अमेरिका के चुनावों में अभी भी क्यों किया जाता है कागजी मतपत्रों का इस्तेमाल?
अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शीघ्र मतदान की अनुमति देने वाले 36 राज्यों में लगभग 2.9 करोड़ लोग मतदान कर चुके हैं। हालांकि, बड़ी बात यह है कि अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल होने के बाद भी अधिकतर लोग आज भी मतदान के लिए कागजी मतपत्रों का ही इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि अमेरिका अभी भी चुनाव में मतपत्रों पर ही क्यों निर्भर है।
दुनिया के 25 देशों में होता है EVM का इस्तेमाल
दुनिया में इस समय 100 से अधिक देशों में लोकतांत्रिक ढंग से सरकार का चुनाव किया जाता है, लेकिन इनमें से केवल 25 देशों में ही EVM का इस्तेमाल किया जाता है। इन देशों में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, इटली, स्विट्जरलैंड, कनाडा, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, पेरू, वेनेजुएला, नामीबिया, नेपाल, भूटान, आर्मेनिया और बांग्लादेश शामिल हैं। इनके अलावा अन्य सभी देशों में आज भी मतदान के लिए लोगों द्वारा कागजी मतपत्रों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
अमेरिका में साल 2000 तक कैसे होता था मतदान?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अमेरिका के चुनावों में साल 2000 तक पंच-कार्ड वोटिंग मशीनों के साथ मतपत्रों का उपयोग किया जाता था। साल 2000 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश और अल गोर के बीच हुए चुनाव और उसके परिणाम विवादित रहे थे। उस दौरान मतदाताओं ने मतपत्र में अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे पंच किया था। हालांकि, इस प्रक्रिया में अराजकता फैल गई और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप पर जॉर्ज बुश के हक में फैसला सुना दिया।
अमेरिका ने साल 2002 में पारित किया 'हेल्प अमेरिका वोट' अधिनियम
अमेरिकी सरकार ने साल 2002 में हेल्प अमेरिका वोट अधिनियम (HAVA) पारित किया था। सरकार ने नए उपकरण खरीदने के लिए भी अरबों रुपये अलग रखे हैं, जिनमें प्रत्यक्ष रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (DRI) मशीनें भी शामिल थी। इन मशीनों में किसी तरह की कागजी कार्रवाई नहीं होती। हालांकि, इसके बाद भी लोगों का रुझान मतपत्रों से वोट डालने पर ही रहा। 2006 तक DRI के इस्तेमाल करने वालों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन मतपत्र सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहे।
साल 2014 तक 25 प्रतिशत मतदाओं ने किया DRI का इस्तेमाल
अमेरिका में 2014 तक मतदान में DRI का इस्तेमाल करने वाले मतदाताओं की संख्या 25 प्रतिशत तक पहुंच गई, लेकिन 2016 में DRI पर फिर से सवाल खड़े हो गए। रूस ने चुनाव को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया अभियान चला दिए। इसने लोगों में निष्पक्ष चुनाव के लिए फिर मतपत्रों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे दिया। यही कारण है कि अमेरिका में आज भी 70 प्रतिशत से अधिक लोग मतदान करने के लिए मतपत्रों को भरोसेमंद मानते हैं।
चुनाव में 98 प्रतिशत मतदाताओं के मतपत्रों का इस्तेमाल करने की उम्मीद
ब्रेननसेंटर ऑर्ग ने सत्यापित मतदान और चुनाव सहायता आयोग के चुनाव प्रशासन और मतदान सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में 98 प्रतिशत वोट कागजी मतपत्रों पर डाले जाएंगे। साल 2020 के चुनाव में मतपत्रों के मतदान करने वालो की संख्या 93 प्रतिशत थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के लोग कागजी मतपत्र के इस्तेमाल को ही तरहीज देते हैं।
ट्रंप और उनके सहयोगियों ने की DRI को पूरी तरह हटाने की मांग
ट्रम्प और उनके सहयोगियों ने हाल ही दावा किया कि 2020 के कुछ चुनावों में गणना में हेरफेर किया गया था। ऐसे में वो मशीनों को पूरी तरह से हटाने तथा मतपत्रों की गिनती हाथ से करने पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, ट्रंप के आरोपों की जांच के बाद उन्हें खारिज कर दिया गया है। इधर, विशेषज्ञों का कहना है कि मतगणना में गड़बड़ी के आरोप पूरी तरह बेतुके हैं। अधिकतर लोग अभी भी मतपत्रों का इस्तेमाल करते हैं।
मतपत्रों के इस्तेमाल का क्या है प्रमुख कारण?
अमेरिकी चुनाव आयोग के अनुसार, अमेरिकी नागरिक को मतदान करने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर ज्यादा भरोसा नहीं है। उनका मानना है कि EVM को हैक किया जा सकता है और पेपर बैलेट ज्यादा भरोसेमंद है, जिसमें उनका वोट वहीं जाता है, जहां वे चाहते हैं। इसके अलावा, कागजी मतपत्र यहां पर 18वीं सदी से चला आ रहा है इसलिए इसे चुनाव में एक परंपरा के अनुसार भी देखा जाता है। ऐसे में यह आज भी लोकप्रिय है।