गैस सिलेंडर फटने पर कंपनी देती है 50 लाख रुपये तक का मुआवज़ा, जानें पूरी प्रक्रिया
क्या है खबर?
आजकल ज़्यादातर लोग खाना बनाने के लिए अंगीठे और लकड़ी की जगह गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं।
गैस पर खाना बनाना काफ़ी आसान होता है और इससे धुएँ से भी राहत भी मिलती है।
लेकिन गैस सिलेंडर पर खाना बनाना काफ़ी जोखिम भरा भी होता है। कई बार यह फट जाता है और बड़ा हादसा हो जाता है।
क्या आप जानते हैं कि गैस सिलेंडर फटने पर कंपनी 50 लाख रुपये तक का मुआवज़ा भी देती है?
आइए जानें।
नियम
सिलेंडर में लीकेज या धमाका होने पर कंपनी और डीलर ज़िम्मेदार
नेशनल कंज्यूमर फोरम ने 16 साल पहले यह आदेश दिया था कि अगर गैस सिलेंडर में लीकेज या धमाका होता है, तो इसकी ज़िम्मेदारी डीलर और कंपनी की है। यह नियम आज भी लागू है।
फोरम ने फ़ैसले में कहा था कि मार्केटिंग डिसिप्लिन गाइडलाइंस 2014 फ़ॉर LPG डिस्ट्रिब्यूशन के तहत तय है कि अगर डीलर डिफ़ेक्टिव सिलेंडर सप्लाई करता है, तो उसकी ज़िम्मेदारी ग्राहक पर नहीं डाल सकता है।
डिलीवरी से पहले ही सिलेंडर की जाँच की जानी चाहिए।
बीमा
हादसा होने पर पीड़ित होता है 50 लाख रुपये तक के बीमे का हक़दार
mylpg.in के अनुसार, जैसे ही कोई व्यक्ति LPG कनेक्शन लेता है, तो उसे मिले सिलेंडर से अगर घर में कोई हादसा होता है, तो वह व्यक्ति 50 लाख रुपये तक के बीमा का हक़दार होता है।
गैस सिलेंडर से हुई एक दुर्घटना पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवज़ा मिल सकता है।
दुर्घटना से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये तक की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है, ताकि उसका परिवार भरण-पोषण कर सके।
प्रक्रिया 1
हादसा होने पर तुरंत दें नज़दीकी पुलिस स्टेशन में सूचना
LPG सिलेंडर का बीमा कवर पाने के लिए ग्राहकों को दुर्घटना होने की सूचना तुरंत नज़दीकी पुलिस स्टेशन और अपने LPG वितरक को देनी होती है।
PSU ऑयल विपणन कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल, HPC तथा BPC के वितरकों को व्यक्तियों और संपत्तियों के लिए तीसरी पार्टी बीमा कवर सहित होने वाली दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेनी होती है।
इसके अंतर्गत कोई एक ग्राहक नहीं बल्कि सभी ग्राहक कवर होते हैं।
प्रक्रिया 2
गैस सिलेंडर वितरक के ज़रिए किया जा सकता है मुआवज़े के लिए दावा
गैस सिलिंडर से हुई दुर्घटना के बाद बीमे की रक़म पाने के लिए FIR की कॉपी, घायलों के इलाज के पर्चे व मेडिकल बिल एवं किसी की मौत होने पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र ज़रूरी होता है।
इसके बाद गैस सिलिंडर वितरक के ज़रिए मुआवज़े के लिए दावा किया जा सकता है।
दावे की राशि बीमा कंपनी संबंधित वितरक के पास जमा करती है, जो बाद में ग्राहकों को मिलती है। इससे ग्राहकों के नुकसान की भरपाई की जाती है।