NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    ऑपरेशन सिंदूर
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / दुनिया की खबरें / अमेरिका के चुनावों में अभी भी क्यों किया जाता है कागजी मतपत्रों का इस्तेमाल?
    अगली खबर
    अमेरिका के चुनावों में अभी भी क्यों किया जाता है कागजी मतपत्रों का इस्तेमाल?
    अमेरिका में आज भी प्रचलित हैं कागजी मतपत्र

    अमेरिका के चुनावों में अभी भी क्यों किया जाता है कागजी मतपत्रों का इस्तेमाल?

    लेखन भारत शर्मा
    Oct 29, 2024
    01:05 pm

    क्या है खबर?

    अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शीघ्र मतदान की अनुमति देने वाले 36 राज्यों में लगभग 2.9 करोड़ लोग मतदान कर चुके हैं।

    हालांकि, बड़ी बात यह है कि अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल होने के बाद भी अधिकतर लोग आज भी मतदान के लिए कागजी मतपत्रों का ही इस्तेमाल करते हैं।

    ऐसे में आइए जानते हैं कि अमेरिका अभी भी चुनाव में मतपत्रों पर ही क्यों निर्भर है।

    EVM

    दुनिया के 25 देशों में होता है EVM का इस्तेमाल

    दुनिया में इस समय 100 से अधिक देशों में लोकतांत्रिक ढंग से सरकार का चुनाव किया जाता है, लेकिन इनमें से केवल 25 देशों में ही EVM का इस्तेमाल किया जाता है।

    इन देशों में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, इटली, स्विट्जरलैंड, कनाडा, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, पेरू, वेनेजुएला, नामीबिया, नेपाल, भूटान, आर्मेनिया और बांग्लादेश शामिल हैं।

    इनके अलावा अन्य सभी देशों में आज भी मतदान के लिए लोगों द्वारा कागजी मतपत्रों का ही इस्तेमाल किया जाता है।

    मतदान

    अमेरिका में साल 2000 तक कैसे होता था मतदान?

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अमेरिका के चुनावों में साल 2000 तक पंच-कार्ड वोटिंग मशीनों के साथ मतपत्रों का उपयोग किया जाता था।

    साल 2000 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश और अल गोर के बीच हुए चुनाव और उसके परिणाम विवादित रहे थे। उस दौरान मतदाताओं ने मतपत्र में अपने पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे पंच किया था।

    हालांकि, इस प्रक्रिया में अराजकता फैल गई और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप पर जॉर्ज बुश के हक में फैसला सुना दिया।

    अधिनियम

    अमेरिका ने साल 2002 में पारित किया 'हेल्प अमेरिका वोट' अधिनियम

    अमेरिकी सरकार ने साल 2002 में हेल्प अमेरिका वोट अधिनियम (HAVA) पारित किया था।

    सरकार ने नए उपकरण खरीदने के लिए भी अरबों रुपये अलग रखे हैं, जिनमें प्रत्यक्ष रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक (DRI) मशीनें भी शामिल थी। इन मशीनों में किसी तरह की कागजी कार्रवाई नहीं होती।

    हालांकि, इसके बाद भी लोगों का रुझान मतपत्रों से वोट डालने पर ही रहा। 2006 तक DRI के इस्तेमाल करने वालों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन मतपत्र सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहे।

    मतदान

    साल 2014 तक 25 प्रतिशत मतदाओं ने किया DRI का इस्तेमाल

    अमेरिका में 2014 तक मतदान में DRI का इस्तेमाल करने वाले मतदाताओं की संख्या 25 प्रतिशत तक पहुंच गई, लेकिन 2016 में DRI पर फिर से सवाल खड़े हो गए।

    रूस ने चुनाव को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया अभियान चला दिए। इसने लोगों में निष्पक्ष चुनाव के लिए फिर मतपत्रों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे दिया।

    यही कारण है कि अमेरिका में आज भी 70 प्रतिशत से अधिक लोग मतदान करने के लिए मतपत्रों को भरोसेमंद मानते हैं।

    सर्वे

    चुनाव में 98 प्रतिशत मतदाताओं के मतपत्रों का इस्तेमाल करने की उम्मीद

    ब्रेननसेंटर ऑर्ग ने सत्यापित मतदान और चुनाव सहायता आयोग के चुनाव प्रशासन और मतदान सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में 98 प्रतिशत वोट कागजी मतपत्रों पर डाले जाएंगे।

    साल 2020 के चुनाव में मतपत्रों के मतदान करने वालो की संख्या 93 प्रतिशत थी।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के लोग कागजी मतपत्र के इस्तेमाल को ही तरहीज देते हैं।

