कोरोना वायरस की मृत्यु दर कम करती है शुरूआत में दी गई प्लाज्मा थैरेपी- स्टडी
क्या है खबर?
अमेरिका की एक स्टडी में कोरोना वायरस के इलाज में कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी के प्रभावी साबित होने का बात सामने आई है। 300 से अधिक मरीजों पर हो रही इस स्टडी के शुरूआती नतीजों में सामने आया है कि प्लाज्मा थैरेपी कोरोना वायरस की मृत्यु दर को कम करती है।
स्टडी के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती होने के तीन दिन के अंदर दिए जाने पर प्लाज्मा थैरेपी का सबसे ज्यादा असर होता है।
प्लाज्मा थैरेपी
क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी?
कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना वायरस को मात दे चुके शख्स के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है और उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा, खून का एक कंपोनेट होता है।
ठीक हो चुके शख्स के खून में SARS-CoV-2 वायरस को मारने वाली एंटीबॉडी बन जाती हैं और प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज संक्रमित मरीज के शरीर में दाखिल हो वायरस को मारती हैं और वह ठीक हो जाता है।
ट्रायल
ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के अस्पतालों में हो रहा प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल
कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी कितनी असरदार होती है, यह पता करने के लिए भारत समेत दुनियाभर में ट्रायल हो रहे हैं। अमेरिका में ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के अस्पतालों में भी ऐसा ही एक ट्रायल हो रहा है।
28 मार्च को ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के अस्पताल में 28 मार्च को पहली बार प्लाज्मा थैरेपी के जरिए कोरोना वायरस के एक गंभीर मरीज का इलाज किया गया था और वह ऐसा करने वाला अमेरिका का पहला अकादमिक चिकित्सा केंद्र था।
स्टडी
स्टडी में शामिल रहे 350 मरीज
तब से 6 जुलाई तक ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के अस्पतालों में कोरोना वायरस के 350 मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी दी जा चुकी है।
'द अमेरिकन जर्नल ऑफ पेथोलॉजी' में प्रकाशित स्टडी के शुरूआती नतीजों के अनुसार, कोरोना वायरस के मरीजों को बीमारी की शुरूआत, विशेषकर अस्पताल में भर्ती कराए जाने के 72 घंटे के अंदर, में ज्यादा एंटीबॉडी वाला प्लाज्मा देने पर कोरोना वायरस की मृत्यु दर में कमी आती है।
नतीजे
प्लाज्मा थैरेपी वाले मरीजों के जीवित रहने या ठीक होने की ज्यादा संभावना
स्टडी में सामने आया कि जिन मरीजों को बीमारी की शुरूआत में उच्च एंटीबॉडी वाला प्लाज्मा दिया गया, उनके जीवित रहने और ठीक होने की संभावना उन मरीजों के मुकाबले अधिक रही जिन्हें प्लाज्मा थैरेपी नहीं दी गई थी।
स्टडी में उन मरीजों को शामिल नहीं किया गया था जिनका ब्लड ट्रांसफ्यूजन से एलर्जी का इतिहास है। अंतिम स्तर की बीमारी या प्लाज्मा थैरेपी के खतरे को बढ़ाने वाली स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित लोगों को इसमें शामिल नहीं किया गया।
जानकारी
AIIMS के ट्रायल में नहीं आई थी मृत्यु दर में कमी
बता दें कि दिल्ली AIIMS ने भी प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल किया था और इसके नतीजे सकारात्मक नहीं आए थे। 15 मरीजों पर AIIMS के ट्रायल में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस की मृत्यु दर में कोई कमी नहीं देखने को मिली थी।