RBI गवर्नर ने MPC बैठक में मुद्रास्फीति को अस्वीकार्य और असंतोषजनक रूप से अधिक बताया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में मुद्रास्फीति को अस्वीकार्य और असंतोषजनक रूप से अधिक बताते हुए रेपो रेट में 50 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था। RBI द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के ब्योरे में इसका खुलासा हुआ है। बैठक में MPC के अन्य सदस्यों ने भी इसी तरह की राय जताते हुए रेपो रेट बढ़ाने का समर्थन किया था।
नीतिगत उपायों से मजबूत होगी मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता- दास
3 से 5 अगस्त तक हुई बैठक में दास ने कहा था कि मुद्रास्फीति अस्वीकार्य और असंतोषजनक रूप से बहुत अधिक है और इससे राहत के लिए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी आवश्यक है। उन्होंने कहा था कि नीतिगत उपायों से मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता और अधिक मजबूत होगी तथा मुद्रास्फीति की हालत पहले की तुलना में ठीक होगी। मुद्रास्फीति की स्थिति और आर्थिक गतिविधियों के आधार पर हम परिस्थिति अनुसार सूझबूझ के साथ उपयुक्त कदम उठाएंगे।
मौद्रिक नीति कार्रवाई को पहले करने से कम होगा दबाव- पात्रा
बैठक में RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा था कि मौद्रिक नीति कार्रवाई को पहले किए जाने से मुद्रास्फीतिक दबाव पर काबू पाया जा सकता है और महंगाई के लक्ष्य के साथ तालमेल बैठाया जा सकता है। इसी तरह इससे मध्यम अवधि में वृद्धि में नुकसान के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। इसी प्रकार बैठक में शामिल अन्य अधिकारियों ने भी दोनों शीर्ष अधिकारियों के बयानों का समर्थन किया था।
RBI ने 5 अगस्त को किया था रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान
दास की सिफारिश पर RBI ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट का इजाफा करने का ऐलान किया था। इससे रेपो रेट बढ़कर 5.40 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। RBI की ओर से पिछले तीन महीने में तीसरी बार रेपो रेट बढ़ाई गई थी।उससे पहले 4 मई को रेपो रेट में 40 और 8 जून को 50 बेसिस पॉइंट का इजाफा किया गया था। इससे सीधा असर आम आदमी पर पड़ा और बैंक लोन महंगा हो गया।
RBI गवर्नर ने क्या बताया था रेपो रेट बढ़ाने का कारण?
दास ने कहा था कि देश उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से गुजर रहा हैं और वित्तीय बाजार भी अस्थिर रहे हैं। वैश्विक और घरेलू परिदृश्यों को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति ने बेंचमार्क रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया है। उन्होंने कहा था कि मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लाने पर ध्यान देने का फैसला किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाते हुए मंदी का जोखिम बताया है।
क्या होती है रेपो रेट?
RBI जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी RBI से लोन लेना पड़ता है। इस लोन पर बैंक जिस दर से RBI को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।