दिल्ली में EV चार्जर और बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन ढूंढना हुआ अब आसान
क्या है खबर?
दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक रूप से एक डाटाबेस लॉन्च किया है, जो इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी साबित होगा।
यह डाटाबेस सरकार के 'स्विच दिल्ली' पोर्टल पर सभी EV चार्जिंग और बैटरी-स्वैपिंग स्टेशनों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
सरकार ने इस डाटाबेस को दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति, 2020 के जनादेश के अनुसार सार्वजनिक किया गया है।
आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
जरूरत
क्यों पड़ी इस डाटाबेस को सार्वजनिक करने की जरूरत?
भारतीय ऑटो बाजार में EV क्रांति लाने में अन्य राज्य की तुलना में दिल्ली सबसे आगे है।
जब इलेक्ट्रिक वाहनों की बात आती है तो सबसे पहले इनकी सिंगल चार्ज रेंज पर ध्यान जाता है क्योंकि यह इलेक्ट्रिक वाहनों की राह में सबसे बड़ी चुनौती साबित होती है।
शहरों में अधिकांश लोग चार्जिंग प्वाइंट या बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन न मिलने के कारण चिंतित रहते हैं। अब दिल्ली सरकार का यह डाटाबेस इन सभी दिक्कतों का समाधान करेगा।
डाटाबेस पोर्टल
इस डाटाबेस से चार्जिंग स्टेशन तक सभी की पहुंच होगी आसान
सरकार का यह डाटाबेस दिल्ली में उपलब्ध 2,500 से अधिक चार्जिंग प्वाइंट तक लोगो की पहुंच आसान बना देगा। यह पंजीकृत संस्थाओं और आम लोगों के लिए खुला है।
आम व्यक्ति भी ev.delhi.gov.in/openev पोर्टल के माध्यम से चार्जिंग और स्वैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में रियल टाइम जानकारी ले सकते हैं।
यह पोर्टल वाहन मालिक को स्टेशन तक का रास्ता भी बताएगा और इसे मोबाइल ऐप द्वारा भी उपयोग किया जा सकता है।
लक्ष्य
18,000 से अधिक सेवा प्रदाताओं को जोड़ने का है लक्ष्य
EV कंपनियां भी चार्जिंग और बैटरी-स्वैपिंग स्टेशनों के बारे में जानकारी प्रदान करके EV तकनीक और डाटाबेस दोनों के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि सरकार का लक्ष्य इस प्लेटफॉर्म पर 2025 तक 18,000 चार्जिंग सेवा प्रदाताओं को जोड़ने का है।
इस पोर्टल पर सभी सेवा प्रदाताओं को अपने स्टेशनों की रियल टाइम स्थिति को बताना होता है, जिससे ग्राहक उपलब्धता के आधार पर वहां जाए।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
दिल्ली की EV नीति 7 अगस्त, 2020 को लागू की गई थी, जिसके खंड के 6.4.2 तहत इस प्रकार की व्यास्था बनाने की बात कही गई थी।
नीति के इस खंड में कहा गया है कि "जनता के लिये एक खुला, सार्वजनिक स्वामित्व वाला डाटाबेस परिवहन विभाग, GNCTD द्वारा तैयार किया जाएगा, जो सार्वजनिक चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की ऐतिहासिक और वास्तविक समय (रियल टाइम) की जानकारी प्रदान करेगा।"
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