#NewsBytesExplainer: क्या है चीन की 'वधू मूल्य' प्रथा, जिसे आबादी बढ़ाने के लिए खत्म किया गया?
चीनी सरकार ने दशकों से चली आ रही परंपरा 'वधू मूल्य' को खत्म कर दिया है। 'वधू मूल्य' यानी शादी के दौरान लड़के की ओर से लड़की या उसके परिवार को दी जाने वाली राशि। सरकार ने जनसंख्या और जन्म दर बढ़ाने के उपायों के तौर पर ये कदम उठाया है। चीन घटती आबादी और जन्म दर से परेशान है। आइए इस प्रथा और चीन की आबादी से जुड़ी अहम बातें जानते हैं।
क्या है 'वधू मूल्य' प्रथा?
वधू मूल्य यानी शादी के बदले वधू को दी जाने वाली राशि। इसे आप भारत में व्याप्त दहेज प्रथा का उलटा स्वरूप मान सकते हैं। चीन में ये प्रथा दशकों से चली आ रही है और इसे शादी की मुख्य रस्म माना जाता है। इस प्रथा को एक स्वस्थ परंपरा के तौर पर शुरू किया गया था। हालांकि, समय के साथ ये प्रथा विकृत हो गई और लड़की के परिवार वाले मोटी रकम की मांग करने लगे।
चीन ने क्यों उठाया ये कदम?
दरअसल, चीन में लड़की वाले वधू मूल्य के तौर पर लाखों-करोड़ों रुपये की मांग करने लगे हैं। इस वजह से हजारों युवा लड़के शादी से दूरी बना रहे हैं, जिसका सीधा असर चीन की आबादी और जन्म दर पर पड़ रहा है। देश में कुंवारे युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के सरकारी पोर्टल पर 7 प्रांतों के हजारों युवाओं ने इस बारे में शिकायत की थी।
जन्म दर घटने के अन्य क्या कारण हैं?
चीन में बच्चे पैदा करने से लेकर उसकी परवरिश का खर्च बहुत ज्यादा है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से नौकरियों पर आए संकट और अर्थव्यवस्था की सुस्त हालत के कारण कई युवाओं का रोजगार छिन गया है, इसलिए युवा परिवार को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। साल 2022 में 18 से 25 साल के 20,000 युवाओं पर हुए एक सर्वे में दो तिहाई युवाओं ने कहा कि वो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं।
वधू मूल्य प्रथा के खिलाफ अन्य क्या कदम उठाए गए?
चीन के अलग-अलग प्रांत शादी में आने वाले खर्च को कम करने के लिए जागरुकता अभियान चला रहे हैं। इसी साल जनवरी में हेबेई प्रांत ने शादी से जुड़ी वधू मूल्य समते कई प्रथाओं पर पांबदी लगाई थी। इसी तरह जिआंगसु प्रांत में पिछले महीने 'सबसे खूबसूरत सास' अभियान शुरू किया गया, जिसमें ऐसी सास की तलाश की जा रही थी, जो वधू मूल्य के लिए कम पैसों की मांग करे।
चीन की आबादी की क्या स्थिति है?
2022 में 60 साल में पहली बार चीन की आबादी में गिरावट दर्ज की गई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में चीन में 95 लाख बच्चे पैदा हुए, जबकि 2021 में 1.62 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे। चीन में 2021 में जन्म दर 7.52 प्रतिशत थी, जो 2022 में घटकर 6.67 प्रतिशत रह गई। ये आंकड़ा साल 1949 के बाद सबसे कम है। 2021 के मुकाबले 2022 में चीन की आबादी 8.50 लाख कम हो गई है।
लगातार बूढ़ी हो रही चीन की आबादी
चीन में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की जनसंख्या 26 करोड़ से भी ज्यादा है। अनुमान है कि अगले 10 साल में चीन की करीब एक चौथाई आबादी 65 साल से ज्यादा उम्र की होगी। इससे सरकार पर पेंशन और स्वास्थ्य से जुड़े खर्च बढ़ रहे हैं। चीन में काम करने वाली युवा आबादी भी लगातार कम हो रही है। फिलहाल चीन की करीब 63 प्रतिशत आबादी 15-59 साल के बीच की है।
आबादी बढ़ाने के लिए अन्य क्या कदम उठा रहा चीन?
आबादी को बढ़ाने के लिए चीन बड़े नीतिगत परिवर्तन कर रहा है। 2021 में चीन ने अपनी एक बच्चे की नीति को खत्म कर दिया था। फिलहाल जनसंख्या बढ़ाने के लिए चीन बच्चे पैदा होने पर सब्सिडी, होम लोन में सब्सिडी, बच्चों की शिक्षा में छूट, शादी के लिए युवाओं को ज्यादा छुट्टियां और वधू मूल्य जैसी शादी की कई खर्चीली प्रथाओं पर रोक लगाने जैसे उपाय लागू कर रहा है।
क्या थी चीन की एक बच्चे की नीति?
चीन ने 1980 में सिर्फ एक बच्चा पैदा करने की नीति अपनाई। इस नीति को बेहद सख्ती से लागू किया गया। एक से ज्यादा बच्चे होने पर लोगों को नौकरी से निकाला गया, जुर्माना लगाया गया और जबरन गर्भपात किए गए। 2016 तक चीन में एक बच्चे की नीति लागू रही। इस दौरान चीन ने 40 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोका। इसका नुकसान ये हुआ कि देश में वृद्ध आबादी बढ़ गई और युवा आबादी कम हो गई।