#NewsBytesExplainer: जेरूसलम की अल-अक्सा मस्जिद अक्सर विवादों में क्यों रहती है?
जेरूसलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद फिर सुर्खियों में है। पिछले 2 दिनों से यहां इजरायली बलों और फिलिस्तीनी लोगों के बीच झड़प की खबरें आ रही हैं। फिलिस्तीन का कहना है कि इजरायली सेना ने यहां नमाज के दौरान ग्रेनेड से हमला किया, वहीं इजरायल ने इन आरोपों को नकारा है। ये पहली बार नहीं है जब अल-अक्सा मस्जिद को लेकर विवाद की स्थिति बनी है। आइए इस मस्जिद से संबंधित पूरे विवाद को समझते हैं।
कहां है अल-अक्सा मस्जिद?
अल-अक्सा मस्जिद पूर्वी जेरूसलम की ओल्ड सिटी में स्थित है। इस पर इजरायल ने साल 1967 के युद्ध में वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के साथ कब्जा कर लिया था। 1967 से पहले ये इलाका जॉर्डन के कब्जे में था। बाद में जॉर्डन और इजरायल के बीच हुए शांति समझौते के तहत इस इलाके में स्थित इसाई और मुस्लिम धार्मिक स्थलों का अधिकार जॉर्डन को मिला और सुरक्षा इंतजाम की जिम्मेदारी इजरायल के पास आई।
मुस्लिमों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मस्जिद?
मुस्लिम अल-अक्सा मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद तीसरी सबसे पवित्र जगह मानते हैं। मुस्लिमों का मानना है कि पैगंबर मोहम्मद स्वर्ग की यात्रा के लिए मक्का से यहां आए थे। इस मस्जिद के पास 'डॉम ऑफ रॉक' भी है। मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस चट्टान पर चढ़कर ही पैगंबर मोहम्मद ने स्वर्ग की अपनी चमत्कारिक यात्रा की शुरुआत की थी। मुस्लिम पूरे मस्जिद परिसर को हरम-अल-शरीफ नाम से पुकारते हैं।
यहूदियों के लिए क्यों खास है इलाका?
यहूदी मस्जिद परिसर वाले इलाके को टैंपल माउंट कहते हैं। उनका दावा है कि इस इलाके में कभी उनका सबसे पवित्र मंदिर हुआ करता थे, जिसे दो बार नष्ट कर दिया गया। इलाके में स्थित वेस्टर्न वॉल को यहूदी अपनी पवित्र मंदिर की बची हुई निशानी मानते हैं। यहीं पर यहूदियों की सबसे पवित्र जगह 'होली ऑफ होलीज' है। मान्यता है कि यहां से ही सृष्टि का निर्माण हुआ था और इब्राहिम ने अपने बेटे इसाक की कुर्बानी दी थी।
अल-अक्सा मस्जिद में किसे प्रार्थना करने की अनुमति है?
अल-अक्सा मस्जिद में केवल मुस्लिम ही प्रार्थना कर सकते हैं। गैर-मुस्लिम लोग यहां जा तो सकते हैं, लेकिन प्रार्थना नहीं कर सकते। प्रार्थना की इसी व्यवस्था को लेकर अक्सर विवाद भी होता रहता है। कई बार यहूदी मस्जिद में प्रार्थना करते हैं, जिसका मुस्लिम समुदाय विरोध करता है। जेरूसलम में यहूदियों के पवित्र स्थल टेंपल माउंट में गैर-मुस्लिमों के जाने पर पाबंदी है। यहूदियों का मानना है कि इस पवित्र जगह पर लोगों के कदम पड़ना इसका अपमान है।
फिलहाल इस इलाके पर किसका कब्जा है?
1967 युद्ध के बाद इजरायल ने पूर्वी जेरूसलम के भी करीब आधे हिस्से पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र पर इजरायल के कब्जे को मान्यता नहीं देता है। बाद में हुए एक समझौते के तहत इलाके के मुस्लिम और ईसाई धार्मिक स्थलों की देखरेख जॉर्डन सरकार के अंतर्गत काम करने वाला वक्फ बोर्ड देखता है। इजरायल के पास यहां की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी है। हालांकि, सुरक्षा को लेकर दोनों के बीच विवाद होता रहता है।
क्या है इजरायल-फिलिस्तीन का आधुनिक विवाद?
पहले विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद फिलिस्तीन ब्रिटेन के कब्जे में आया था। इसी बीच स्वतंत्र यहूदी देश की मांग उठने लगी और प्रताड़ित यहूदी यूरोप से फिलिस्तीन आने लगे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने मामला संयुक्त राष्ट्र (UN) को सौंप दिया। UN ने 1947 में इलाके को दो देशों में बांट दिया, अरब देश फिलिस्तीन और यहूदी देश इजरायल। जेरूसलम को UN ने अपने अधिकार क्षेत्र में रखा। तभी से संघर्ष जारी है।
न्यूजबाइट्स प्लस
ईसाईयों का सबसे पवित्र स्थल 'द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर' भी जेरूसलम में है। उनकी मान्यता है कि इसी जगह पर ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था और यहीं पर वे दोबारा जीवित हुए। यहां पर उनकी खाली कब्र भी है, जिसमें उन्हें दफनाया गया था। ईसाइयों का मानना है कि इसी जगह पर ईसा मसीह का दूसरा आगमन होगा। ये चर्च अल-अक्सा मस्जिद से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित है।