लगातार फैल रहा है कोरोना वायरस, ऐसे ही इबोला ने अफ्रीका में मचाई थी तबाही
चीन के नोवेल कोरोना वायरस का प्रकोप हर दिन के साथ बढ़ता जा रहा है। वुहान शहर से शुरू हुआ ये वायरस अब तक कई देशों में फैल चुका है जिनमें भारत भी शामिल है। इसके प्रभाव में आकर अब तक 170 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन ये पहली बार नहीं है जब कोई वायरस दुनियाभर में चर्चा में है। इससे पहले 2014 में इबोला वायरस ने भी तबाही मचाई थी। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
कांगो में बहने वाली नदी के नाम पर पड़ा इबोला वायरस का नाम
इबोला वायरस का नाम कांगो में बहने वाली इसी नाम की नदी पर पड़ा है। माना जाता है कि 1976 में इस वायरस को सबसे पहले यहीं पाया गया था। 2014 में इसने मुख्यतौर पर पश्चिमी अफ्रीका के तीन देशों गिनी, सियेरा लियोन और नाइजीरिया में तबाही मचाई थी। यहां से ये वायरस यूरोप के कई देशों और अमेरिका में भी पहुंच गया था। इसके प्रकोप में आकर दुनियाभर में 11,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
10,000 साल पुराना है इबोला वायरस
वैज्ञानिकों के अनुसार इबोला वायरस की पहली बार पहचान भले ही 1976 में हुई हो, लेकिन इसका अस्तित्व 10,000 साल पुराना है। इसके स्त्रोत के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन अभी तक के वैज्ञानिक सबूत चमगादड़ों को इसका कारण मानते हैं। चमगादड़ों के मल-मूत्र के संपर्क में आने पर ये वायरस मनुष्य समेत बंदरों और चिंपैंजी आदि जानवरों में फैलता है। संक्रमित जानवर के संपर्क में आने पर भी कोई व्यक्ति इबोला का शिकार हो सकता है।
मनुष्य के संपर्क में आने पर तेजी से फैलता है इबोला
मनुष्य के संपर्क में आने के बाद इबोला वायरस बेहद तेजी से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने और उससे निकलने वाले पसीने, खून या अन्य तरल पदार्थों से भी ये वायरस फैल सकता है। इसी कारण इबोला के रोगी को सबसे अलग रखा जाता है। यही नहीं, इबोला के शिकार व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी खतरे से खाली नहीं है और उसके शव को छूने भर से भी ये वायरस फैल सकता है।
शारीरिक तरल पदार्थों के बाहर मात्र 30 सेंकड जिंदा रहता है इबोला
बेहद घातक होने के बावजूद इबोला वायरस शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के बाहर मात्र 30 सेकंड तक जीवित रह सकता है। इसी कारण इसकी संक्रमण दर अन्य वायरसों की तुलना में कम है। 1976 से लेकर अब तक अफ्रीकी देशों में दर्जन भर बार इबोला वायरस का प्रकोप देखने को मिला है। इस दौरान वायरस के प्रभाव में आने वाले लोगों की औसत मृत्यु दर 50 प्रतिशत रही है।
क्या हैं इबोला के लक्षण?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इबोला वायरस के संक्रमण के शुरूआती लक्षणों में अचानक बुखार, कमोजरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में खराश आदि शामिल हैं। अगले चरण में उल्टी, पेद दर्द, डायरिया, शरीर पर फुंसी और मुंह, कान और नाक से खून बहना आदि शामिल है। कुछ मामलों में शरीर के अंदरूनी अंगों में भी रक्तस्त्राव हो सकता है। इन लक्षणों को अपने चरम पर पहुंचने में दो से 21 दिन लगते हैं।
इबोला से बचने के लिए ये सावधानियां रखना जरूरी
इबोला वायरस के प्रभाव में आने से बचने के लिए व्यक्ति को चमगादड़ और बंदर आदि से दूर रहना चाहिए और जंगली जानवरों का मांस खाना बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा इबोला से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करते समय उसके खून, लार, पसीने और शरीर से निकलने वाले सभी तरह के तरल पदार्थों से दूर रहना भी अनिवार्य है। देखभाल करने वाले लोगों और मरीजों को दस्ताने और मास्क पहनने चाहिए और समय-समय पर हाथ धोते रहने चाहिए।
शुरूआती लक्षणों के बाद हो सकता है इबोला का इलाज
इबोला वायरस के इलाज के लिए अभी तक किसी भी टीके का निर्माण नहीं हो सका है। हालांकि, इस दौरान दो तरीके के टीके सामने जरूर आए जो शुरूआती लक्षणों के बाद इबोला का इलाज करने में बेहद कारगर सिद्ध हो सकते हैं।