कोरोना: फ्रांसीसी कंपनी की नई वैक्सीन को 'गेम चेंजर' क्यों कहा जा रहा है?
क्या है खबर?
फ्रांस की कंपनी वालनेवा ने कोरोना वायरस के खिलाफ एक नई वैक्सीन (VLA2001) तैयार की है। बाकी वैक्सीनों की तरह यह केवल कोरोना के स्पाइक प्रोटीन को निशाना नहीं बनाती बल्कि पूरे वायरस को निशाना बनाकर खत्म कर देती है।
इस खासियत की वजह से कई लोग इस संभावित वैक्सीन को 'गेम चेंजर' भी करार दे रहे हैं।
बुधवार को ही यूरोपीय कमीशन ने कंपनी को इसकी छह करोड़ खुराकों का ऑर्डर दिया है।
तकनीक
किस तकनीक से बनी है यह वैक्सीन?
यह एक इनएक्टिवेटेड व्होल वायरस वैक्सीन है, जिसका मतलब है कि यह कोरोना वायरस के मृत वर्जन पर बनी है। इसी तरीके से पोलियो की वैक्सीन तैयार की गई थी। यह mRNA की तुलना में पुरानी और परंपरागत तकनीक है।
मृत वायरस होने के कारण यह शरीर में जाने पर बीमार नहीं करती। इसके साथ इसमें एक सहायक तत्व मिलाया गया है, जो इसे इंसानी कोशिकाओं के भीतर जाने में मदद करता है।
खासियत
इसकी खासियत क्या है?
वैक्सीन के जरिये मृत वायरस शरीर के अंदर जाने पर इम्युन सिस्टम स्पाइक प्रोटीन के साथ-साथ पूरे वायरस को बाहरी समझकर निशाना बना शुरू कर देता है। साथ ही इससे इम्युन सिस्टम की मेमरी सेल्स बढ़ती है, जिससे वायरस की पहचान करना आसान हो जाता है।
कंपनी का कहना है कि अगर स्पाइक प्रोटीन में किसी तरह की म्यूटेशन होती है तब भी वैक्सीनेटेड व्यक्ति का इम्युन सिस्टम वायरस के दूसरे हिस्सों को पहचान कर उसे निष्क्रिय कर देगा।
ट्रायल
ट्रायल के नतीजे क्या रहे थे?
यूनाइटेड किंगडम में 4,000 से अधिक लोगों पर इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल किए गए थे।
नतीजों में पता चला कि यह एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) की तुलना में बेहतर इम्युन रिस्पॉन्स पैदा करती है। वालनेवा वैक्सीन लेने वाले लोगों में अधिक एंटीबॉडीज पाई गई थीं।
साथ ही 28 दिनों के अंतराल पर दी गई दो खुराकों से वॉलेंटियर पर एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तुलना में बुखार और दर्द जैसे कम साइड इफेक्ट्स देखने को मिले।
इस्तेमाल की अनुमति
साल के अंत तक मंजूरी मिलने की उम्मीद
इस वैक्सीन का ट्रायल डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण के दौरान किया गया था। कंपनी का कहना है कि इसके बावजूद ट्रायल के दौरान कोरोना का कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया।
वालनेवा को 18 से 55 वर्ष की उम्र के लोगों के लिए इस संभावित वैक्सीन को मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
यूनाइटेड किंगडम में कंपनी ने मंजूरी पाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं यूरोपीय संघ में भी वह ऐसा प्रस्ताव देने पर विचार कर रही है।
कोरोना वैक्सीनेशन
दुनियाभर में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है।
ब्लूमबर्ग के अनुसार, अभी तक पूरी दुनिया में 7 अरब से अधिक खुराकें लगाई जा चुकी हैं। 2.3 अरब खुराकों के साथ चीन वैक्सीनेशन कवरेज में सबसे आगे हैं और उसकी 75 फीसदी आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है।
सर्वाधिक खुराकों के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है और यहां अभी तक 1.10 अरब खुराकें लगाई गई हैं और 25 फीसदी आबादी को दोनों खुराकें लग चुकी हैं।