#NewsBytesExplainer: वाहनों पर लिखे BS4, BS6 का क्या मतलब होता है? जानिए पूरी कहानी
देश में वाहनों की संख्या बढ़ रही है और वाहनों से होने वाले प्रदूषण का मानक तय करने के लिए भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानक को शुरू किया गया। वर्तमान में BS6 फेज-II स्टैंडर्ड की गाड़ियां बनाई जा रही हैं, लेकिन एक समय था जब BS1 और BS2 स्टैंडर्ड वाली गाड़ियां आती थीं। आइये कार गाइड में जानते हैं कि भारत स्टेज मानक क्या है और किस आधार पर गाड़ियों में भारत स्टेज के विभिन्न चरण तय किए जाते हैं।
भारत स्टेज स्टैंडर्ड क्या है?
भारत स्टेज उत्सर्जन मानक बाइक, कार और ट्रक आदि वाहनों से निकलने वाले धुएं में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा को सीमित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित उत्सर्जन मानक हैं। BS मानक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा लागू किए जाते हैं। BS मानक यूरोप में अपनाए जाने वाले यूरोपीय उत्सर्जन मानकों पर आधारित हैं और देश में इसकी शुरुआत साल 2000 में BS1 से हुई थी।
BS स्टैंडर्ड के विभिन्न स्तर
साल 2000 में शुरू होने के बाद BS स्टैंडर्ड समय के साथ इसे अपडेट किया जाता रहा है। 1- BS1:- यह देश का पहला उत्सर्जन मानक था। इसे साल 2000 में लागू किया गया। BS1 मानदंडों का पालन करने के लिए वाहन निर्माताओं ने वाहनों के जहरीली गैसों को कम हानिकारक गैस में परिवर्तित करने के लिए कैटेलिटिक कन्वर्टर्स का इस्तेमाल किया। इसमें धुएं में प्रति किलोमीटर 2.72 ग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड और 0.97 ग्राम/किमी हाइड्रोकार्बन पॉल्यूटेंट्स की मात्रा तय हुई।
BS2 और BS3
2- BS2:- BS2 को साल 2001 में लागू किया गया। इसमें प्रति किलोमीटर 2.2 ग्राम हाइड्रो कार्बन, 0.50 ग्राम तक नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन करने की सीमा तय हुई। साथ ही इसमें ईंधन में सल्फर की मात्रा को कम कर 500ppm कर दिया गया गया। 3- BS3:-BS3 स्टैंडर्ड की शुरुआत तो 2005 में ही कर दी गई। हालांकि, इसे 2010 में लागू किया गया। इसमें ईंधन में सल्फर की मात्रा को और कम कर 100ppm कर दिया गया गया।
साल 2017 में लागू हुआ BS4
4: BS4:- BS4 मानकों को अप्रैल, 2017 में लाया गया था। इसमें पेट्रोल में सल्फर की मात्रा को कम कर 50ppm कर दिया गया। साथ ही इसमें पेट्रोल वाहनों के में प्रति किलोग्राम 1.0 ग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 0.18 ग्राम हाइड्रो कार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन करने सीमा तय की गई। । आपको जानकर हैरानी होगी कि बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए BS5 के जगह सीधा BS6 मानकों को लागू कर दिया गया।
2020 में आया BS6
साल 2020 में देश भर में BS6 को अनिवार्य कर दिया गया। इसमें पेट्रोल में सल्फर की मात्रा को कम कर केवल 10ppm कर दिया गया, जो BS2 स्टैंडर्ड की तुलना में काफी कम है। इसमें पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के धुएं में प्रति किलोमीटर 1.0 ग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 0.01 ग्राम हाइड्रो कार्बन और O.O6 ग्राम नाइट्रोजन ऑक्साइड पॉल्यूटेंट्स की सीमा तय की गई। भारत ने BS5 को छोड़कर सीधा BS6 मानक अपनाया था।
वर्तमान में चल रहा BS6 फेज-II स्टैंडर्ड
भारत में इसी साल अप्रैल में रियल ड्राइव एमिशन (RDE) लागू हो गया है। इसके बाद 1.5-लीटर से कम क्षमता वाले डीजल वाहनों को बंद कर दिया है। RDE को BS6 फेज-II के रूप में देखा जा रहा है। इसमें गाड़ियों को सड़कों पर भी एमिशन के कायदों पर खरा उतरना पड़ रहा है। सभी गाड़ियों की RDE टेस्टिंग सड़कों पर होगी और इसमें देखा जायेगा कि गाड़ी के धुएं में पॉल्यूटेंट्स तय सीमा से अधिक तो नहीं है।
इन देशों में इस्तेमाल हो रहे ये स्टैंडर्ड
वर्तमान में यूरोप में वाहनों में यूरो-6 उत्सर्जन स्टैंडर्ड का इस्तेमाल हो रहा है। इसमें वाहनों से पॉल्यूटेंट्स के रूप में काफी कम मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रो कार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड पॉल्यूटेंट्स निकलते हैं। दूसरी तरफ चीन में चीन नेशनल उत्सर्जन स्टैंडर्ड (CNES), जापान में पोस्ट न्यू लॉन्ग टर्म स्टैंडर्ड (PNLT), ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियन डिजाइन रूल्स (ADRs), साउथ कोरिया में कोरियन उत्सर्जन स्टैंडर्ड (KES-6) और अमेरिका में एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी (EPA) मानकों का पालन हो रहा है।