भारत को 15.5 करोड़ डॉलर की मिसाइलें और टॉरपीडो बेचेगा अमेरिका, ट्रंप प्रशासन ने दी इजाजत
अमेरिकी सरकार ने भारत को हारपून ब्लॉक-II एयर लॉन्च मिसाइलें और हल्के वजन के टॉरपीडो बेचने के दो सौदों को मंजूरी दे दी है। इन सौदों की कीमत लगभग 15.5 करोड़ डॉलर होगी। इसमें लगभग 9.2 करोड़ डॉलर की 124 किलोमीटर रेंज वाली दस AGM-84L हारपून ब्लॉक-II मिसाइलें होंगी। वहीं 6.3 करोड़ डॉलर में हल्के वजन के 16 'MK-54 ऑल राउंड टॉरपीडो' और तीन 'MK-54 एक्सरसाइज टॉरपीडो' आएंगे। भारत को तकनीक संबंधी अन्य सुविधाएं भी मिलेंगीं।
भारत ने जताई थी ये हथियार खरीदने की इच्छा
बता दें कि भारत सरकार ने अमेरिका से हथियार खरीदने का प्रस्ताव दिया था जिसे अब मंजूरी दी गई है। अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने अमेरिकी संसद को दो नोटिफिकेशन के जरिए इन दो सौदों को मंजूर किए जाने की जानकारी दी है। भारत को हारपून मिसाइलों के साथ कंटेनर, स्पेयर पार्ट्स, तकनीकी जानकारी और ट्रैनिंग का सामान आदि भी दिया जाएगा। इसके अलावा अमेरिकी सरकार और कंपनी के कॉन्ट्रैक्टर इंजीनियरिंग और दूसरी तरह की सहायता भी मुहैया कराएंगे।
बोइंग तैयार करेगा मिसाइलें, ये होगी खासियत
हारपून मिसाइलों का निर्माण बोइंग कंपनी करेगी और इन्हें P-8I विमानों में लगाया जाएगा। ये एक मल्टी-मिशन विमान है जिसे लंबी दूरी के एंटी-सबमरीन युद्ध, एंटी-सरफेस युद्ध , खुफिया निगरानी और टोही मिशन के लिए तैयार किया गया है। 3.84 मीटर लंबी मिसाइल में 500 पाउंड विस्फोटक होगा जिससे ये दुश्मनों की तटीय सुरक्षा, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाजों और औद्योगिक ठिकानों को तबाह कर सकेगी। ये एक एंटी-शिप मिसाइल है।
रेथियॉन कंपनी करेगी टॉरपीडो का निर्माण
वहीं हल्के वजन वाले टॉरपीडो का निर्माण रेथियॉन कंपनी करेगी और इन्हें P-8I में फिट करके दुश्मन के ठिकानों पर निशाना साधा जा सकता है। इनका इस्तेमाल समुद्री सुरक्षा में बेहद कारगर साबित होगा।
पेंटागन ने कहा- अपनी सुरक्षा के लिए भारत करेगा मिसाइलों को प्रयोग
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने मामले पर कहा, "भारत इनका इस्तेमाल क्षेत्रीय खतरों से निपटने और अपनी धरती की सुरक्षा बढ़ाने के लिए करेगा। इन उपकरण को अपने सैन्य बलों के साथ फिट करने में भारत को कोई कठिनाई नहीं होगी।" इसमें ये भी कहा गया है कि इन मिसाइलों से वर्तमान और भविष्य में दुश्मन के हथियारों के खतरे से निपटने की भारत की क्षमता बढ़ेगी। उसने कहा कि इससे अमेरिका-भारत के सामरिक रिश्तों को मजबूती मिलेगी।
भारत और अमेरिका के रिश्तों में दिख रही गर्मजोशी
बता दें कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में इन दिनों एक गर्मजोशी देखी जा रही है। हाल ही में भारत ने कोरोना वायरस से निपटने में लाभदायक सिद्ध हो रही हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवाई की खेप अमेरिका भेजने की मंजूरी दी थी और ये अमेरिका पहुंच भी चुकी है। इससे पहले भारत ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन के निर्यात पर बैन लगा दिया था और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करने के बाद भारत ने अमेरिका को ये दवाईयां भेजीं।