दिल्ली: वैध वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र न होने पर लगेगा 10,000 का जुर्माना
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने सड़क पर बिना वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के चल रहे वाहनों को पकड़ने के लिए कमर कस ली है। इसके लिए विभाग एक विशेष अभियान भी चलाएगा। इस अभियान में बस, कैब और ऑटो वाले विशेष निशाने पर रहेंगे। गौरतलब है कि पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के चलने वाले ई-रिक्शा और ऑटो के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी।
सभी वाहनों के पास होना जरूरी है वैध फिटनेस प्रमाण पत्र
दिल्ली परिवहन विभाग ने बिना वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के चलने वाले सभी तरह के वाहनों को लेकर कड़ी चेतावनी जारी कर कहा है कि ऐसे वाहनों पर 10,000 रुपये का जुर्माना और वाहन मालिक और ड्राइवर को जेल तक हो सकती है। नियमों के अनुसार सार्वजनिक सेवा वाहनों, मालवाहक वाहनों, स्कूलों और कॉलेजों की बसों और कैब आदि सभी तरह के वाहनों के पास एक वैध वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए।
वाहनों पर फिटनेस प्रमाण पत्र की वैधता को दिखाना हो सकता है अनिवार्य
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार ने एक मसौदा अधिसूचना भी जारी की है जिससे वाहनों पर फिटनेस प्रमाण पत्र की वैधता को दिखाना अनिवार्य किया जा सकता है। परिवहन विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा गया कि विभाग द्वारा यह देखा गया है कि सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से संबंधित वाहन मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन करते पाए गए है।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा
नोटिस में कहा गया है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 56 के अनुसार, वाहन को वैध रूप से पंजीकृत नहीं माना जाता है, जब तक कि उसके पास दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी फिटनेस का वैध प्रमाण पत्र न हो। वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना परिवहन वाहन चलाने वाले मालिकों और चालकों को पहले अपराध के लिए 2,000 से 5,000 रुपये और दूसरे बार के लिए 5,000 से 10,000 रुपये का जुर्माना लगता है।
क्या है फिटनेस प्रमाण पत्र और क्यों है जरुरी?
वाहनों के लिए फिटनेस का प्रमाण पत्र सरकार द्वारा जारी किया गया एक दस्तावेज है जो यह प्रमाणित करता है कि वाहन सड़कों पर चलने के लिए उपयुक्त है। कमर्शियल और प्राइवेट दोनों तरह के व्हीकल्स के लिए यह फिटनेस प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।