    मांग

    ट्रंप और उनके सहयोगियों ने की DRI को पूरी तरह हटाने की मांग

    ट्रम्प और उनके सहयोगियों ने हाल ही दावा किया कि 2020 के कुछ चुनावों में गणना में हेरफेर किया गया था। ऐसे में वो मशीनों को पूरी तरह से हटाने तथा मतपत्रों की गिनती हाथ से करने पर जोर दे रहे हैं।

    हालांकि, ट्रंप के आरोपों की जांच के बाद उन्हें खारिज कर दिया गया है। इधर, विशेषज्ञों का कहना है कि मतगणना में गड़बड़ी के आरोप पूरी तरह बेतुके हैं। अधिकतर लोग अभी भी मतपत्रों का इस्तेमाल करते हैं।

    कारण

    मतपत्रों के इस्तेमाल का क्या है प्रमुख कारण?

    अमेरिकी चुनाव आयोग के अनुसार, अमेरिकी नागरिक को मतदान करने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर ज्यादा भरोसा नहीं है। उनका मानना है कि EVM को हैक किया जा सकता है और पेपर बैलेट ज्यादा भरोसेमंद है, जिसमें उनका वोट वहीं जाता है, जहां वे चाहते हैं।

    इसके अलावा, कागजी मतपत्र यहां पर 18वीं सदी से चला आ रहा है इसलिए इसे चुनाव में एक परंपरा के अनुसार भी देखा जाता है। ऐसे में यह आज भी लोकप्रिय है।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    अमेरिका
    राष्ट्रपति चुनाव
    अमेरिकी सरकार
    डोनाल्ड ट्रंप

    ताज़ा खबरें

    कटरा-श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस 6 जून को रवाना होगी, प्रधानमंत्री मोदी दिखाएंगे हरी झंडी वंदे भारत एक्सप्रेस
    शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ हुआ बंद, सेंसेक्स 636 अंक टूटा  शेयर बाजार समाचार
    कमल हासन की 'ठग लाइफ' कर्नाटक में नहीं होगी रिलीज, जानिए क्या है कारण  कमल हासन
    टाटा हैरियर EV भारत में लॉन्च, जानिए कीमत और फीचर  टाटा मोटर्स

    अमेरिका

    अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने घड़ियां बेचनी शुरू की, राष्ट्रपति चुनाव में फायदा पाने की कोशिश डोनाल्ड ट्रंप
    हिजबुल्लाह प्रमुख की मौत से बौखलाया ईरान, किया UNSC की बैठक बुलाने का आह्वान इजरायल
    हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नरसल्लाह की मौत के इजरायल के लिए क्या है मायने?  इजरायल
    अमेरिका ने सीरिया पर किया बड़ा हवाई हमला, ISIS-अल कायदा के 37 आतंकी मारे गए सीरिया

    राष्ट्रपति चुनाव

    राष्ट्रपति चुनाव: यशवंत सिन्हा और द्रौपदी मुर्मू में से किसका पलड़ा है भारी? ममता बनर्जी
    NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बारे में दिलचस्प बातें द्रौपदी मुर्मू
    नीतीश कुमार और नवीन पटनायक के समर्थन के बाद द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना लगभग तय नीतीश कुमार
    NDA के किन दिग्गज नेताओं को पछाड़कर राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं द्रौपदी मुर्मू? झारखंड

    अमेरिकी सरकार

    अमेरिका का वीजा चाहिए तो देनी होगी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी, कड़े हुए नियम ट्विटर
    नागरिकता संशोधन बिल: अमेरिका में भी उठे सवाल, अमित शाह पर पाबंदियां लगाने की मांग लोकसभा
    भारत को 15.5 करोड़ डॉलर की मिसाइलें और टॉरपीडो बेचेगा अमेरिका, ट्रंप प्रशासन ने दी इजाजत भारत की खबरें
    अमेरिका: कोरोना वायरस को हराने वाले शख्स को अस्पताल ने थमाया 8.35 करोड़ रुपये का बिल कोरोना वायरस

    डोनाल्ड ट्रंप

    अमेरिका: बाइडन के बाद अब राष्ट्रपति चुनाव में कौन होगा डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार? अमेरिका
    डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या पड़ेगा असर? अमेरिका
    क्रिप्टोकरेंसी के समर्थन में डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के बाद बिटकॉइन में बड़ी बढ़त बिटकॉइन
    गूगल ने एलन मस्क के आरोपों को बताया गलत, चुनाव में हस्तक्षेप का था आरोप गूगल
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025