अडाणी समूह भारत में और अधिक हवाई अड्डों के संचालन के लिए लगाएगा बोली
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद विवादों में घिरे अडाणी समूह की कंपनी अडाणी एयरपोर्ट्स ने बड़ा ऐलान किया है। कंपनी ने कहा है कि वह भारत में हवाई अड्डों का संचालन करने के लिए बोली लगाना जारी रखेगी। अडाणी एयरपोर्ट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अरुण बंसल ने कहा कि केंद्र सरकार अगले कुछ वर्षों में लगभग एक दर्जन से अधिक हवाई अड्डों के निजीकरण कर सकती है, जिनकी बोली में अडाणी समूह भाग लेता रहेगा।
देश में हवाई अड्डों का अग्रणी संचालक बनना चाहता है समूह
रायटर्स के मुतबिक, बंसल ने आगे कहा कि अडाणी समूह देश में हवाई अड्डों का अग्रणी संचालक बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि समूह देश की एविएशन इंडस्ट्री में तेजी से विस्तार करना चाहता है। बंसल ने बताया कि समूह दिसंबर 2024 तक नवी मुंबई हवाई अड्डे का संचालन शुरू कर देगा। पहले चरण में इस हवाई अड्डे के पास सालाना 2 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता होगी।
वर्तमान में 7 हवाई अड्डों का संचालन कर रहा है अडाणी समूह
बता दें कि अडाणी एयरपोर्ट्स वर्तमान में 7 हवाई अड्डों का संचालन कर रही है, जबकि एक अन्य का निर्माण कर रही है। अडाणी समूह द्वारा संचालित किए जा रहे 7 हवाई अड्डों में घरेलू यात्रियों की संख्या में 92 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में 133 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा हवाई अड्डों के निजीकरण के पिछले दौर में अडाणी एयरपोर्ट्स ने 6 हवाई अड्डों के संचालन के लिए बोलियां जीती थीं।
क्या है केंद्र सरकार की हवाई अड्डों के निर्माण की योजना?
केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों में महाराष्ट्र के नवी मुंबई, कर्नाटक के विजयपुरा, हासन और शिवमोग्गा, उत्तर प्रदेश के नोएडा (जेवर), गुजरात के धोलेरा और हीरासर और आंध्र प्रदेश के भोगापुरम में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। वहीं केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय का लक्ष्य वर्ष 2024 तक अपनी क्षेत्रीय संपर्क योजना 'उड़े देश का आम नागरिक (UDAN) के तहत देशभर में 100 हवाई अड्डों को विकसित करने का है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह को हुआ था भारी नुकसान
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में गौतम अडाणी पर 'कॉर्पोरेट जगत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी' का आरोप लगाया था। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडाणी समूह की कंपनियों पर इतना कर्ज है, जो पूरे समूह को वित्तीय तौर पर अधिक जोखिम वाली स्थिति में खड़ा कर देता है। रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट हुई थी और गौतम अडाणी की व्यक्तिगत संपत्ति भी काफी नीचे गिर गई थी।