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    चीन में अब तीन बच्चे पैदा करने की छूट; क्यों बदलनी पड़ी पुरानी नीति?

    चीन में अब तीन बच्चे पैदा करने की छूट; क्यों बदलनी पड़ी पुरानी नीति?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jun 01, 2021
    03:33 pm

    क्या है खबर?

    दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन ने संतानों को लेकर अपनी नीति में बदलाव किया है। यहां की सरकार ने दो बच्चों की कड़ी नीति को खत्म करते हुए कहा कि अब जोड़े तीन बच्चे पैदा कर सकेंगे।

    चीन में 2016 में एक बच्चे की नीति को खत्म किया और अब दो बच्चों की नीति भी समाप्त कर दी गई है।

    आइये, जानते हैं कि चीन में संतानों को लेकर नई नीति क्यों लाई गई है।

    इतिहास

    1980 में लागू की गई थी एक संतान की नीति

    1949 में पीपल्स रिपब्लिक बनने के समय चीन की जनसंख्या 54 करोड़ थी। अगले तीन दशकों में इसमें तेजी से इजाफा हुआ और 1980 आते-आते यहां की आबादी लगभग 97 करोड़ हो गई।

    इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति डेंग शिआयोपिंग ने एक बच्चे की नीति का ऐलान किया और इसे सख्ती से लागू किया।

    सालों तक यहां के नेता तर्क देते रहे कि आर्थिक विकास के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है।

    कड़ाई

    एक से अधिक संतान वाले कर्मचारियों की जाती थी नौकरी

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन आयोग को इस नीति को लागू कराने की जिम्मेदारी दी गई।

    इसका उल्लंघन करने वाले जोड़ों पर जुर्माना लगाया जाता था और कई मामलों में जबरन गर्भपात भी कराया गया। जुर्माना न भरने पर दूसरे बच्चे का कहीं भी रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता था।

    एक से अधिक बच्चे होने पर सरकारी कार्यालयों, सरकार से संबंधित संस्थानों और यूनिवर्सिटीज आदि में काम करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ता था।

    प्रभाव

    लिंग अनुपात पर भी पड़ा असर

    एक बच्चे की नीति के चलते चीन में लिंग अनुपात पर भी असर पड़ने लगा क्योंकि लोग लड़कियों से ज्यादा लड़कों को प्राथमिकता दे रहे थे। इससे कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले भी बढ़ने लगे।

    हालांकि, गांव में रहने वाले जोड़ों के अगर पहली संतान लड़की होती थी तो उन्हें दूसरा बच्चा करने की इजाजत थी। इसी तरह शहरों में रहने उन जोड़ों को दो बच्चों की अनुमति थी, जो खुद अपने परिजनों के एक-एक बच्चे थे।

    चीन

    2016 में खत्म की गई एक संतान की नीति

    बढ़ती बुजुर्ग आबादी और कार्यबल की घटती संख्या को देखते हुए चीन ने 1 जनवरी, 2016 को अपनी एक बच्चे की नीति को खत्म कर दिया था।

    इसके अलावा बच्चे पैदा करने से हतोत्साहित करने वाली दूसरी नीतियों को भी धीरे-धीरे हटा लिया गया।

    2017 में पांच राज्यों को उन नियमों की समीक्षा को कहा गया, जिनमें कंपनियों को कर्मचारी के एक से अधिक बच्चा होने पर उसे नौकरी से निकालने का अधिकार दिया गया था।

    जानकारी

    तीन बच्चों की नीति का ऐलान क्यों किया गया?

    पिछले महीने चीन में जनसंख्या से जुड़े आंकड़े जारी किए गए थे। इससे पता चला कि 2020 में चीन में 1.2 करोड़ बच्चे पैदा हुए, जो 2016 के बाद आई सबसे गिरावट है और 1960 के बाद एक साल में सबसे कम बच्चे पैदा हुए हैं।

    2016 में 1.8 करोड़ और 2019 में 1.4 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे।

    इसके बाद से यह माना जा रहा था कि चीन जल्द ही बच्चे पैदा करने की अपनी नीति में बदलाव करेगा।

    चीन

    स्थाई आबादी के लिए जरूरी स्तर से कम है प्रजनन दर

    SCMP की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में प्रजनन दर 1.3 बच्चे प्रति महिला रह गई है। आबादी की संख्या स्थायी रखने के लिए इस दर का 2.1 प्रतिशत होना जरूरी है।

    इसके बाद से मांग उठने लगी थी कि चीन को बच्चे पैदा करने के लिए लागू की गई नीति में बदलाव कर देना चाहिए।

    चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (NBS) के सर्वे में सामने आया था कि चीन में औसतन हर महिला दो से कम बच्चे चाहती है।

    चीन

    2027 तक आबादी के पीक पर पहुंचने का अनुमान

    बढ़ती महंगाई, काम के थका देने वाले घंटे और बच्चों के देखभाल के लिए सुविधाओं की कमी जैसे कारण है, जो चीनी जोड़ों को बच्चा पैदा करने से पहले सोचने पर मजबूर करते हैं।

    चीनी सरकार का अनुमान है कि 2027 तक चीन में जनसंख्या पीक पार कर जाएगी, लेकिन कुछ स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि अगले साल के बाद से चीन की आबादी कम होने लगेगी क्योंकि बच्चे कम पैदा होंगे और मृतकों की संख्या ज्यादा होगी।

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