मारुति सुजुकी मुख्यालय में प्रदर्शित की गई भारत की पहली मारुति 800, जानिये इसकी पूरी कहानी
आम से लेकर खास सभी भारतीयों की पसंद रही मारुति 800 को कभी भूलाया नहीं जा सकता। साल 1983 में लॉन्च हुई मारुति सुजुकी की इस हैचबैक कार ने कंपनी को सफलता की राह दिखाने के साथ-साथ देश के एक बड़े तबके को कार खरीदने के सक्षम बनाया था। अपने लाॉन्च से मारुति 800 अब तक 39 साल पूरे कर चुकी है। इस मौके पर कंपनी ने इसकी पहली यूनिट की मरम्मत कर इसे अपने मुख्यालय में प्रदर्शित किया है।
कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक ने किया कार को याद
इस शानदार हैचबैक कार को श्रद्धांजलि देते हुए मारुति सुजुकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि जैसे भारत ने 75 साल पहले एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपना पहला कदम उठाया था, वैसे ही मारुति सुजुकी ने अपनी पहली कार मारुति 800 के साथ 40 साल पहले शुरुआत की थी। शशांक ने सोशल मीडिया पोस्ट में कंपनी के मुख्यालय में प्रदर्शित की गई कार की पहली यूनिट के साथ अपनी तस्वीर साझा की।
शशांक श्रीवास्तव ने साझा की यह तस्वाीर
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दी थी पहली यूनिट की डिलीवरी
मारुति 800 को सबसे पहले 47,500 रुपये की एक्स शोरूम कीमत पर लॉन्च किया गया था। शुरुआती दौर में कंपनी इस कार का उत्पादन मारुति उद्योग लिमिटेड की हरियाणा इकाई में किया करती थी, जिसे आज मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। इस कार की पहली यूनिट के मालिक नई दिल्ली के हरपाल सिंह थे, जिन्होंने उत्पादन प्लांट में इसके औपचारिक उद्घाटन पर पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी से इस कार की चाबियां प्राप्त की थीं।
क्या है 800 की पहली यूनिट की कहानी?
सिंह की इस कार की पंजीकरण संख्या DIA 6479 थी। यह 2010 में हरपाल सिंह की मृत्यु तक उनके पास ही रही थी। बताया जाता है कि सिंह के बाद उनके परिवार ने इस कार की हालत पर ध्यान नहीं दिया और घर के बाहर सड़क पर खड़े यह गल रही थी। लंबे समय बाद इस कार की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुईं, जिनसे कंपनी का भी ध्यान इस ओर गया। इसके बाद इसे ठीक कराया गया।
इस तरह पहुंची कंपनी के मुख्यालय पहुंची पहली मारुति 800
कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कंपनी ने इस कार की मरम्मत के लिए समझौता किया। कार में सभी नये स्पेयर पार्ट्स को लगाया गया और मरम्मत कर एक दम नया कर दिया गया। हालांकि, अपनी उम्र के चलते यह कार अब दिल्ली की सड़कों पर चलने के योग्य नहीं थी और परिवार इसे उपयोग नहीं कर सकता था। इसलिये कंपनी ने इसे देश में अपनी पहली सफलता की कहानी के रूप में अपने मुख्यालय में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया।