भारत में आज से शुरू होगा पहले मेडिकल ड्रोन का ट्रायल, पहुंचाई जाएगी वैक्सीन और दवाइयां
क्या है खबर?
कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीन को सबसे बड़ा सुरक्षा कवच माना जा रहा है। यही कारण है सरकार देश के हर नागरिक तक वैक्सीन पहुंचाना चाहती है।
हालांकि, कई दुर्गम इलाकों में वैक्सीन की पहुंच आसान नहीं है। ऐसे में अब इन इलाकों में पहली बार बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) मेडिकल ड्रोन के जरिए वैक्सीन और दवाइयां पहुंचाने की तैयारी चल रही है।
इसके तहत शुक्रवार से बेंगलुरु से 80 किलोमीटर दूर गौरीबिदनूर में इसका ट्रायल शुरू होगा।
संचालन
थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स कर रही है ट्रायल का संचालन
न्यूज 18 के अनुसार बेंगलुरु के थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स के नेतृत्व में फर्मों के एक संघ की ओर से देश के पहले मेडिकल ड्रोन ट्रायल का संचालन किया जा रहा है। यह ट्रायल करीब 30-45 दिनों तक चलेगा।
कंपनी ने मार्च 2020 में ही ऑब्जेक्ट डिलीवरी ट्रायल के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से मंजूरी हासिल कर ली थी, लेकिन महामारी के कारण कुछ अन्य अनुमतियों में देरी होने के कारण ट्रायल को अब शुरू किया जा रहा है।
ड्रोन
परीक्षण में किया जाएगा दो प्रकार के ड्रोन का इस्तेमाल
थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स के नेतृत्व में शुरू किए जा रहे इस ट्रायल में क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में ड्रोन के जरिए कोरोना वैक्सीन सहित दवाइयां पहुंचाने का कार्य किया जाएगा।
कंपनी इस ट्रायल में दो प्रकार के मेडकॉप्टर (MedCOPTER) ड्रोन का इस्तेमाल करेगी। पहले मेडकॉप्टर ड्रोन की क्षमता एक किलो वजन उठाने और 15 किलोमीटर तक जाने की होगी।
इसी तरह दूसरे ड्रोन की क्षमता दो किलो वजन और 12 किलोमीटर की होगी।
सहायता
इस डिलीवरी सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएगी ड्रोन्स की सहायता
थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स के अनुसार ट्रायल के दौरान दोनों ड्रोन्स को RANDINT नामक एक डिलीवरी सॉफ्टवेयर से सहायता पहुंचाई जाएगी।
इसके अलावा DGCA के ट्रायल नियमों के मुताबिक ट्रायल के दौरान ड्रोन्स को कम से कम 100 घंटे की उड़ान भरनी होगी।
हालांकि, कंपनी ने 125 घंटे उड़ान भरने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ट्रायल के बाद सभी नतीजों के साथ इस परियोजना को समीक्षा के लिए DGCA को सौंपा जाएगा।
प्रयास
अपने प्रयासों की पहुंच बढ़ाने के लिए ड्रोन प्रतिबंधों में ढील दे रही सरकार
बता दें कि वर्तमान में सरकार अपने प्रयासों की पहुंच बढ़ाने और लोगों की सुविधा के लिए ड्रोन प्रतिबंधों में ढील दे रही है। इससे ऑपरेटर उत्पादों को दुर्गम इलाकों तक भी आसानी से पहुंचा सके।
सरकार वर्तमान में ड्रोन या अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAS) को केवल बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) के लिए अनुमति दे रही है।
यही कारण है कि सरकार ने अब तक 20 कंपनियों को BVLOS संचालन के लिए नियमों में छूट दी है।
बयान
देश का होगा पहला आधिकारिक मेडिकल ड्रोन डिलीवरी ट्रायल- कंडासामी
थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नागेंद्रन कंडासामी ने बताया कि DGCA ने 20 मार्च 2020 में ही ट्रायल की अनुमति दे दी थी, लेकिन महामारी के कारण ट्रायल में देरी हो गई।
उन्होंने कहा कि दो अन्य कंसोर्टियम के पास भी ड्रोन के ट्रायल की अनुमति है, लेकिन कानूनी रूप से यह पहला आधिकारिक मेडिकल ड्रोन डिलीवरी ट्रायल है। कंपनी इस क्षेत्र में 2016 से काफी लंबा सफर तय कर चुकी है।
विचार
केंद्र सरकार भी ड्रोन के जरिए वैक्सीन पहुंचाने पर कर रही विचार
केंद्र सरकार भी देश के दुर्गम इलाकों में वैक्सीन सहित मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल पर विचार कर रही है।
सरकार ने IIT कानपुर के एक अध्ययन में इस योजना को संभव बताने के बाद अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) के जरिये दुर्गम इलाकों में वैक्सीन पहुंचाने की योजना तैयार की है।
HLL इंफ्रा टेक सर्विस लिमिटेड ने ICMR की तरफ से चुनिंदा जगहों पर वैक्सीन और दवाओं की डिलिवरी के लिए 22 जून तक प्रस्ताव मांगे हैं।
जानकारी
केंद्र सरकार की योजना में शामिल होंगे ये UAV
सरकार की दुर्गम इलाकों में ड्रोन के जरिए वैक्सीन पहुंचाने की योजना में उन UAV को शामिल किया जाएगा, जो चार किलोग्राम वजन उठाने में सक्षम होने के साथ 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर कम से कम 35 किलोमीटर तक की उड़ान भर सके।
तेलंगाना
तेलंगाना सरकार ने भी शुरू की परियोजना
बता दें कि हाल ही में तेलंगाना सरकार ने भी ड्रोन से चिकित्सा आपूर्ति भेजने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक परियोजना शुरू की है।
राज्य सरकार ड्रोन डिलीवरी को अंजाम देने के लिए लॉजिस्टिक्स अनुभव के साथ फ्लिपकार्ट और डंजो के साथ काम कर रही है।
उड्डयन मंत्रालय ने कोरोना वैक्सीन वितरण के लिए ड्रोन संचालन की संभावना के परीक्षण के लिए तेलंगाना सरकार को BVLOS प्रतिबंधों में भी छूट दी है।