#NewsBytesExplainer: दुनियाभर के बैंकों पर संकट, भारतीय बैंक कितने सुरक्षित?
दुनियाभर के बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल मची है। अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक के बाद सिग्नेचर बैंक भी दिवालिया हो गया है, वहीं बंद होने की खबरों के बीच यूरोप के क्रेडिट सुइस बैंक को भी दूसरे बैंक ने खरीद लिया है। वैश्विक स्तर पर हुए इन घटनाक्रमों से भारतीय बैंकों पर भी खतरे के कयास लगाए जा रहे हैं। आइए समझते हैं भारतीय बैंकों की स्थिति कैसी है और क्या उन पर भी डूबने का खतरा है।
कितनी मजबूत है भारतीय बैंकों की वित्तीय स्थिति?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, बैंकों को अपनी कुल संपत्ति और जोखिम वाली संपत्ति का न्यूनतम अनुपात 9 प्रतिशत रखना जरूरी है। भारतीय बैंको का ये आंकड़ा 16 प्रतिशत पर है। भारतीय बैंकों के ऊपर खराब कर्ज (बैड लोन) का आंकड़ा लगातार कम हो रहा है। 2019 में भारतीय बैंकों पर 10.8 प्रतिशत खराब कर्ज था, जो 2024 में घटकर 4.9 प्रतिशत रह गया है। खराब कर्ज यानी ऐसे लोन जिनका भुगतान समय पर न किया जाए।
भारतीय बैंकों पर कम है फॉरेन क्लेम
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बैंकों के ऊपर फॉरेन क्लेम अमेरिका और यूरोपीय बैंकों के मुकाबले बेहद कम है, इस वजह से वैश्विक वित्तीय संकट का असर भारतीय बैंकों पर पड़ने की संभावना कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पर कुल 18,570 करोड़ डॉलर, जबकि अमेरिका पर 8,64,130 करोड़ डॉलर और ब्रिटेन पर 8,07,140 करोड़ डॉलर का फॉरेन क्लेम है।
भारतीय बैंक अमेरिकी बैंकों से बेहतर- विशेषज्ञ
रेटिंग एजेंसी ICRA के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा, "वर्तमान में भारतीय बैंक अमेरिकी बैंकों की तुलना में ज्यादा बेहतर स्थिति में है। इसके पीछे मजबूत वित्तीय स्थिति और नियामक संस्थाओं की कड़ी निगरानी है।"
भारत में नियंत्रित ब्याज दर
अमेरिका के बैंकों पर संकट का सबसे बड़ा कारण ब्याज दरों में तेज वृद्धि है। पिछले साल मार्च से अब तक अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में 450 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है। वहीं पिछले साल मई से अब तक भारत में ब्याज दर में 250 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की गई है। इस लिहाज से भारतीय बैंकों पर अमेरिकी बैंकों की तुलना में दबाव कम है।
98 प्रतिशत जमा खातों की राशि का बीमा
पिछले तीन सालों में बैंकों पर आए संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों में जमा सुरक्षित राशि की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के मुताबिक, इस लिमिट को बढ़ाने से देश के 98 प्रतिशत जमा खातों की राशि का बीमा हो गया है। वहीं अमेरिका के शीर्ष 10 बैंकों में 38 से लेकर 66 प्रतिशत तक की रकम का ही बीमा है।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली काफी मजबूत- शक्तिकांत दास
भारत में बैंकिंग प्रणाली पर संकट की आशंका के बीच RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली काफी मजबूत है। उन्होंने कहा, "घरेलू अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर है। महंगाई का बुरा दौर पीछे छुट चुका है। कोविड महामारी, यूक्रेन युद्ध और कड़ी मौद्रिक नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगे झटकों के बावजूद ऐसा हुआ है।" उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि वे रिस्क मैनेजमेंट की व्यवस्था को और मजबूत करें।
बड़े बैंकों को बचाता है RBI का फ्रेमवर्क
RBI हर साल डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंक (D-SIBs) की एक सूची जारी करता है। ये काफी बड़े बैंक होते हैं, जिनके बंद होने का असर अर्थव्यवस्था समेत कई पहलुओं पर हो सकता है। किसी भी आर्थिक संकट के समय सरकार इन बैंकों की खासतौर पर मदद करती है। RBI की ताजा जारी की गई D-SIBs की सूची में SBI, HDFC बैंक और ICICI बैंक के नाम शामिल हैं।
दुनियाभर में बैंकिंग सेक्टर में क्या हो रहा है?
10 मार्च को अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक को बंद कर दिया गया। इसके 48 घंटे बाद ही न्यूयॉर्क के सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लगा दिया गया। ये दोनों बैंक तकनीकी क्षेत्र में निवेश के लिए जाने जाते थे। इसके एक हफ्ते बाद ही स्विट्जरलैंड के दूसरे सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुइस के शेयर की कीमतों में बड़ी गिरावट आई। दिवालिया होने की खबरों के बीच क्रेडिट सुइस को यूबीएस बैंक ने खरीद लिया।