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    #NewsBytesExplainer: WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में किन मुद्दों पर बनी सहमति, भारत के लिए क्या रहा खास?
    WTO सम्मेलन में ज्यादातर मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी

    #NewsBytesExplainer: WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में किन मुद्दों पर बनी सहमति, भारत के लिए क्या रहा खास?

    लेखन आबिद खान
    Mar 02, 2024
    06:17 pm

    क्या है खबर?

    अबू धाबी में 26 फरवरी से शुरू हुआ विश्व व्यापार संगठन (WTO) का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन एक मार्च को समाप्त हो गया। भारत समेत 164 देशों के 4,000 से भी ज्यादा मंत्रियों, कारोबारियों और प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था।

    पहले यह सम्मेलन 29 फरवरी को खत्म होना था, लेकिन मुद्दों पर अंतिम सहमति के लिए इसे एक दिन और बढ़ाया गया।

    आइए जानते हैं कि सम्मेलन में किन-किन मुद्दों पर सहमति बनी।

    मुद्दे

    ज्यादातर मुद्दों पर नहीं बनी सहमति

    सम्मेलन में सार्वजनिक खाद्यान्न भंडार का स्थायी समाधान खोजने, मत्स्य पालन सब्सिडी पर अंकुश लगाने, खाद्य सुरक्षा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई फैसला नहीं हो पाया। कई देशों ने इस पर निराशा व्यक्त की है।

    कुछ प्रतिनिधियों ने कहा कि यह सामूहिक जिम्मेदारी पर राष्ट्रीय हित की जीत थी। मोटे तौर पर कहा जाए तो मंत्रिस्तरीय सम्मेलन बेनतीजा ही रहा। सम्मेलन की अवधि एक दिन बढ़ाए जाने के बाद भी अंतिम सहमति नहीं बन सकी।

    सहमति

    किन मुद्दों पर राजी हुए देश?

    सम्मेलन में ई-कॉमर्स व्यापार पर आयात शुल्क लगाने को लेकर लगी रोक को और 2 साल बढ़ाने पर देश सहमत हुए हैं। 2 साल बाद यह नियम स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।

    इसके अलावा घरेलू विनियमन पर नई व्यवस्था, WTO के नए सदस्यों के रूप में कोमोरोस और तिमोर-लेस्ते का औपचारिक रूप से शामिल होना और कम विकसित देशों को इसके दर्जे से बाहर निकलने के 3 साल बाद भी लाभ मिलते रहने पर सहमति बनी है।

    कृषि

    कृषि को लेकर क्या समझौते हुए? 

    कृषि पर गहन बातचीत के बावजूद बड़ा समझौता नहीं हुआ। खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक भंडार व्यवस्था और निर्यात प्रतिबंधों जैसे कई मुद्दों पर मतभेद रहे।

    भारत किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी और अनाज खरीदारी पर स्थायी समाधान चाहता है। भारत सब्सिडी सीमा की गणना के फॉर्मूले में संशोधन जैसे उपाय करने की मांग कर रहा है। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील का मानना है कि सार्वजनिक भंडार व्यवस्था बाजार को नुकसान पहुंचा रही है।

    भारत

    भारत के लिहाज से सम्मेलन कैसा रहा?

    सम्मेलन में जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, वो भारत के पक्ष में नहीं है।

    भारत आयात शुल्क पर लगी रोक को समाप्त करना चाहता था, जिसे बढ़ा दिया गया है। भारत का मानना है कि इस रोक से विकासशील देशों को 10 अरब डॉलर के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

    दूसरी ओर, संगठन की विवाद निपटान प्रणाली को बहाल करने की भारत की मांग पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ।

    बयान

    पीयूष गोयल बोले- सम्मेलन से संतुष्ट

    भारत की ओर से सम्मेलन में शामिल हुए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "WTO के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का नतीजा 'अच्छा' रहा और भारत 'पूरी तरह संतुष्ट' है, क्योंकि देश हर तरह से किसानों व मछुआरों के हितों को पूरा सम्मान और संरक्षण देने की अपनी नीति पर कायम है। गरीबों के बीच वितरण के लिए भारत में अनाज की खरीद निर्बाध और बिना किसी बाधा के जारी है।"

    विवाद

    थाईलैंड के राजदूत की टिप्पणी से हुआ विवाद

    सम्मेलन के दौरान थाईलैंड के राजदूत ने कहा था कि भारत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए सब्सिडी पर अनाज खरीदता है और उसे निर्यात कर देता है, इससे वह बाजार पर कब्जा कर रहा है।

    भारत ने इन आरोपों को नकारा और टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद थाईलैंड ने अपने राजदूत को सम्मेलन से वापस बुला लिया और उनकी जगह विदेश सचिव को प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा।

    प्लस

    न्यूजबाइट्स प्लस

    WTO एकमात्र वैश्विक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो देशों के बीच होने वाले व्यापार से जुड़े नियमों को निर्धारित करता है। 1 जनवरी, 1995 को बने इस संगठन में यूरोपीय संघ (EU) समेत 164 सदस्य हैं।

    संगठन हर 2 साल में अपने मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन करता है, जो पहली बार 1996 में सिंगापुर में आयोजित किया गया था। हालांकि, पारदर्शिता की कमी और निर्णयों में सहमति नहीं बनने के चलते संगठन की आलोचना भी होती रहती है।

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