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    कोरोना वायरस: रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

    कोरोना वायरस: रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Aug 11, 2020, 07:26 pm 1 मिनट में पढ़ें
    कोरोना वायरस: रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

    कोरोना वायरस महामारी की शुुरुआत के लगभग नौ महीने बाद रूस ने दावा किया है कि उसके वैज्ञानिकों ने इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन (Gam-COVID-Vac Lyo) बना ली है। आज वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन किया गया और राष्ट्रपति पुतिन की एक बेटी को इसकी खुराक दी गई। पुतिन ने कहा कि ये वैक्सीन अच्छी तरह से काम करती है और कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी प्रदान करती है। उन्होंने इसे दुनिया के लिए 'एक महत्वपूर्ण कदम' बताया है।

    रूस के दावे पर उठ रहे सवाल

    रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट और रक्षा मंत्रालय की साझेदारी में तैयार की गई इस वैक्सीन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, इस वैक्सीन का इंसानी ट्रायल अभी तक पूरा नहीं हुआ है और उससे पहले ही इसे इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। बीते सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैक्सीन की प्रक्रिया में तेजी बरतने के लिए रूस को चेताया था। अमेरिकी विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फाउची भी तेजी को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

    वैक्सीन काम कैसे करती है?

    रूस की वैक्सीन SARS-CoV-2 के जैसे कॉमन कोल्ड फैलाने वाले एडेनोवायरस के DNA पर आधारित है। यह वैक्सीन वायरस के छोटे-छोटे हिस्से को इस्तेमाल कर शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। मीडिया से बात करते हुए वैक्सीन तैयार करने वाले गामालेया इंस्टीट्यूट के निदेशक एलेक्जेंडर गिंत्सबर्ग ने कहा कि वैक्सीन में मौजूदा कोरोना वायरस शरीर में जाने पर बढते नहीं हैं जिससे इंसानी शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता।

    अभी तक ट्रायल के नतीजे कैसे रहे हैं?

    अभी तक रूस ने इस वैक्सीन के इंसानी ट्रायल के सिर्फ पहले चरण के नतीजे जारी किए हैं। इनमें दावा किया गया है कि यह वैक्सीन रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। जुलाई में रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि ट्रायल में भाग लेने वाले किसी भी वॉलेंटियर ने वैक्सीन को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और उनमें इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है। ट्रायल का पहला चरण जून में शुरू हुआ था।

    दो तरीकों से दी गई वैक्सीन की खुराक

    ट्रायल के पहले चरण में शामिल 76 वॉलेंटियर में से अधिकतर रूसी सेना का हिस्सा हैं। इनमें से आधों को इंजेक्शन दिया गया और बाकियों को पानी में घुल सकने वाले पाउडर के रूप में वैक्सीन दी गई थी।

    ट्रायल पूरा होने की जानकारी नहीं

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल 13 जुलाई को शुरू हुए थे। इस महीने की शुरुआत में रूसी मीडिया में खबरें आईं कि गामालेया इंस्टीट्यूट ने इंसानी ट्रायल पूरा कर लिया है। हालांकि, इन रिपोर्ट्स में यह नहीं बताया गया था कि क्या इंसानी ट्रायल के तीनों चरण पूरे हो चुके हैं या सिर्फ दूसरा चरण पूरा हुआ है। आमतौर पर तीसरा चरण पूरा होने में कई महीनों का समय लगता है।

    बाजार में कब तक आएगी ये वैक्सीन?

    रूस की उप प्रधानमंत्री तातयाना गोलिकोवा ने कहा है कि सितंबर तक इस वैक्सीन का औद्योगिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। वहीं रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मेडिकल कर्मियों को इस महीने वैक्सीन की खुराक दी जा सकती है और अक्टूबर में बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत सबसे पहले डॉक्टरों और शिक्षकों को इसकी खुराक दी जाएगी। रूस ने अभी तक इस वैक्सीन की कीमत का खुलासा नहीं किया है।

    रूस ने कही थी मंजूरी मिलने के बाद तीसरा चरण शुरू करने की बात

    यह बात भी ध्यान देने वाली है कि रूस ने पहले कहा था कि वह नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद तीसरे चरण के ट्रायल शुरू करेगा। इस चरण में हजारों लोगों को वैक्सीन की खुराक देकर उसका असर देखा जाता है।

    वैक्सीन को लेकर चिंता क्यों जताई जा रही है?

    रूस ने वैक्सीन बनाने की दौड़ में आगे चल रही कंपनियों को पछाड़ते हुए जिस गति से इसे तैयार किया है, उसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हो सकता है कि तय प्रकिया को नजरअंदाज किया गया हो, जिससे लोगों की जान को खतरा हो सकता है। वो इसे लेकर भी चिंतित हैं कि इंसानी ट्रायल में महीनों या सालों का समय लगता है, लेकिन रूस ने दो महीनों में कैसे पूरा कर लिया।

    लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकती है ऐसे लाई गई वैक्सीन- विशेषज्ञ

    जॉर्जटाउन यूनवर्सिटी में जन स्वास्थ्य कानून विशेषज्ञ लॉरेंस गॉस्टिन का कहना है, "मुझे चिंता है कि रूस ने कुछ प्रकियाओं को नजरअंदाज किया है। इससे जो वैक्सीन आ रही है वो न तो इच्छित नतीजे देगी और न ही लोगों के लिए सुरक्षित होगी। वैक्सीन ऐसे काम नहीं करती। सबसे पहले ट्रायल पूरे होने चाहिए।" डॉक्टर फाउची भी कह चुके हैं कि बिना पूरे ट्रायल के लाई गई वैक्सीन लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

    क्या कोई अन्य देश वैक्सीन में रूचि दिखा रहा है?

    रूस के उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मेंतरूव ने कहा था कि इस साल हर महीने कई हजार खुराक का उत्पादन किया जाएगा। अगले साल हर महीने कई लाख खुराकों का उत्पादन होगा। वहीं रूस के प्रत्यक्ष निवेश फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रेव ने कहा कि 20 से ज्यादा देशों ने इस वैक्सीन के उत्पादन में रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील समेत कई देश इस वैक्सीन को उम्मीद की नजर से देख रहे हैं।

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