पाकिस्तान में मारा गया खालिस्तानी नेता हरमीत सिंह, भारत को कई मामलों में थी तलाश
क्या है खबर?
खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) का शीर्ष नेता हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी PHD पाकिस्तान के लाहौर में मारा गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रग तस्करी के मामले में सोमवार को हरमीत की दूसरी गैंग के साथ झड़प हुई, जिसमें उसी गोली लगी और वो मारा गया। यह घटना लाहौर के डेरा चहल गुरुद्वारे के पास हुई थी।
हरमीत को 2016-17 में पंजाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता की हत्या का आरोपी बताया जाता है।
आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
हरमीत सिंह
दो दशक से पाकिस्तान में रह रहा था हरमीत
अधिकारियों ने बताया कि KLF प्रमुख हरमिंदर मिंटू की गिरफ्तारी के बाद हरमीत ने उसकी जगह ले ली थी।
मिंटू को पंजाब पुलिस ने 2014 में थाईलैंड से गिरफ्तार किया था। जेल में बंद मिंटू दूसरे गैंगस्टर के साथ जेल से भागने में कामयाब रहा था, लेकिन बाद में पकड़ा गया।
अप्रैल, 2018 में उसकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
हरमीत पिछले दो दशकों से पाकिस्तान में रह रहा था।
नोटिस
इंटरपोल ने जारी किया था रेड कॉर्नर नोटिस
हरमीत का जन्म अमृतसर के छेहरटा में हुआ था और उसने डॉक्टरेट की पढ़ाई की है। इसी वजह से उसे हैप्पी PHD के नाम से भी जाना जाता है।
पिछले साल अक्तूबर में भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने हरमीत समेत खालिस्तान से जुड़े आठ आतंकवादियों के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था।
पुलिस को कई मामलों में उसकी तलाश थी। उसने ऑपरेशन ब्लूस्टार की एनिवर्सरी पर हमला करने की योजना बनाई थी, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई।
मामला
ग्रेनेड हमले के पीछे था हरमीत का हाथ
हरमीत पाकिस्तान में बैठकर सोशल मीडिया के जरिए पंजाब के युवाओं को भड़का रहा था। वह कई हथियार और ड्रग तस्करी रैकेट से जुड़ा हुआ था।
पंजाब पुलिस 2018 में राजसांसी के निरंकारी भवन में संगत पर हुए ग्रेनेड हमले के मामले में उसकी तलाश कर रही थी। इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हो गए थे।
प्रतिबंधित संगठन
प्रतिबंधित संगठन की सूची में शामिल है KLF
खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट 1986 में पंजाब में खालिस्तान की मांग को लेकर अस्तित्व में आया था।
इसका मकसद था कि किसी भी तरह की हिंसा से पंजाब को भारत से अलग कराया जाए।
KLF का नाम अनेक बेकसूर लोगों और पुलिस अधिकारियों की हत्या में भी सामने आया था।
इसने युवाओं को गुमराह कर उन्हें आतंक के रास्ते पर ले जाने का काम किया था। 2018 में गृह मंत्रालय ने इसका नाम प्रतिबंधित संगठनों की लिस्ट में शामिल किया था।