पूर्ण बजट होगा।
इस दौरान वह रेल बजट भी पेश करेंगी। इस बार रेल बजट से लोगों को बड़ी उम्मीदें होंगी।
इनमें नई ट्रेन की सौगातों के साथ किराए में कमी और वरिष्ठ नागरिकों को किराए में रियायत समेत कई मांगे शामिल है।
आइए जानते हैं क्या ये मांगे पूरी हो पाएंगी।
नेटवर्क
भारत में कैसा है रेल का नेटवर्क?
कॉमर्स मिनिस्ट्री के ट्रस्ट इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, भारत में रोजाना करीब 22,500 ट्रेन संचालित होती हैं।
इनमें करीब 13,460 यात्री ट्रेनें 7,349 स्टेशनों को कवर करती हैं। इनमें रोजाना करीब 2.50 करोड़ यात्री सफर करते हैं। इसी कारण भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है
इनके अलावा देशभर में हर दिन 9,200 से अधिक मालगाड़ियों का भी संचालन होता है। मालगाड़ी और यात्री ट्रेन मिलकर प्रतिदिन लगभग 67,500 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं।
जानकारी
भारत में कितनी है रेलवे ट्रैक की लंबाई?
देश में रेलवे ट्रैक की लंबाई 1,08,706 किलोमीटर है। इसमे 86,526 किलोमीटर ब्रॉडगैज, 18,529 किलोमीटर गैज और 3,651 किलोमीटर नैरोगैज है। देश में कुल रेलवे रूट 63,028 किलोमीटर है। इसी तरह रेलवे कुल करीब 12 लाख कर्मचारियों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा नियोक्ता है।
रेल बजट
सबसे पहले जानते हैं कि रेल बजट में क्या-क्या होता है?
रेल बजट भारतीय रेलवे के लिए केंद्र सरकार का वार्षिक वित्तीय विवरण होता है।
इसमें राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करने और रेलवे नेटवर्क के विकास को सुविधाजनक बनाने की रूपरेखा तैयार होती है।
नया रेल बजट पिछले वर्ष के वित्तीय प्रदर्शन की गहन समीक्षा पर आधारित होता है, जिसमें खर्च और राजस्व (आय) की जानकारी होती है।
बजट में रेलवे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और आगामी वर्ष की आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रस्ताव शामिल होते हैं।
जानकारी
रेल बजट को लेकर सरकार ने तोड़ी थी 92 साल पुरानी परंपरा
पहले रेल और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे, लेकिन 2017 में मोदी सरकार ने 92 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए दोनों को एक कर दिया था। रेल बजट पहली बार साल 1924 में ब्रिटिश शासन के दौरान पेश किया गया था।
किराया
क्या रेल किराए में होगी कटौती की घोषणा?
रेलवे से जड़े विशेषज्ञों के अनुसार, फरवरी 2024 में रेलवे ने किराए की दरों को कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर ला दिया था। उससे पहले यात्रियों को पैसेंजर ट्रेन में यात्रा के लिए भी एक्सप्रेस का किराया देना पड़ता था।
ऐसे में आगामी बजट में किराए में कटौती की उम्मीद बहुत कम है। हालांकि, राजधानी, वंदे भारत सहित अत्याधुनिक सुविधाओं वाली ट्रेनों के किराए में कमी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
वरिष्ठ नागरिक
क्या वरिष्ठ नागरिकों को फिर से मिलेगी छूट?
रेलवे ने मार्च 2020 में वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली छूट बंद कर दी थी।
उसके बाद महिला वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50 प्रतिशत और पुरुषों के साथ ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों के लिए 40 प्रतिशत छूट खत्म हो गई थी।
अब वरिष्ठ नागरिकों को अन्य यात्रियों की तरह पूरा किराया देना होता है। इसे फिर से लागू करने की मांग चल रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बजट में इस छूट की घोषणा की जा सकती है।
सौगात
क्या देश को मिलेगी नई ट्रेनों की सौगात?
रेल विशेषज्ञों की माने तो इस बजट में यात्री क्षमता और सुरक्षा सुधार को प्राथमिकता दी जा सकती है।
इसमें कोचों की संख्या बढ़ाना, मौजूदा ट्रेनों को अपग्रेड करना या नई वंदे भारत श्रेणियों (वंदे मेट्रो, चेयर कार, स्लीपर) पर ध्यान केंद्रित करना शामिल हो सकता है।
हालांकि, विशिष्ट मार्गों पर अधिक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू करने या हाल ही में शुरू की गई नमो भारत ट्रेनों के विस्तार से संबंधित घोषणाएं भी हो सकती हैं।
फोकस
बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर रहेगा फोकस
विशेषज्ञों के अनुसार, रेल बजट में यात्रा के समय कम करने और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में कई घोषणाएं हो सकती हैं।
इनमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन जैसी हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं को लागू करना शामिल होगा।
इसी तरह स्टेशनों के पुनर्विकास की योजना को और विस्तृत किया जा सकता है और डबल ट्रैक, रेल लाइनों का विद्युतीकरण और मालगाड़ियों के लिए अलग ट्रैक का विस्तार हो सकता है।
सुरक्षा
यात्रियों की सुरक्षा और हादसों पर नियंत्रण के लिए भी उठाए जा सकते हैं कदम?
विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले साल हुई बड़ी रेल दुर्घटनाओं ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए केंद्र का ध्यान खींचा है।
आगामी रेल बजट में इस बात को ध्यान में रखा जाएगा और उसके अनुसार आवंटन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
रेलवे ट्रैक पर 'कवच' प्रणाली की स्थापना लागत (जिसमें स्टेशन उपकरण भी शामिल हैं) कथित तौर पर 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर है। ऐसे में इसे पूरे देश में स्थापित करने के लिए अतिरिक्त बजट भी दिया जा सकता है।