#NewsBytesExplainer: शूटिंग के बाद ADR से कैसे बदले जाते हैं डायलॉग? जानिए डबिंग से कितनी अलग
क्या है खबर?
हर साल मनोरंजन जगत में सैकड़ों फिल्में रिलीज होती हैं, जो दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती हैं। पर्दे पर देखने में ये फिल्में जितनी मजेदार लगती हैं, इन्हें बनाना उतना ही कठिन होता है।
फिल्में प्री-प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन के बाद दर्शकों के बीच पहुंचती हैं, जिनमें बहुत-सी चीजें शामिल होती हैं।
आइए जानते हैं कि शूटिंग पूरी हो जाने के बाद ADR की मदद से कैसे डायलॉग बदले जाते हैं और यह डबिंग से कितना अलग होता है।
परिचय
क्या होता है ADR?
ADR (ऑटोमेटेड डायलॉग रिप्लेसमेंट) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सितारे शूटिंग पूरी होने के बाद अपने डायलॉग फिर से रिकॉर्ड करते हैं। ऐसा तब किया जाता है, जब डायलॉग अच्छी तरह से नहीं बोला गया हो या खराब गुणवत्ता वाला हो।
यह प्रक्रिया पोस्ट प्रोडक्शन का हिस्सा है और इस दौरान डायलॉग में बदलाव के साथ लाइनें भी जोड़ी जा सकती हैं।
ADR के लिए सितारों को ही बुलाया जाता है तो कभी डबिंग आर्टिस्ट से मदद ली जाती है।
महत्व
ADR इसलिए होता है जरूरी
ADR की तब सबसे ज्यादा जरूरत होती है, जब मूल ऑडियो में शोर आ रहा हो या माइक्रोफोन की समस्या हो।
इसका इस्तेमाल ज्यादातर उन सीन में होता है, जिसमें समुद्र के पास या शोर-शराबे वाली जगह पर शूटिंग हुई हो। इसकी मदद से बैकग्राउंड की अनचाही आवाज पर काबू पाया जाता है।
सितारों का प्रदर्शन भी इससे बेहतर होता है। जैसे किसी संवाद को सही से नहीं बोला या जल्दबाजी हुई है तो उसे दोबारा रिकॉर्ड किया जाता है।
लाभ
ये होते हैं फायदे
ADR न सिर्फ ऑडियो की क्वालिटी को बढ़िया करता है , बल्कि दूर से शूट किए जाने वाले बड़े एंगल वाने शॉट के लिए भी अच्छी साबित होती है।
ऐसी स्थिति में निर्देशक बाद में सितारों से डायलॉग को रिकॉर्ड करवा सकते हैं, जिससे उनकी आवाज पहले से बेहतर और साफ लगती है।
इस प्रक्रिया के दौरान कुछ संवादों को जोड़ा जा सकता है तो कुछ आपत्तिजनक संवाद आसानी से हटाए भी जाते हैं। इससे सीन भी बढ़िया लगता है।
जरूरी
ये चीजें होती हैं जरूरी
ADR को रिकॉर्ड करने के दौरान सबसे जरूरी होता है कलाकार के सामने एक स्क्रीन का लगा होना। इसमें डायलॉग में बदलाव होने वाले सीन को दिखाया जाता है। इसके जरिए कलाकार सही भाव को समझ पाते हैं।
सितारों को वो हेडफोन दिए जाते हैं, जिसे लगाने से बाहरी आवाज सुनाई नहीं देती। साथ ही शूटिंग के दौरान इस्तेमाल किया गया माइक्रोफोन इस्तेमाल होता है।
इसके अलावा ऑडियो को सॉफ्टवेयर की मदद से सही स्तरेे पर लाया जाता है।
जानकारी
उदाहरण के लिए
बीते साल ओम राउत द्वारा निर्देशित फिल्म 'आदिपुरुष' को अपने संवदों के चलते विवादों में घिर गई थी। ऐसे में फिल्म की रिलीज के बाद उनमें बदलाव करने का निर्णय लिया गया और फिर आपत्तिजनक संवादों में फेर-बदल की गई थी।
अंतर
डबिंग और ADR में होता है अंतर
ADR के बारे में जानकर ऐसा लगता है कि इसे ही डबिंग करना कहा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है।
इन दोनों में अंतर है, जैसे ADR का काम किसी भी सीन के खराब संवादों को ठीक करना है तो डबिंग पूरी फिल्म की होती है।
ADR में सितारे डायलॉग को उसी भाषा में बोलते हैं, जिसमें सुधार होना है। यहां ध्यान में रखा जाता है कि उनकी बोली सीन में उनके होठों की हलचल से मेल खाए ।
विस्तार
क्या होती है डबिंग?
डबिंग में पूरी फिल्म को एक अलग भाषा में डब किया जाता है। फिल्म में नजर आए सितारे को अगर दूसरी भाषा आती है तो उससे डबिंग कराई जाती है, नहीं तो डबिंग आर्टिस्ट या दूसरा कोई सितारा यह करता है।
ADR के मुकाबले डबिंग मुश्किल है, क्योंकि सितारे के भाव का अपनी बोली से तालमेल बैठाना होता है। ऐसे में आर्टिस्ट अभिनय करते हुए पूरी फिल्म की डबिंग करते हैं तो ADR में कुछ जगह ही बदलाव होता है।
उदाहरण
ये सितारे कर चुके हैं डबिंग
हाल ही में संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म 'एनिमल' ने नेटफ्लिक्स पर दस्तक दी थी, जिसका अब अंग्रेजी अनुवाद भी जारी हो गया है। इस अंग्रेजी अनुवाद में रणबीर कपूर के किरदार रणविजय की आवाज छोटे पर्दे के मशहूर अभिनेता नकुल मेहता बने हैं।
इनके अलावा कई सितारे भी साउथ के सितारों की आवाज बने हैं। अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा' के लिए श्रेयस तलपड़े ने डबिंग की थी तो प्रभास की 'बाहुबली' में शरद केलकर उनकी आवाज बने थे।