महामारी रोकने के लिए सितंबर तक हर देश की 10 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन जरूरी- WHO
कई देशों में वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार पर चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉ टेड्रोस अधेनोम गेब्रिएसेस ने कहा कि महामारी को नियंत्रण में करने के लिए सभी देशों को सितंबर तक अपनी 10 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन लगानी होगी। उन्होंने वैक्सीनेशन को महामारी पर काबू पाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के लिए सबसे जरूरी साधन बताया। आइये, जानते हैं कि उन्होंने और क्या-क्या बातें कहीं।
वैक्सीन वितरण में भारी असमानता को बताया चुनौती
इंडिया ग्लोबल फोरम को वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए डॉ टेड्रोस ने कहा, "वैक्सीन की पहुंच तक भारी असमानता से महामारी को बढ़ावा मिल रहा है। कुछ देशों ने आबादी के बड़े हिस्से को वैक्सीनेट कर दिया है तो कई देशों के पास स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को देने तक के लिए वैक्सीन नहीं है। अगर कोई देश अपने लोगों को वैक्सीन नहीं लगा पा रहा है तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरे की बात है।"
साल के अंत तक हर देश की 40 फीसदी आबादी को लगे वैक्सीन- डॉ टेड्रोस
डॉ टेड्रोस ने सितंबर तक हर देश की 10 प्रतिशत, साल के अंत तक 40 प्रतिशत और अगले साल के मध्य तक हर देश की 70 फीसदी आबादी के वैक्सीनेशन के लिए वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि अभी वैक्सीन के समान वितरण की जरूरत है और इससे महामारी को काबू करने में मदद मिलेगी। उन्होंने चेताते हुए कहा कि महामारी को जड़ से खत्म करने के लिए इसे हर कहीं से खत्म करना जरूरी है।
अलग-अलग देशों की वैक्सीनेशन दर में भारी अंतर
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि अलग-अलग देशों में वैक्सीनेशन की दर में भारी अंतर है। कई देश 60 फीसदी आबादी को वैक्सीनेट कर चुके हैं तो कहीं पर एक फीसदी लोगों को भी वैक्सीन नहीं लग पाई है।
लक्ष्य से पीछे चल रहा है कोवैक्स कार्यक्रम
गरीब देशों में वैक्सीन आपूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र और WHO की तरफ से कोवैक्स कार्यक्रम शुरू किया गया था, लेकिन यह रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। कई अमीर देश वैक्सीनों की करोड़ों खुराकों का स्टॉक लिए बैठे हैं, जिससे गरीब देशों तक खुराकें नहीं पहुंच पा रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत अब तक केवल आठ करोड़ खुराकों का ही वितरण हो पाया है और यह अपने लक्ष्य से 20 करोड़ खुराकें पीछे चल रहा है।
भारत से निर्यात बंद होने पर बढ़ा संकट
डॉ टेड्रोस के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस ऐलवार्ड ने कहा कि संगठन एस्ट्राजेनेका, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि भारत द्वारा वैक्सीन के निर्यात पर लगी रोक से छूट मिल सके। दरअसल, कई गरीब देश वैक्सीन आपूर्ति के लिए पूरी तरह सीरम इंस्टीट्यूट पर निर्भर हैं। अप्रैल-मई में महामारी की दूसरी लहर के बीच भारत ने वैक्सीन निर्यात रोक दिया था, जिससे इन देशों के लिए संकट खड़ा हो गया है।
G7 और अमेरिका ने कही खुराकें दान करने की बात
G7 देशों ने अगले साल के अंत तक गरीब देशों को वैक्सीन की 100 करोड़ खुराकें दान करने का ऐलान किया था। इसके अलावा अमेरिका ने भी अगले साल तक 90 से अधिक गरीब देशों को 50 करोड़ खुराकें देने की बात कही है।
दुनियाभर में महामारी और वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 18.25 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 39.54 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.36 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.05 लाख लोगों की मौत हुई है। वैक्सीनेशन की बात करें तो ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, पूरी दुनिया में अब तक तीन अरब से ज्यादा खुराकें दी जा चुकी हैं और इस मामले में चीन सबसे तेज है।