वैश्विक संस्थाओं की चेतावनी- कोरोना वायरस महामारी के कारण हो सकती है खाने की कमी
अगर सरकारें कोरोना वायरस को अच्छे से संभालने में नाकाम रहती हैं तो दुनियाभर में खाने का संकट पैदा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (UNFAO), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रमुखों ने बुधवार को ये चेतावनी जारी की। तीनों द्वारा जारी एक साझा बयान में कहा गया है, 'खाने की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता से निर्यात पर पाबंदी लग सकती हैं जिससे वैश्विक बाजार में कमी पैदा होगी।'
150 से अधिक देशों में फैल चुका है कोरोना वायरस
दिसंबर में चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुए कोरोना वायरस (COVID-19) से अब तक 150 से अधिक देशों के लगभग 9.4 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और 47,000 से अधिक लोगों को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। तेजी से फैलने वाले इस वायरस को रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन का ऐलान किया गया है और शहर के शहर बंद कर दिए गए हैं। इसका सीधा खाद्य पदार्थों की सप्लाई चैन पर पड़ा है।
"ऐसे समय पर होती है अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत"
इसी असर का उदाहरण देते हुए WTO, WHO और UNFAO ने अपने संयुक्त बयान में कहा है, 'ऐसे समय पर ही अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत होती है। हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी प्रतिक्रिया अनजाने में जरूरी पदार्थों की कमी और भुखमरी और कुपोषण पैदा न करे... लॉकडाउन के बीच व्यापार जारी रखने के लिए हर हंसभव प्रयास करने चाहिए, खासकर खाने की कमी से बचने के लिए।'
"फूड सप्लाई चैन को बाधित न करें कोई भी कदम"
बयान में आगे कहा गया है, 'अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा के प्रयासों के बीच देशों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यापार संबंधी कदम फूड सप्लाई चैन को बाधित न करें।"'
उत्पादन पर असर डालेगी कृषि मजदूरों की कमी- बयान
बयान में कहा गया है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाई गईं पाबंदियों से लंबे समय में कृषि मजदूरों की कमी हो सकती है जिससे कृषि उत्पादन में व्यवधान आ सकता है और खाद्य पदार्थ बाजार तक नहीं पहुंच सकेंगे। उदाहरण देते हुए इसमें बताया गया है कि अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला जाता तो मैक्सिको से आने वाले कृषि मजदूरों की कमी के कारण अमेरिका की फसलों की कटाई खतरे में पड़ सकती है।
भारत में क्या होता है, ये बेहद महत्वपूर्ण- UNFAO
UNFAO के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अब्दोलरेजा अब्बासियन ने इस दौरान कहा कि अभी संकट की शुरूआत हुई है और तीन हफ्ते के लॉकडाउन के दौरान भारत में क्या होता है, वो बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा, "कुछ हफ्तों में फसलों की कटाई शुरू होगी। माल की आसान ढुलाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।" WTO, WHO और UNFAO ने अपने बयान में खाद्य उत्पादन और उसकी सप्लाई चैन में कार्यरत लोगों की कोरोना वायरस से सुरक्षा करने की बात भी कही है।
वैश्विक संकटों के समय पहले भी खाद्य पदार्थों का निर्यात रोक चुके हैं देश
बता दें कि पहले भी वैश्विक संकटों के समय उत्पादक देश खाद्य पदार्थों के निर्यात पर रोक लगा चुके हैं। 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के समय भारत और वियतनाम ने अपने देश में खाने की कीमत बढ़ने से रोकने के लिए खाद्य पदार्थों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके कारण कई विकासशील देशों में खाने की कीमतें बढ़ गईं और दंगे हुए। इस बार रूस गेंहू के निर्यात पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है।