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    फिटनेस सर्टिफिकेट के ना होने पर भी बीमा कंपनी को घटना के लिए देना होगा मुआवजा

    फिटनेस सर्टिफिकेट के ना होने पर भी बीमा कंपनी को घटना के लिए देना होगा मुआवजा
    लेखन देवजीत सिंह
    Aug 01, 2022, 08:30 pm 1 मिनट में पढ़ें
    फिटनेस सर्टिफिकेट के ना होने पर भी बीमा कंपनी को घटना के लिए देना होगा मुआवजा
    बीमा भुगतान को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला (तस्वीर: विकिमीडिया)

    कर्नाटक हाई कोर्ट (HC) ने बीमा भुगतान को लेकर सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनियां वाहन के फिटनेस प्रमाणपत्र और परमिट के नवीनीकरण नहीं होने की स्थिति में भी मुआवजा भुगतान करने के अपने दायित्व से भाग नहीं सकती। समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट के इस फैसले ने निचली अदालत द्वारा 2015 में दिए गए एक फैसले को खारिज कर दिया है।

    क्या है यह मामला?

    कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के उस फैसले को खारिज किया है, जिसमें निचली अदालत ने स्कूल बस मालिक को दुर्घटना पीड़ित के परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, दुर्घटना के दिन स्कूल बस के फिटनेस प्रमाणपत्र और परमिट की वैधता समाप्त हो चुकी थी, लेकिन बीमा पॉलिसी लागू थी। अब हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुआवजे की पूरी राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

    यह थी पूरी घटना

    28 सितंबर, 2015 को सैयद वली और मोहम्मद शाली नामक दो व्यक्ति मोटरसाइकिल पर जा रहे थे। उनकी मोटरसाइकिल की टक्कर स्कूल बस के साथ हुई, जिसमें वली की तत्काल मृत्यु हो गई। वली की पत्नी और बच्चों ने मुआवजे के लिए मामला दायर किया था। बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस ने दावा किया था कि स्कूल बस के पास वैध फिटनेस प्रमाणपत्र और परमिट नहीं था, जिससे बीमा कंपनी हर्जाना देने के लिए जिम्मेदार नहीं है।

    क्या है फिटनेस प्रमाणपत्र और क्यों है जरुरी?

    भारत में सड़क पर चलने वाले प्रत्येक वाहन को एक वैध फिटनेस प्रमाणपत्र की जरूरत होती है। फिटनेस का यह पत्र सरकारी विभाग यानी RTO द्वारा जारी किया गया एक दस्तावेज होता है, जो यह प्रमाणित करता है कि यह वाहन सड़कों पर चलने के लिए उपयुक्त है। कमर्शियल और प्राइवेट दोनों तरह के वाहनों के लिए यह प्रमाणपत्र अनिवार्य है। इसके साथ-साथ सभी वाहनों को एक PUC यानी प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र भी रखना होता है।

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    भारत में नये प्राइवेट वाहनों के पंजीकरण पर 15 साल का फिटनेस प्रमाणपत्र मिलता है, जिसके पूरा होने पर वाहन की जांच करा कर उसे RTO से बढ़वाया जा सकता है। गौरतलब है कि NCR प्रदूषण के चलते में 10 साल पुराने डीजल वाहन वैध फिटनेस पत्र होने पर भी सड़क पर चलने के लिये उपयुक्त नहीं माने जाते हैं। आप अपने पुराने वाहन के फिटनेस पत्र के लिए 'परिवहन सेवा' की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं।

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