#NewsBytesExplainer: ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक क्या है और इसके अलग-अलग लेवल में क्या अंतर?
क्या आपने ऐसी गाड़ियों की कल्पना की है, जिसे ऑटोमैटिक तरीके से बिना किसी ड्राइवर के भी चलाया जा सके? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक से आने वाले समय में यह संभव हो सकता है। ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक के कुल 5 लेवल हैं। अभी भी कई लोगों को इन लेवल के बारे में नहीं पता है। ऐसे लोगों के लिए यहां हम इन पांचों लेवल की जानकारी लाए हैं। आइये इनके बारे में जानते हैं।
क्या होती हैं ऑटोनॉमस गाड़ियां?
कई दिग्गज वाहन निर्माता कंपनियां ऑटोनॉमस गाड़ियां बनाने में लगी हैं। यह एक अत्याधुनिक तकनीक है, जो किसी कार को मानवीय हस्तक्षेप के बिना चलने के काबिल बनाएगी। यह तकनीक कार में लगे कई तरह के सेंसर और कैमरों की मदद से आसपास की सारी जानकारी हर मिलीसेकंड में कार में लगे एक आधुनिक कंप्यूटर तक पहुंचाती है। इससे कार की गति नियंत्रित होती है। यह कार ड्राइविंग को सुरक्षित बनाने का एक प्रयास है।
लेवल-0 ऑटोनोमस ड्राइविंग
जिन गाड़ियों में किसी भी तरह का ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम नहीं होता, उन्हें लेवल-0 ऑटोमैटिक ड्राइविंग तकनीक वाली गाड़ियों के नाम से जाना जाता है। मारुति सुजुकी ऑल्टो, वैगनआर जैसी गाड़ियां इस सेगमेंट में आती हैं।
लेवल-1 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक
लेवल-1 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक वाली गाड़ियों में एक ड्राइवर असिस्टेंस तकनीक होती है। ऐसी गाड़ियों में क्रूज कंट्रोल स्टीयरिंग, ब्रेकिंग या एक्सेलरेशन कंट्रोल जैसी असिस्टेंस तकनीक हो सकती है। इस असिस्टेंस के अलावा वाहन को संचालित करने की जिम्मेदारी कार चालक की होती है। हुंडई ग्रैंड i10, टाटा पंच, हुंडई औरा, टाटा अल्ट्रोज, हुंडई एक्सटर और निसान मैगनाइट जैसी कई गाड़ियों में क्रूज कंट्रोल फीचर मिलता है। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि इनमें लेवल-1 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक है।
लेवल-2 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक
एडवांस ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम (ADAS तकनीक) वाली गाड़ियों को लेवल-2 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक वाली कारों के नाम से जाना जाता है। इन गाड़ियों में कई ड्राइवर असिस्टेंस तकनीक होती हैं, जो साथ मिलकर काम करती हैं। लेवल-2 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक वाली गाड़ियां अपने आप नहीं चलती हैं। ऐसे वाहनों में भी ड्राइवर को हर समय सतर्क रहना चाहिए और स्टीयरिंग से हाथ नहीं हटाना चाहिए। देश में किआ EV6, महिंद्रा XUV700 जैसी गाड़ियां लेवल-2 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक से लैस हैं।
लेवल-3 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक
लेवल-3 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक आपको हर रास्तों पर स्टीयरिंग, ब्रेक और एक्सेलरेटर को छोड़कर वाहन चलाने की अनुमति देती है। इसमें गाड़ी खुद रोड और ट्रैफिक के अनुसार अपनी स्पीड कम या अधिक कर सकती है। इसके अलावा गाड़ी अपनी दिशा भी बदल सकती है। टेस्ला और मर्सिडीज जैसी कई कंपनियां इस तकनीक पर काम कर रही है। हालांकि, अभी तक यह तकनीक रोड लीगल नहीं है। यानी इस तकनीक वाली कोई भी गाड़ी अभी लॉन्च नहीं हुई है।
लेवल-4 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक
लेवल-4 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक भविष्य की तकनीक है। इस तकनीक वाली गाड़ियों में ड्राइवर की जरूरत ही नहीं होगी। चूंकि इस तकनीक वाली गाड़ियों में चालक की जरूरत नहीं होगी और इस वजह से इसमें स्टीयरिंग व्हील की भी पेशकश नहीं की जाएगी। पिछले साल लेवल-4 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक के साथ चीन की एक सर्च इंजन कंपनी बाइडू ने एक ऐसी ऑटोनॉमस कार पेश की थी, जिसमें अलग करने योग्य स्टीयरिंग व्हील मौजूद है।
लेवल-5 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक
लेवल-5 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक वाली गाड़ियों में भी ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी। यहां बस आपको मैप पर जहां जाना है वहां का पता फिट करने पड़ेगा। इसके बाद गाड़ी ऑटोमैटिक चलने लगेगी और हर तरह के ट्रैफिक को पार करके यह आपको एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाएंगी। खराब मौसम और विजिबिलिटी में भी इसमें लगे सेंसर्स और कैमरे बेहतर तरीके से काम करेंगे। यह सबसे सुरक्षित ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक होगी।
ऑटोनोमस ड्राइविंग के क्या हैं फायदे
ऑटोनोमस ड्राइविंग से ड्राइवर की गलती से होने वाले दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। यह सेंसर्स और कैमरे पर आधारित है, जिससे ध्यान भटकने या लापरवाही का खतरा कम रहता है। कई लोगों को गाड़ी को पार्क करने में काफी परेशानी आती है। ऐसे लोगों के लिए भी ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक फायदेमंद है, जिसकी मदद से कार अपने आप पार्क हो जाती है। ऑटोनोमस गाड़ियों से ट्रैफिक में गाड़ी चलाने जैसी कई परेशानियों से बचा जा सकता है।
क्या ऑटोनोमस ड्राइविंग के कुछ नुकसान भी हैं?
ऑटोनोमस गाड़ियों में कई सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से गाड़ियों की लागत बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक के लेवल के बढ़ने के साथ ही गाड़ियों की कीमतें भी बढ़ने लगती हैं। ऑटोनोमस गाड़ियों में कई तरह के इलेक्ट्रिक पार्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है और अगर किसी भी कारण से कोई पार्ट काम करना बंद कर दे तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है।