
"शर्ट से पसीना निचोड़कर पीना पड़ता था", मैक्सिको से लौटे युवकों ने बताई आपबीती
क्या है खबर?
अमेरिका में प्रवेश करने के लिए मैक्सिको में अवैध रूप से रह रहे 311 भारतीयों को शुक्रवार को वापस दिल्ली भेज दिया गया।
इनमें से एक हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले 22 वर्षीय अजय सैनी अमेरिकी सीमा से 200 मीटर दूर थे, जब 16 अक्टूबर को मैक्सिको को इमीग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया।
सैनी ने एक एजेंट को 12 लाख रुपये दिए थे, जिसके बदले में एजेंट ने उन्हें सुरक्षित तरीके से अमेरिका पहुंचाने का वादा किया था।
आपबीती
पैसे कमाने की चाहत में घर से निकले थे सैनी
अजय ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, "मैं अच्छी जिंदगी चाहता था। अगर अमेरिका में कोई काम मिल जाता तो मैं यहां से ज्यादा पैसे कमा सकता था।"
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अजय अमेरिका में प्रवेश के लिए कोलंबिया, इक्वाडोर, पनामा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, होंडारूस और ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचे थे।
उनका अमेरिका जाने का सपना अमेरिका की सीमा पर जाकर टूट गया, जब अधिकारियों ने उन्हें पकड़कर वापस भारत भेज दिया।
चेतावनी
ट्रम्प की चेतावनी के बाद मैक्सिको ने उठाया कदम
शुक्रवार को सैनी के साथ 310 अन्य लोग दिल्ली पहुंचे। इनमें एक महिला भी शामिल थी।
इन सभी को पिछले दिनों मैक्सिको के ओएक्साका, बाजा कैलिफोर्निया, और टाबास्को आदि राज्यों में हिरासत में लिया गया था।
मैक्सिको ने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस चेतावनी के बाद उठाया था, जिसमें उन्होंने कहा था अगर मैक्सिको उसकी सीमा से अमेरिका में अवैध रूप से आ रहे लोगों पर रोक नहीं लगायेगा तो मैक्सिको के आयात पर टैरिफ लगा देंगे।
सफर
कई दिनों तक पैदल चलना पड़ा
पटियाला के 19 वर्षीय मनदीप सिंह ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें अमेरिका भेजने के लिए अपनी कार बेची और अपना घर गिरवी रखा था। अधिकतर लोगों ने बताया कि उनके जानने वाले अमेरिका में रहते हैं और अच्छा पैसा कमाते हैं।
एजेंटों ने इन सभी लोगों को पहले इक्वाडोर भेजा और उसके बाद उन्हें कोलंबिया ले जाया गया।
यहां से उन्हें पनामा ले जाने के पहाड़ों और नदियों के रास्ते 15 दिन तक भूखे-प्यासे पैदल चलना पड़ा।
अनुभव
युवकों ने बताया- जानवरों की तरह रखा जाता था
रास्ते में अपने साथ हुए बर्ताव के बारे में सैनी ने बताया, "हमें कैंपों में जानवरों की तरह रखा जाता था। ओढ़ने के लिए कुछ नहीं मिलता था। ऐसा खाना मिलता था, जिसे खाया नहीं जा सकता था। पिछले तीन महीनों से यही कपड़े पहने हुए हैं।"
सैनी के साथ भारत लौटे 22 वर्षीय मनीष कुमार ने बताया, "हमने पनामा के जंगलों में बहुत लाशें देखी थी। उनमें से कई भूख से और कई सांपों के काटने से मरे थे।"
अनुभव
शर्ट से पसीना निचोड़कर पीना पड़ता था- सोनू
अकेले सैनी और मनीष ऐसे नहीं हैं, जिन्हें भूखे-प्यासे ये सफर पूरा करना पड़ा।
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से पढ़े 22 वर्षीय सोनू ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें पांच से सात दिनों तक पनामा के जंगलों में चलना पड़ा।
उन्होंने बताया, "तीन दिनों तक हमारे पास पीने के लिए पानी नहीं था। हम अपनी शर्ट से पसीना निचोड़कर पीते थे। हमें खाना नहीं दिया गया। इस वजह से हम में से कई लोग बीमार पड़ गए।"
जानकारी
मैक्सिको पहुंचने पर भेजे गए कैंप
सेवक नामक एक युवक ने बताया कि जैसे-तैसे रास्ता पूरा कर वो मैक्सिको पहुंचे। वहां पर उन्हें गिरफ्तार कर कैंपों में डाल दिया गया। उन्होंने बताया कि ये कैंप जेलों की तरह थे और इनमे बंद लोग बीमार थे।
झांसा
एजेंट ने दिया था अमेरिका में प्रवेश का झांसा
अमेरिका में जाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर एक युवक ने जानकारी दी कि एजेंट ने कहा था कि मैक्सिको जाने पर उन्हें एक पास मिल जाएगा, जिसकी मदद से वो अमेेरिका में प्रवेश कर सकेंगे। वहां उन पर मामला दर्ज होता, लेकिन उन्हें काम करने की अनुमति मिल जाती।
सेवक ने कहा कि उन्हें वहां कोई पास नहीं मिला और लगभग एक महीने तक कैंप में रखने के बाद भारत भेज दिया गया।
रिपोर्ट
अमेरिका में बढ़ रही है भारतीय लोगों की संख्या
पिछले कुछ सालों में अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है।
साउथ एशियन अमेरिकन्स लीडिंग टूगेदर (SAALT) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2017 के बीच ऐसे लोगों की संख्या में 38 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
यह संख्या 2010 की 31,83,063 से बढ़कर 2017 में 44,02,363 हो गई। इनमें से 6.30 लाख ऐसे लोग हैं, जो बिना पर्याप्त दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं।