किन कारणों से मोटर बीमा क्लेम हो सकता है खारिज?

दोपहिया वाहन खरीदने के दौरान लोग बीमा तो ले लेते हैं लेकिन बीमा पॉलिसी कि जानकारी में दिलचस्पी नहीं रखते। बीमा हमारे दोपहिया वाहन के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि ये आपको होने वाले संभावित हादसों से उभारता है। कई बार ऐसा भी होता है कि बीमा कंपनी आपका क्लेम खारिज कर देती है। ऐसे ही समस्याओं से बचने के लिए आज आपको हम कुछ जरूरी बाते बताएंगे।
वाहन मालिक की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी पॉलिसी को लैप्स न करे। यानी पॉलिसी की अंतिम तारीख से पहले की उसको रिन्यू करवा ले। पॉलिसी लैप्स के बाद कोई क्लेम नहीं मिलता। उदाहरण के लिए अगर आपकी पॉलिसी 24 नवंबर को खत्म हो गई और 25 नवंबर को कोई दुर्घटना होती है तो आपका क्लेम खारिज हो जाएगा। बीमा कंपनी वाहन को पॉलिसी अवधि के दौरान ही कवर करती है। इसलिए पॉलिसी लैप्स से बचना चाहिए।
क्लेम खारिज होने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि कुछ खास तरह के डैमेज पॉलिसी में कवर नहीं होते। इनके लिए अलग से ऐड-ऑन कवर खरीदने की जरूरत होती है। जैसे इंजन खराब होना, गाड़ी से आवाज आने लगना और डेप्रिसिएशन लॉस को बेसिक पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता। इसके लिए आपको अलग इंजन प्रोटेक्टर और जीरो डेप्रिसिएशन ऐड-ऑन कवर की जरूरत होती है। इसलिए पॉलिसी लेते समय ध्यान दें कि क्या कवर है क्या नहीं।
जब भी बीमा कंपनी को क्लेम के लिए दावा करते हैं तो सभी दस्तावेजों का ध्यान रखना चाहिए। अगर दस्तावेज अधूरे रहेंगे तो बीमा कंपनी क्लेम को खारिज कर सकती है। जरूरी दस्तावेज, जैसे बाइक का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा पॉलिसी की कॉपी और पुलिस थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी रिपोर्ट (FIR), इन सब का होना जरुरी है। इन दस्तावेजों के नहीं होने से आपको क्लेम नहीं मिलेगा।
शराब या कोई अन्य तरीके का नशा करके बाइक चलाने पर अगर कोई दुर्घटना हो जाती है और आप इस स्थिति में मोटर बीमा क्लेम करते हैं तो भी आपका बीमा खारिज कर दिया जाता है।
बीमाकर्ता को बिना बताए बाइक को मॉडिफाई करना भी क्लेम को खारिज कर सकता है। कुछ लोग अपनी बाइक को इतना मॉडिफाई कर देते हैं कि बाइक के मूल रूप को पहचानना मुश्किल हो जाता है। छोटे-मोटे बदलाव करने पर क्लेम खारिज होने की सम्भावना कम होती है, लेकिन बाइक में ज्यादा ही बदलाव करने पर आपका क्लेम खारिज हो सकता है। अगर आप अपनी बाइक में ज्यादा बदलाव कर रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने बीमाकर्ता को जरूर दें।