कोरोना: WHO ने म्यू स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' माना, अब तक 39 देशों में फैला
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसी हफ्ते कोरोना वायरस के एक नए स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' करार दिया है। इसे Mu (म्यू) वेरिएंट के नाम से जाना जा रहा है और यह सबसे पहले कोलंबिया में पाया गया था। अब तक दुनिया के 39 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं। इसमें कुछ ऐसी म्यूटेशन्स देखी गई हैं, जो वैक्सीन से मिली सुरक्षा को चकमा दे सकती हैं। आइये, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
कैसे बनता है वायरस का नया स्ट्रेन?
कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया स्ट्रेन कहा जाता है। वायरस के नए स्ट्रेन सामने आने के कई कारण हैं। इसमें एक कारण लगातार वायरस का फैलना है। कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।
सबसे पहले जनवरी में आया था सामने
इस साल जनवरी में म्यू वेरिएंट पता चला था और तब से फैल रहा है। राहत की बात यह है कि इसके प्रसार की गति धीमी है। इससे होने वाले नुकसान को भांपते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया गया है और इसे आयोटा, एटा, काप्पा और लेम्ब्डा की श्रेणी में रखा गया है। ये सभी 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' है। इनके खतरनाक रूप लेने पर इन्हें 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' घोषित किया जाता है।
कोलंंबिया में म्यू वेरिएंट के 39 प्रतिशत मामले
WHO ने बताया कि जनवरी के बाद कई जगहों पर इसके थोड़े और कुछ जगहों पर बड़े कलस्टर सामने आए हैं। कोलंबिया के अलावा अब तक इंग्लैंड, यूरोप, अमेरिका और हांगकांग में इसके मामले सामने आ चुके हैं। वैश्विक मामलों में म्यू वेरिएंट का योगदान 0.1 प्रतिशत से कम है, लेकिन कोलंबिया और इक्वाडोर में इससे संक्रमितों लोगों की संख्या 39 प्रतिशत और 13 प्रतिशत है। इसकी संक्रामकता के बारे में जानने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं।
क्या यह वैक्सीन से मिली सुरक्षा से बच सकता है?
संगठन के साप्ताहिक बुलेटिन में बताया गया था कि म्यू वेरिएंट में कुछ ऐसी म्यूटेशन देखी गई हैं, जो इसे प्रतिरोधक क्षमता से बचाती है। शुरुआती अध्ययनों में पता चला है कि यह वैक्सीन से मिली सुरक्षा को चकमा दे सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए बड़े अध्ययन की जरूरत है। राहत की बात यह है कि अभी तक मौजूद वैक्सीनें सभी वेरिएंट्स से गंभीर रूप से बीमार होने से बचा रही हैं।
दक्षिण अफ्रीका में भी सामने आ चुका नया वेरिएंट?
दक्षिण अफ्रीका में भी कोरोना का नया वेरिएंट मिला है, जिसमें तेजी से म्यूटेशन हो रहे हैं और यह एंटीबॉडीज से मिली सुरक्षा को भी चकमा दे सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया यह C.1.2 वेरिएंट सबसे पहले मई में सामने आया था और उसके बाद से ये दक्षिण अफ्रीका के अधिकतर राज्यों के साथ-साथ सात अन्य देशों में भी फैल चुका है। इसके जीनोम में जो म्यूटेशन हो रही हैं, वो डेल्टा समेत कई चिंताजनक स्ट्रेन्स जैसी हैं।
दुनियाभर में संक्रमण की क्या स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 21.91 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 45.42 लाख लोगों की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.95 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.43 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है। भारत में अब तक 3.29 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और 4.40 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।