रात की ड्राइविंग को आसान बनाएंगी आने वाली ये 5 तकनीकें, जानिए इनके बारे में
रात में ड्राइव करने का अलग ही मजा होता है, लेकिन इस दौरान आपको अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है। रिपोर्ट्स की मानें तो विश्वभर में सबसे अधिक सड़क हादसे रात के समय में ही होते हैं। ऐसे में रात में ड्राइविंग को आसान बनाने के लिए ऑटोमोबाइल कंपनियां ऐसी कई तकनीकों पर काम कर रही हैं, जो आपको अधिक सुरक्षा प्रदान करेंगी। आइये ऐसी ही 5 तकनीकों के बारे में जानते हैं।
डिजिटल लाइटिंग मैट्रिक्स
ऑडी हेडलाइट के विकास में नंबर एक ऑटोमोबाइल कंपनी है। अब कंपनी एक ऐसी डिजिटल मैट्रिक्स LED लाइटिंग बना रही है, जो हेडलाइट को एडजस्ट करने के लिए एक चिप और फ्रंट-फेसिंग कैमरा का उपयोग करेगी। इस तकनीक की मदद से गाड़ी की हेडलाइट्स जरूरत के अनुसार हाई से लो बीम या लो से हाई बीम पर सेट हो सकती है। सामने से वाहन आने की स्थिति में गाड़ी की लाइट्स अपने आप लो बीम पर सेट हो जाएंगी।
AR नाइट विजन
ऑटोमोबाइल कंपनियां रात में सड़क पर विजिबिलिटी को बढ़ाने के लिए AR नाइट विजन तकनीक पर भी काम कर रही हैं। यह एक तरह का चश्मा है, जिसकी मदद से वाहन चालकों को रात में भी बेहतर देख सकेंगे। आपको बता दें कि इस तरह के चश्मे का इस्तेमाल कई देशों की सेना करती है। यदि कोई कार, इंसान या जंगली जानवर रास्ते में आ रहे हैं तो इसकी मदद से चालक उन्हें दूर से ही देख सकते हैं।
ऑटोनॉमस गाड़ियों के लिए बेहतर सेंसर
टेस्ला जैसी कई कंपनियां अपनी ऑटोनोमस गाड़ियां लॉन्च कर चुकी हैं। अब रात में बेहतर ड्राइविंग के लिए इनमे हाई-टेक सेंसर्स जोड़े जाने हैं। वर्तमान में आने वाली गाड़ियों के सेंसर दिन के समय में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। अब धीरे-धीरे कंपनियां इन्हे अपडेट कर रही है, जिससे ये दिन के साथ-साथ रात में भी बेहतर तरीके से काम कर सकें। गौरतलब है कि ऑटोनोमस गाड़ियां काम करने के लिए कैमरों और सेंसर्स का उपयोग करती हैं।
बिना विंडशील्ड वाली गाड़ियां
दरअसल रात के समय विंडशील्ड तेजी से गंदा होता है और इसे बार-बार साफ करने की जरूरत होती है। ऐसे में ऑटो कंपनी मैकलारेन ने 2019 में एक्टिव एयर मैनेजमेंट सिस्टम (AAMS) की शुरुआत करते हुए अपनी ओपन-टॉप एल्वा सुपरकार को पेश किया था। यह सिस्टम कार के हुड से हवा को केबिन के ऊपर भेज देता है, जिससे यह एक तरह से वर्चुअल विंडशील्ड की तरह काम करता है। जल्द ही ऐसी तकनीक वाली गाड़ियां बाजार में आ जाएंगी।
नैनोपार्टिकल्स कॉन्टैक्ट
कई शोधकर्ताओं ने चूहों को इन्फ्रारेड प्रकाश देखने की क्षमता देने के लिए एक तकनीक विकसित की है। इसे नैनोपार्टिकल्स कॉन्टैक्ट नाम दिया गया है। इसे एक तरह का लेंस समझिये। जल्द ही इसे आम आदमी के लिए भी बनाया जाएगा। यह रात के समय विजिबिलिटी को बढ़ाने का एक बहुत अच्छा तरीका है। सेना जल्द ही इस प्रकार की तकनीक को अपनाएंगी। यह रात के समय सैनिकों और वाहन चालकों को अधिक विजिबिलिटी प्रदान करेंगे।