कोरोना वायरस: शुरुआती चरण में सफल रही मॉडर्ना की वैक्सीन, उम्मीद बंधी
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) की वैक्सीन के इंतजार में बैठी दुनिया के लिए एक राहत की खबर है।
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की संभावित वैक्सीन इंसानी ट्रायल के शुरुआती चरण में सफल रही है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में छपे अध्ययन में कहा गया है कि 45 स्वस्थ लोगों पर इस वैक्सीन के पहले टेस्ट के परिणाम अच्छे रहे हैं।
वैक्सीन के बाद हर व्यक्ति कोरोना से ठीक हुए मरीज की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी देखी गई।
वैक्सीन
ट्रायल में नहीं दिखे कोई गंभीर साइड इफेक्ट
अध्ययन में बताया गया है कि किसी भी वॉलेंटियर को किसी प्रकार के गंभीर साइड इफेक्ट का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन आधे से ज्यादा वॉलेंटियर को थकान, सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द और इंजेक्शन लगाने की जगह पर दर्द जैसी शिकायतें महसूस हुईं।
इनमें से भी अधिकतर ऐसे वॉलेंटियर थे, जिन्हें ज्यादा डोज दी गई और उनमें दूसरी डोज के बाद ये लक्षण देखे गए।
बता दें, मॉडर्ना ने सबसे पहले मार्च में इंसानी ट्रायल शुरू किए थे।
प्रतिक्रिया
डॉक्टर फाउची ने नतीजों को बताया अच्छी खबर
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के निदेशक डॉक्टर एंथनी फाउची ने इन नतीजों को 'अच्छी खबर' बताया है।
उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिले और यह बड़ी मात्रा में वायरस को मारने वाली एंटीबॉडी बना रही है।
उन्होंने कहा, "अगर वैक्सीन संक्रमण के प्रति शरीर को सुरक्षा दे पा रही है तो इसे कामयाब माना जा सकता है। इसलिए हम इन नतीजों से खुश हैं।"
जानकारी
अमेरिकी सरकार दे रही है आर्थिक मदद
अमेरिकी सरकार भी वैक्सीन बनाने के लिए मॉडर्ना को आर्थिक मदद दे रही है। कंपनी ने अमेरिका में सबसे पहले इंसानी ट्रायल शुरू किया था। अगर यह वैक्सीन कामयाब होती है तो यह कंपनी का पहला लाइसेंस वाला प्रोडक्ट होगा।
तरीका
ऐसे काम करती है मॉडर्ना की वैक्सीन
मॉडर्ना की वैक्सीन mRNA-1273, रिबॉन्यूक्लिक एसिड (RNA) का इस्तेमाल करती है।
यह एक तरह का कैमिकल मैसेंजर होता है, जो कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने का संदेश देता है।
जब इसे किसी व्यक्ति को लगाया जाता है तो उसकी कोशिकाएं ऐसे प्रोटीन बनाने लगती हैं, जो कोरोना वायरस की बाहरी सतह पर होते हैं। इंसानी शरीर इन प्रोटीन को बाहरी तत्व समझकर इनके खिलाफ प्रतिरक्षा तैयार करने में लग जाता है और उसे मारने के लिए एंटीबॉडी बना लेता है।
वैक्सीन
अब 30,000 लोगों पर होगा ट्रायल
अब 27 जुलाई से इस वैक्सीन से इस वैक्सीन की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा शुरू होगी। इस बार 30,000 लोगों पर इसका ट्रायल किया जाएगा।
इस चरण में यह देखा जाएगा कि क्या यह वैक्सीन इंसानी शरीर को कोरोना वायरस से बचा सकती है। 30,000 लोगों के साथ यह कोरोना वायरस वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल होगा।
उम्मीद की जा रही है साल के अंत तक यह ट्रायल पूरा हो जाएगा और फिर इसके नतीजे दुनिया के सामने होंगे।
वैक्सीन
बुजुर्ग और बीमार लोगों पर भी होगा ट्रायल
मंगलवार को जिस ट्रायल के नतीजे सामने आए हैं, उसमें शामिल सभी वॉलेंटियर युवा था। अगले चरण में बुजुर्गों को भी शामिल किया जाएगा क्योंकि महामारी का सबसे ज्यादा असर उन्हीं पर पड़ा है।
फाउची ने कहा कि बुजुर्गों के अलावा दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी ट्रायल में शामिल किया जाएगा। ट्रायल में भाग लेने वाले लोगों को एक महीने के फासले पर दो इंजेक्शन लगाए जाएंगे।
कोरोना वायरस
दुनियाभर में अब तक 1.32 करोड़ लोग संक्रमित
एक तरफ जहां वैक्सीन का इंतजार लंबा होता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।
पूरी दुनिया में अब तक 1.32 करोड़ लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और 5.78 लाख की मौत हुई है।
सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका में अब तक 34.29 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 1.36 लाख की मौत हुई है।
वहीं भारत 9.36 लाख संक्रमितों के साथ ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।