वैक्सीनेशन: फाइनल टेस्टिंग के लिए पहुंची J&J वैक्सीन, अगले महीने इस्तेमाल शुरू होने की उम्मीद
क्या है खबर?
अमेरिकी फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) की एक खुराक वाली वैक्सीन जेनसेन अंतिम दौर की गुणवत्ता और सुरक्षा जांच के लिए सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेट्री पहुंच गई है।
जांच के लिए लैबोरेट्री में करीब 35 लाख खुराकें भेजी गई हैं, जिनका उत्पादन हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई ने किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस जांच में दो से तीन सप्ताह का समय लगेगा।
बता दें, जेनसेन भारत में मंजूरी पाने वाली पांचवीं वैक्सीन थी।
जेनसेन
पिछले महीने मिली थी आपात इस्तेमाल की मंजूरी
7 अगस्त को भारत ने जेनसेन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी।
यह एक खुराक वाली चुनिंदा वैक्सीनों में शामिल है। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए इस वैक्सीन की एक ही खुराक काफी है और दूसरी की जरूरत नहीं पड़ती।
कंपनी का कहना है कि उसकी वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट को निष्क्रिय कर सकती है और उसके खिलाफ मजबूत एंटीबॉडीज विकसित करती है।
अमेरिका, यूरोपीय संघ और दक्षिण अफ्रीका आदि में इसका इस्तेमाल पहले से जारी है।
प्रक्रिया
टेस्टिंग के बाद 100 लोगों पर होगा ट्रायल
न्यूज18 से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि मसूरी स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेट्री में टेस्टिंग पूरी होने के बाद 100 लोगों को यह वैक्सीन लगाई जाएगी और उन पर सात दिनों तक नजर रखी जाएगी। विदेशी वैक्सीनों के लिए ऐसा करना जरूरी है। सात दिनों के आंकड़े देखने के बाद नियामक संस्था इसे राष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल की अनुमति दे सकती है।
हालांकि, अभी तक कंपनी की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
जानकारी
कंपनी ने 12-17 आयुवर्ग पर वैक्सीन के ट्रायल की मंजूरी मांगी
जॉनसन एंड जॉनसन ने पिछले महीने भारत में 12-17 आयुवर्ग पर जेनसेन के ट्रायल की अनुमति मांगी थी।
कंपनी ने इसके लिए 17 अगस्त को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के पास आवेदन भेजा था। यहां से मंजूरी मिलने के बाद कंपनी अपनी एक खुराक वाली वैक्सीन का 12-17 साल के बच्चों और किशोरों पर ट्रायल कर सकेगी।
इस मौके पर प्रवक्ता ने कहा था कंपनी बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
साझेदारी
वैक्सीन बनाने के लिए बायोलॉजिकल ई से मिलाया हाथ
जानकारी के लिए बता दें कि J&J ने कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए हैदराबाद स्थित भारतीय कंपनी बायोलॉजिकल ई के साथ हाथ मिलाया है।
मई में हुए इस समझौते के बाद अमेरिकी कंपनी ने बयान जारी कर कहा था, "जॉनसन एंड जॉनसन कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के लिए बायोलॉजिकल ई लिमिटेड के साथ काम कर रही है। हमें उम्मीद है कि बायोलॉजिक ई हमारे वैश्विक वैक्सीन आपूर्ति नेटवर्क का एक अहम हिस्सा होगी।"
वैक्सीनेशन अभियान
छह वैक्सीनों को मिल चुकी मंजूरी, तीन का हो रहा इस्तेमाल
भारत में अब तक कुल छह कोरोना वैक्सीनों को इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन तीन का ही इस्तेमाल हो रहा है।
शुरुआत से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अप्रैल में हरी झंडी मिलने के बाद स्पूतनिक-V का इस्तेमाल शुरू हुआ था।
मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और जायडस कैडिला की वैक्सीनों को भी मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन उनका इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है।