#NewsBytesExplainer: गाड़ियों में मिलने वाला कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम क्या होता है और कैसे काम करता है?
आजकल ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी कारों को सुरक्षित बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा फीचर्स दे रही हैं। इन्ही सुरक्षा फीचर्स में से एक है कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम। सेफ्टी फीचर के रूप में पाया जाने वाला कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम पहले सिर्फ लग्जरी कारों में देखने को मिलता था, लेकिन अब अधिकांश कंपनियां इसे अपनी कारों में शामिल करने लगी हैं। तो चलिए कार गाइड में जानते हैं कि कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम क्या होता है और यह कैसे काम करता है।
कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम क्या है?
कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम (CAS) को प्री-कोलिजन तकनीक या फॉरवर्ड कोलिजन वार्निंग सिस्टम से भी जाना जाता है। फॉरवर्ड कोलिजन वार्निंग सिस्टम सड़क पर गाड़ी के आगे चल रहे वाहनों की स्पीड और दूरी का पता लगाता है। यदि सामने चल रही गाड़ी बहुत करीब आ जाती है तो यह ड्राइवर को चेतावनी देता है, जिससे संभावित रूप से दुर्घटना को रोका जा सकता है। सुरक्षा के लिहाज से यह फीचर काफी फायदेमंद है।
कैसे काम करता है CAS?
कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम सेंसर की मदद से रास्ते की समीक्षा करता है और गाड़ी में लगे कंप्यूटर सिस्टम को लगातार इसकी जानकारी देते रहता है। इसके बाद कंप्यूटर सिस्टम सेंसर द्वारा भेजे गए डाटा की जांच करता है। यदि सामने कोई गाड़ी है तो CAS इसकी जानकारी डैशबोर्ड पर देता है। जरूरत पड़ने पर यह अपने आप गाड़ी की स्पीड भी कम कर देता है ताकि टक्कर से बचाव किया जा सके।
कितने तरह के होते हैं कोलिजन अवॉयडेंस असिस्ट सिस्टम?
गाड़ियों में मिलने वाला कोलिजन अवॉयडेंस असिस्ट सिस्टम कई प्रकार के होते हैं। ऑटोमैटिक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS): ABS एक ऐसी तकनीक है, जो गाड़ी के सामने अचानक बाधा आने पर वाहन के ब्रेकिंग सिस्टम को ऑटोमैटिक रूप से सक्रिय कर देती है। अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल (ACC): क्रूज कंट्रोल फीचर कार को एक तय स्पीड से चलाने के लिए इंजन को कंट्रोल करता है। इसकी मदद से कार अपने-आप ड्राइवर द्वारा तय की गई स्पीड पर चलती रहती है।
इलेक्टॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और पार्क असिस्ट भी हैं CAS के प्रकार
इलेक्टॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और पार्क असिस्ट भी कोलिजन अवॉयडेंस असिस्ट सिस्टम के प्रकार है, जो क्रमशः ब्रेकिंग के दौरान बेहतर कंट्रोल और ऑटोमैटिक पार्किंग के दौरान गाड़ी को टकराव से बचाते हैं।
CAS की क्या फायदे हैं?
कोलिजन अवॉयडेंस अलर्ट सिस्टम से ड्राइवर को कई फायदे मिलते हैं। CAS की मदद से सामने से आ रही गाड़ियों की टक्कर से बचाव होता है। CAS और लेन डिपार्चर वार्निंग के तहत गाड़ी के लेन छोड़ने पर वार्निंग मैसेज सुनाई देता है। साथ ही यह दुर्घटना होने की स्थिति में ऑटोमैटिक ब्रेक लगा सकता है। दूसरी तरफ यह तकनीक आरामदायक ड्राइविंग के लिए क्रूज कंट्रोल, ट्रैफिक के अलग-अलग साइन और लेन के हिसाब से ड्राइवर की मदद करती है।
भारत में इसे किस तरह की कठिनाई आ रही हैं?
CAS सुरक्षा तकनीक को भारत में सही तरीके से काम करने और सफल होने में कई सारी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। दरअसल, यहां ज्यादातर सड़कों पर लेन मार्किंग नहीं है, जिससे लेन कीप असिस्ट में दिक्कत हो रही है। दूसरी तरफ केवल कुछ कंपनियों द्वारा इस सिस्टम के इस्तेमाल से भारतीय सड़कों की स्थिति और ट्रैफिक के बारे में कम डाटा इकट्ठा हो पा रहा है। साथ ही सड़कों पर अत्याधिक भीड़ भी एक चुनौती है।
भारतीय सड़कों के मुताबिक CAS बना रही कंपनियां
भारतीय सड़कों पर बहुत ज्यादा भीड़ होने की वजह से यहां का ट्रैफिक सिस्टम विदेशों से काफी अलग है। इसलिए कई कंपनियां अब यहां के हिसाब से CAS तकनीक को अपडेट कर रही हैं। इसमें सबसे पहला नाम टेस्ला का आता है, जो जल्द ही भारत में अपना मॉडल-3 और मॉडल-Y लाने वाली हैं और उम्मीद है कि भारत में इसके AI फीचर्स से लैस कार जल्द आएंगी।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भारतीय बाजार में कई ऐसी गाड़ियां उपलब्ध हैं, जिसमें कोलिजन अवॉयडेंस सिस्टम दिया गया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा की महिंद्रा XUV700, MG ZS EV और हुंडई वेन्यू-N लाइन जैसी गाड़ियों में यह सिस्टम उपलब्ध है।