#NewsBytesExplainer: सिलिकॉन वैली बैंक पर क्यों लगा ताला और भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका में एक बार फिर से बैंकिंग संकट की आहट देखने को मिल रही है। देश का 16वां सबसे बड़ा और 40 साल पुराने सिलिकॉन वैली बैंक पर ताला लग गया है। अमेरिकी नियामक संस्था ने बैंक के कारोबार करने पर रोक लगा दी है। यह अमेरिका के इतिहास में 2008 में आए वित्तीय संकट के बाद अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग संकट है। आइये इस वित्तीय संकट की पूरी कहानी जानते हैं।
10 मार्च को बंद किया गया बैंक
10 मार्च को अमेरिकी नियामक संस्थाओं ने बैंक को बंद करने का आदेश दिया है। संघीय जमाकर्ता बीमा निगम (FDIC) को इस बैंक का रिसीवर नियुक्त किया गया है और बैंक की 210 अरब डॉलर की संपत्ति को बेचा जाएगा। FDIC को बैंक के ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी दी गई है। FDIC ने बताया है कि 13 मार्च को बैंक दोबारा खोला जाएगा, जिसमें ऑनलाइन सेवाओं समेत आधिकारिक चेक क्लियर किए जाएंगे।
क्यों बंद हुआ बैंक?
बैंक बंद होने का तात्कालीक कारण इसके शेयर में गिरावट आना था। पिछले दो दिन में सिलिकॉन वैली बैंक की मूल कंपनी SVB फाइनेंशियल ग्रुप के शेयरों में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भारी गिरावट दर्ज हुई। इस वजह से अमेरिकी बैंकों को स्टॉक मार्केट में 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। वहीं, यूरोपियन बैंकों को 50 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। इसके बाद बैंक को कारोबार करने से रोक दिया गया।
बढ़ती ब्याज दर का बैंक पर हुआ असर
दरअसल, बैंक मुख्य तौर पर टेक कंपनियों और स्टार्टअप में निवेश का कारोबार करता है। पिछले 18 महीने में अमेरिका की केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इस वजह से कई स्टार्टअप के लिए IPO लाने में परेशानी पैदा हुई और उनके सामने फंड का संकट खड़ा हो गया। फंड की कमी को पूरा करने के लिए ग्राहकों ने बैंक से पैसे निकालने शुरू कर दिए, जिसका सीधा असर बैंक के बैलेंस पर पड़ा।
स्टार्टअप से निवेशकों का मोहभंग भी वजह
कोरोना वायरस महामारी के दौरान कई टेक स्टार्टअप ने रफ्तार पकड़ी थी, लेकिन अब हालात सामान्य होने के बाद ऐसे स्टार्टअप से निवेशकों का मोहभंग होने लगा है और निवेशक कम जोखिम वाले विकल्प तलाशने लगे। इससे स्टार्टअप्स के पास फंड कमी होने लगा और उन्होंने बैंक से पैसे निकाले। इस वजह से सिलिकॉन वैली बैंक ने 8 मार्च को 2.25 बिलियन डॉलर के नए शेयर बेचने की घोषणा की। इससे ग्राहकों और निवेशकों में डर और बढ़ गया।
बैंक में जमा ग्राहकों के पैसे का क्या होगा?
बैंक के पास ग्राहकों की 175.4 अरब डॉलर की जमा राशि है। ग्राहकों की 2,50,000 डॉलर तक की जमा राशि को FDIC बीमे में कवर किया गया है। यानी इतनी राशि बैंक बंद होने के बाद भी ग्राहकों को लौटाई जाएगी। FDIC ने इसके लिए एक नए बैंक का गठन किया है। अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि जिन जमाकर्ताओं के खातों में इससे ज्यादा रकम जमा है, उन्हें उनका सारा पैसा वापस मिलेगा या नहीं।
बैंक के डूबने का भारत पर क्या होगा असर?
सिलिकॉन वैली बैंक का कई भारतीय कंपनियों में निवेश हैं, इस वजह से इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। ट्रैक्सन डेटा के मुताबिक, बैंक ने भारत में करीब 21 स्टार्टअप में निवेश कर रखा है। बैंक ने भारत में ब्लूस्टोन, पेटीएम, वन97 कम्युनिकेशन्स, पेटीएम मॉल, नापतोल, कारवाले, शादी डॉट कॉम, इनमोबी और लॉयल्टी रिवार्ड्ज जैसी कंपनियों और स्टार्टअप में निवेश कर रखा है। भारतीय स्टार्टअप्स ने बैंक से पिछले साल 150 मिलियन डॉलर का निवेश जुटाया था।
2008 के बाद ये सबसे बड़ा बैंकिंग संकट
2008 में बैंकिंग फर्म लेहमन ब्रदर्स की वजह से अमेरिका में मंदी आई थी, जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। दरअसल, 2001 से 2006 के बीच अमेरिकी रियल एस्टेट कंपनियों को खूब लोन दिए गए। जब इस सेक्टर में मंदी आई तो ये कंपनियां लोन नहीं चुका सकी। नतीजा ये हुआ कि लेहमन ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। एक ही दिन में अमेरिकी शेयर मार्केट से 1.2 लाख करोड़ डॉलर की रकम डूब गई।
सिलिकॉन वैली बैंक को खरीद सकते हैं एलन मस्क
दरअसल, आज सुबह एक ट्वीट में गेमिंग कंपनी रेजर के CEO मिन-लियांग टैन ने लिखा कि सिलिकॉन वैली बैंक को ट्विटर को खरीद लेना चाहिए और इसे डिजिटल बैंक बनाना चाहिए। इस ट्वीट के जवाब में एलन मस्क ने लिखा कि वो इस विचार का स्वागत करते हैं। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि ट्विटर के मालिक एलन मस्क सिलिकॉन वैली बैंक को खरीदने में दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
सिलिकॉन वैली बैंक के बारे में जानिए
सिलिकॉन वैली बैंक की स्थापना 1983 में बिल बिगरस्टाफ और रॉबर्ट मेडेरिस ने की थी। भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में बैंक कामकाज करता था। 40 साल बाद बैंक अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक बन गया था। इसका मुख्य काम तकनीक से जुड़ी कंपनियों और स्टार्टअप को आर्थिक मदद देने का था। वर्तमान में बैंक के पास करीब 210 अरब डॉलर की संपत्ति और 175.4 अरब डॉलर की जमा राशि है।