बजट से MSME को क्या उम्मीदें? मुद्रा लोन और निर्यात पर हो सकता है बड़ा ऐलान
क्या है खबर?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करने जा रही हैं।
इस बजट से देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) को कई उम्मीदें हैं। लोगों को रोजगार देने में इस क्षेत्र का बड़ा योगदान है, ऐसे में MSME से जुड़े लोग सरकार से कई उम्मीदें लगाए बैठे हैं।
आइए जानते हैं कि बजट में MSME सेक्टर की क्या मांग है और बजट में क्या घोषणाएं हो सकती हैं।
मुद्रा योजना
मुद्रा योजना के तहत बढ़ सकती है कर्ज की सीमा
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत फिलहाल MSME के लिए कर्ज की सीमा 10 लाख रुपये है। माना जा रहा है कि बजट में इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जा सकता है।
साथ ही व्यापारी ये मांग भी कर रहे हैं कि ऐसे लोन जो MSME के लिए असुरक्षित माने जाते हैं, उसका क्रेडिट गारंटी कवर भी बढ़ाया जाए।
अभी क्रेडिट गारंटी कवर 2 करोड़ रुपये है, जिसे 5 करोड़ रुपये करने की मांग हो रही है।
आयकर अधिनियम
आयकर अधिनियम की धारा 43B (H) में हो सकता है बदलाव
सरकार ने 1 अप्रैल, 2024 से आयकर अधिनियम की धारा 43B (H) लागू की थी। इसके तहत, MSME से खरीदारी करने वाली कंपनियों को 45 दिन के अंदर राशि का भुगतान करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो जितनी राशि बचती है उसे करयोग्य आय में जोड़ा जाएगा।
MSME का कहना है कि इस वजह से बड़े खरीदार उनसे दूर चले गए हैं। इससे बचने के लिए कई कंपनियां MSME पंजीकरण रद्द करवा रही है।
NPA
NPA से संबंधित नियमों में ढील संभव
बजट में स्पेशल मेंशन एकाउंट (SMA) के नियमों में भी ढील दिए जाने की संभावना है।
नियमों के तहत, 5 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज वाले खाते में किश्त 30 दिन से अधिक बकाया नहीं होना चाहिए। वरना बैंक ऐसे खाते को SMA श्रेणी में रखता है। SMA में रखने से कंपनी का कामकाज प्रभावित होता है और खाता नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बन जाता है।
बजट में SMA वर्गीकरण की समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।
निर्यात
निर्यात के लिए विशेष फंड बना सकती है सरकार
जानकारों का कहना है कि सरकार MSME से निर्यात बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का विशेष फंड बना सकती है।
इससे MSME उत्पादों को विदेशी बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने और निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकेगा।
इसके अलावा निर्यात बढ़ाने के लिए अलग निकाय भी बनाया जा सकता है। इंडिया MSME फोरम ने भी MSME के विकास, प्रमोशन और ग्लोबल मार्केटिंग के लिए 5,000 करोड़ रुपये का फंड बनाने का सुझाव दिया है।
मांग
और क्या है MSME सेक्टर की मांग?
चेम्बर ऑफ एसोसिएशंस ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड के अध्यक्ष दीपेन अग्रवाल ने कहा, "हमारी पहली मांग है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में अप्रत्यक्ष कर को सरल बनाया जाए। दूसरी है कि कई नए क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को शुरू किया जाए। इससे स्थानीय स्तर पर निर्माण को बढ़ावा और नए रोजगार उपलब्ध होंगे। तीसरी कि छोटे और मंझोले क्षेत्र के लिए लीज होल्ड प्रापर्टी पर 18 प्रतिशत GST को कम किया जाए।"
MSME सेक्टर
कितना बड़ा है MSME सेक्टर?
देश में 6 करोड़ से ज्यादा MSME हैं, जिनमें 11 करोड़ से ज्यादा लोग काम करते हैं। यह देश में काम करने वाले लोगों की कुल संख्या का 40 प्रतिशत है।
वहीं, देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में MSME का हिस्सा करीब 29 प्रतिशत है का योगदान देता है।
मेन्युफेक्चरिंग क्षेत्र में MSME की हिस्सेदारी करीब 45 प्रतिशत है। देश के कई स्टार्टअप्स भी अब इसी सेक्टर का हिस्सा हैं।