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    वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के लिए भी कम घातक है ओमिक्रॉन- अध्ययन

    वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के लिए भी कम घातक है ओमिक्रॉन- अध्ययन
    लेखन प्रमोद कुमार
    Jan 15, 2022, 05:27 pm 1 मिनट में पढ़ें
    वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के लिए भी कम घातक है ओमिक्रॉन- अध्ययन
    वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के लिए भी कम घातक है ओमिक्रॉन- अध्ययन

    दक्षिण अफ्रीका में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के लिए भी कम घातक है। हालांकि, इस अध्ययन को अभी तक पीयर रिव्यू नहीं किया गया है। दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिसीज (NICD) के अध्ययन में दावा किया गया है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद भी वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम है।

    पहली तीन लहरों से की गई तुलना

    अध्ययन में कहा गया है कि चौथी लहर में पहली तीन लहरों की तुलना में मरीजों की मौत होने की आशंका कम है। इस अध्ययन में पहली तीन लहरों में संक्रमित हुए 11,609 लोगों की ओमिक्रॉन के कारण आई चौथी लहर में संक्रमण का शिकार होने वाले 5,000 से ज्यादा मरीजों के साथ तुलना की गई थी। बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में ही सबसे पहले कोरोना वायरस के बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता चला था।

    अध्ययन में क्या बातें निकलकर सामने आईं?

    अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि चौथी लहर में संक्रमित पाए जाने के 14 दिनों के भीतर 8 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होना या जान गंवाना पड़ा, जबकि पहली तीन लहरों में यह संख्या 16.5 प्रतिशत थी। अध्ययनकर्ताओं ने इसके पीछे पूर्व संक्रमण और वैक्सीनेशन को वजह बताने के साथ-साथ माना है कि ओमिक्रॉन से गंभीर रूप से बीमार होने और अस्पताल में भर्ती होने का खतरा डेल्टा वेरिएंट की तुलना में 25 प्रतिशत कम है।

    डॉ फाउची ने भी बताया ओमिक्रॉन को हल्का

    अमेरिका के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने भी अलग-अलग देशों में हुए अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि भले ही ओमिक्रॉन बेहद संक्रामक है, लेकिन यह डेल्टा वेरिएंट जितना घातक नहीं है। दक्षिण अफ्रीका के आंकड़ों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति को डेल्टा से संक्रमित मरीज की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने और मेडिकल ऑक्सीजन की कम जरूरत पड़ती है।

    अन्य अध्ययन भी करते हैं पुष्टि

    इनके अलावा इंग्लैंड में हुए तीन अध्ययनों में अलग-अलग मानकों पर ओमिक्रॉन को कम घातक पाया गया था। कनाडा में हुए अध्ययन में पता चला था कि ओमिक्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आशंका डेल्टा से 65 प्रतिशत कम है।

    ओमिक्रॉन वेरिएंट को हल्का मानना पड़ सकता है भारी- WHO

    भले ही ओमिक्रॉन वेरिएंट को हल्का माना जा रहा है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है। WHO ने कहा कि ओमिक्रॉन दुनियाभर में लोगों की जान ले रहा है और इसे हल्का कहकर खारिज नहीं किया जाना चाहिए। संगठन के प्रमुख डॉ टेड्रोस अधेनोम गेब्रैयसस ने कहा कि इसके कारण रिकॉर्ड संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। यह कई देशों में डेल्टा वेरिएंट को पछाड़कर प्रमुखता से फैलने वाला वेरिएंट बन रहा है।

    तेजी से आई नए मामलों की सुनामी- डॉ टेड्रोस

    एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ टेड्रोस ने कहा कि ओमिक्रॉन खासकर वैक्सीनेटेड लोगों में डेल्टा की तुलना में हल्का लग रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे हल्का मान लिया जाना चाहिए। यह पिछले वेरिएंट्स की तरह ही लोगों को अस्पताल में भर्ती कर रहा है और मार रहा है। उन्होंने कहा कि नए मामलों की सुनामी इतनी बड़ी और तेजी से आई है कि दुनियाभर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बढ़ गया है।

    दुनियाभर में क्या है संक्रमण की स्थिति?

    जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक 32.38 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 55.31 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 6.49 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 8.49 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है। भारत में 3.68 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और लगभग 4.86 लाख लोगों को इस कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।

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