गाड़ियों में आग लगने पर फायर इंश्योरेंस देगा पूरा कवरेज, जानें कैसे उठाएं इसका लाभ

इन दिनों इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की कई खबरें सामने आ रही है, पर आग लगने की घटना किसी भी गाड़ी में हो सकती है। इस कारण इसके नुकसान को कम करने के तरीके भी पता होने चाहिये। एक आसान तरीका है गाड़ियों का इंश्योरेंस करवाना, लेकिन मोटर बीमा खरीदते समय लोगों को फायर इंश्योरेंस कवरेज के बारे में ज्यादा पता नहीं होता है, जिससे उन्हे सही कवरेज नहीं मिलती है। इसलिए आज हम उन्ही तथ्यों पर बात करेंगे।
आग लगने से जब किसी गाड़ी को नुकसान पहुंचता है, तो फायर इंश्योरेंस कवर देता है। इसके लिए ग्राहक को एक निश्चित राशि प्रीमियम के रूप में देनी पड़ती है। भारत में दो प्रकार के मोटर बीमा उपलब्ध हैं। एक अनिवार्य थर्ड पार्टी इंश्योरेंस है और दूसरा कंप्रेहेंसिव पॉलिसी है। जब थर्ड पार्टी कवर में फायर कवर नहीं होता है, कंप्रेहेंसिव पॉलिसी आग से होने वाले नुकसान को कवर करती है।
गाड़ियों में किसी भी तरह से आग लगने की घटना में आपको फायर कवरेज दी जाती है। इसमें गाड़ी की डिजाइन की वजह से लेकर तकनीकी फीचर्स में आई खराबी से लगने वाली आग तक को कवर किया जाता है। आग लगने की स्थिति में सिर्फ थर्ड पार्टी कवर खरीदने से मदद नहीं मिलेगी। ऐसी पॉलिसी केवल बीमित व्यक्ति को नुकसान से बचाने के लिए होती है। इसलिए कंप्रेहेंसिव पॉलिसी से आपको होने वाले नुकसान की पूरी कवरेज मिलेगी।
अगर आग लगने से किसी को या उसकी कार को नुकसान पहुंचा है तो आपको नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी रिपोर्ट करानी होगी और इंश्योरेंस का दावा करने के समय इंश्योरेंस कंपनी को इसकी रिपोर्ट दिखानी होगी। अगर आपको अपनी खुद की गाड़ी में हुए नुकसान के लिए इंश्योरेंस का दावा करना है तो इसके लिए जिस समय नुकसान हुआ हो उसी समय इंश्योरेंस कंपनी और पुलिस को इसकी जानकारी देनी होती है।
वाहन में किया गया कोई भी संशोधन जो बुनियादी ढांचे के साथ छेड़छाड़ करता है और आग लगने का कारण बन सकता है, दावे को अस्वीकार करने का कारण बन सकता है। इसके अलावा अगर आग पॉलिसीधारक की अपनी लापरवाही से लगी थी तो दावा खारिज कर दिया जाएगा। शॉर्ट-सर्किटिंग, ओवरहीटिंग, ऑयल लीकेज या फ्यूल रिसने जैसे कारणों को कवर नहीं किया जा सकता है। साथ ही भौगोलिक क्षेत्र के बाहर होने वाली घटना भी कवर नहीं की जाती है।
आग लगने पर बीमाधारक के द्वारा क्लेम की गई राशि का भुगतान इस बात पर निर्भर करता है कि नुकसान कितना हुआ है। अगर गाड़ी का कुछ हिस्सा ही जला होता है तो अनिवार्य कटौती के अलावा उन पार्ट्स के लिए भी पैसे काटे जाते हैं, जिन्हें बदलने की जरूरत होती है। दूसरी तरफ अगर गाड़ी पूरी तरह से जल चुकी है तो इसे कुल नुकसान के रूप में घोषित किया जाएगा और नुकसान का पूरा भुगतान किया जाएगा।